दुनिया में कोरोना वायरस का खतरा कम होने का नाम नहीं ले रहा है। वैक्सीनेशन शुरू होने के बाद वायरस के नए वेरिएंट डरा रहे हैं। डेल्टा वेरिएंट के कारण हर कोई चिंतित है। यहां तक की विश्व स्वास्थ्य संगठन ने डेल्टा वेरिएंट को अब तक का सबसे संक्रामक वेरिएंट करार दिया है और इसे 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' घोषित किया है। हाल ही में सामने आए एक आंकड़े में सामने आया है कि डेल्टा वेरिएंट दोनों वैक्सीन लगवा चुके लोगों को न सिर्फ बीमार कर रहा है, बल्कि उनकी जान भी ले रहा है।
पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने हाल ही में एक डाटा जारी किया है। इसके मुताबिक, ब्रिटेन में डेल्टा वेरिएंट के चलते 117 लोगों की मौत हुई है। इनमें से 50 साल या अधिक उम्र के 109 शामिल हैं। साथ ही सामने आया है कि मरने वालों में 50 लोग ऐसे हैं, जिन्हें कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगाई जा चुकी थी।
रिपोर्ट एक आश्चर्यजनक तथ्य यह पेश करती है कि जिन लोगों ने वैक्सीन की दोनों डोज लगवाई है, उनमें से 50 साल से कम उम्र के एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है। हालांकि डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित होने वाले 50 साल से कम उम्र के आठ लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। जबकि सिंगल डोज लेने वाले इसी आयु वर्ग के दो लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
पूरी तरह से बचाव नहीं
ब्रिटेन में फिलहाल फाइजर और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन दी जा रही है। ब्रिटेन में सामने आए एक आंकड़े के मुताबिक, दोनों डोज के बाद फाइजर की वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट से 88 फीसद और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन 60 फीसद बचाव करने में सक्षम है। ऐसे में लोगों को मास्क लगाने, सोशल डिस्टेंसिंग के पालन सहित दूसरे उपाय अपनाने चाहिए।
उम्र बढ़ने से बढ़ता है खतरा
विशेषज्ञों का मानना है कि उम्र बढ़ने के साथ ही संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। यही कारण है कि अधिक उम्र में जोखिम बढ़ जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में मई के दौरान दोनों वैक्सीन लेने वाले 0.8 फीसद लोगों की मौत हुई है। अमेरिका में दर्ज किए जा रहे मामलों में 20 फीसद से ज्यादा डेल्टा वेरिएंट से जुड़े हैं।