हिंद महासागर में पहुंचा चीनी जासूसी जहाज, कोलंबो में रुकने की संभावना, जानिए क्यों परेशान हैं भारत और अमेरिका
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: September 27, 2023 02:39 PM2023-09-27T14:39:18+5:302023-09-27T14:40:51+5:30
पोत के अक्टूबर और नवंबर में श्रीलंकाई विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में संयुक्त सैन्य वैज्ञानिक अनुसंधान करने की संभावना है। चीन इसे शोध और अनुसंधान पोत कहता है लेकिन भारतीय और अमेरिकी विशेषज्ञों का मानना है कि यह जहाज जासूसी करने में सक्षम है।
नई दिल्ली: हिंद महासागर में चीन द्वारा अपना प्रभुत्व बढ़ाने की कोशिशें लगातार जारी हैं। इसके लिए चीन लगातार नए पैंतरे आजमाता रहता है। हाल ही में चीन ने एक ऐसा कदम उठाया है जिससे भारत की चिंताएं बढ़ गई हैं। दरअसल चीन भारत के पड़ोसी श्रीलंका पर अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है और इसमें वह कामयाब होता भी दिख रहा है। हालिया चिंता एक चीनी अनुसंधान पोत शि यान 6 को लेकर है। चीन इसे शोध और अनुसंधान पोत कहता है लेकिन भारतीय और अमेरिकी विशेषज्ञों का मानना है कि यह जहाज जासूसी करने में सक्षम है।
यह चीनी पोत हिंद महासागर में प्रवेश कर गया है और इसके श्रीलंका के कोलंबो बंदरगाह पर लंगर डालने की संभावना है। हालांकि भारत ने पहले से ही श्रीलंका के समक्ष अपनी चिंता जाहिर कर दी है और श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी की मानें तो नई दिल्ली द्वारा सुरक्षा चिंताएं उठाए जाने के बाद श्रीलंका ने चीनी जहाज को रुकने की अनुमति नहीं दी है। लेकिन अब भी इसे लेकर संशय है। चीनी जासूसी जहाज के श्रीलंका में रुकने को लेकर न सिर्फ भारत बल्कि अमेरिका भी चिंतित है।
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार शि यान 6 जहाज का वर्तमान में हिंद महासागर में 90 ईस्ट रिज पर है और यह श्रीलंका की ओर बढ़ रहा है। पोत के अक्टूबर और नवंबर में श्रीलंकाई विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में संयुक्त सैन्य वैज्ञानिक अनुसंधान करने की संभावना है। यह समुद्र का वह क्षेत्र है जिसमें श्रीलंका के पास अन्वेषण के संबंध में अधिकार हैं। श्रीलंका की राष्ट्रीय जलीय संसाधन अनुसंधान और विकास एजेंसी (एनएआरए) से संबद्ध शोधकर्ताओं द्वारा शि यान 6 पर एक वैज्ञानिक अभियान शुरू करने की उम्मीद है। उनका प्राथमिक उद्देश्य ईईजेड और दक्षिणी हिंद महासागर के क्षेत्र को शामिल करते हुए एक व्यापक सर्वेक्षण करना है।
चीनी अनुसंधान पोत एक 60 सदस्यीय चालक दल वाला 'वैज्ञानिक अनुसंधान पोत' है। कई विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स ये बता चुकी हैं कि चीनी "अनुसंधान जहाजों" के आमतौर पर "दोहरे उद्देश्य" होते हैं। भले ही प्राथमिक उद्देश्य वैज्ञानिक अन्वेषण है लेकिन चीन इसकी आड़ में भू-राजनीतिक उद्देश्यों के लिए पोत के माध्यम से खुफिया जानकारी जुटाता है। क्षिणी भारत से श्रीलंका बेहद नजदीक है और इस क्षेत्र में होने वाली भारतीय सैन्य गतिविधियों को यह चीनी पोत ट्रैक करने में सक्षम है। इसे लेकर ही भारत परेशान है और समुद्री सुरक्षा के मुद्दे पर भारत कई बार श्रीलंका के सामने चिंता जता चुका है।
दूसरी तरफ अमेरिका ने भी जहाज को लेकर श्रीलंका के समक्ष चिंता व्यक्त की है। हाल ही में एक बैठक के दौरान, अमेरिकी राजनीतिक मामलों की अवर सचिव विक्टोरिया नुलैंड ने श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी के साथ शि यान 6 की आगामी यात्रा पर चर्चा की। रिपोर्ट्स के अनुसार श्रीलंका के विदेश मंत्री ने नूलैंड को बताया कि श्रीलंका एक "मानक संचालन प्रक्रिया" का पालन करेगा, जिसे सरकार ने हाल ही में श्रीलंकाई जल क्षेत्र में आने वाले सभी विदेशी जहाजों और अपने क्षेत्र में किसी भी गतिविधि को अंजाम देने वाले विमानों के लिए बनाया है।