नई दिल्ली: अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने बुधवार को कहा कि चीन की दिग्गज रियल एस्टेट डेवलपर एवरग्रैंड की कर्ज की समस्याएं चीन तक ही सीमित लग रही हैं और उसका असर अमेरिकी कारोबारी क्षेत्र पर नहीं पड़ेगा.
ऐसे में यह समझना बहुत जरूरी हो जाता है कि एवरग्रैंड क्या है और ऐसा क्या हुआ है कि अमेरिका तक उसके प्रभाव से चिंतित है.
क्या है एवरग्रैंड के संकट का कारण?
एवरग्रैंड दुनिया की सबसे बड़ी कर्जदार रियल एस्टेट डेवलपर है और दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गई है, जिसका असर चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ना तय है.
1996 में गठन के बाद चीन की सबसे बड़ी कंपनियों में से बनने के लिए एवरग्रैंड ने किफायती दरों पर बिल्डिंगें मुहैया कराने पर जोर देते हुए आक्रामक तौर पर अपना विस्तार किया और 221 खरब रुपये का कर्ज लिया, जो कि फिनलैंड की जीडीपी के बराबर है.
हालांकि, पिछले साल चीन ने बड़े रियल एस्टेट डेवलपर्स मालिकों की संपत्ति को नियंत्रित करने के लिए नया कानून लेकर आया था.
नए उपायों के कारण एवरग्रैंड को बड़ी छूट देते हुए अपनी संपत्तियां बेचनी पड़ीं ताकि उसका कारोबार चलता रहे. हालांकि, अब वह अपने कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए भी संघर्ष कर रहा है. इस हफ्ते वह 83.5 मिलियन डॉलर का ब्याज चुका पाने में नाकाम रहा.
इन अनिश्चितताओं का परिणाम यह हुआ कि इस साल एवरग्रैंड के शेयरों के दान 80 फीसदी तक गिर गए. वहीं, वैश्विक क्रेडिट रेटिंग्स एजेंसियों ने भी इसके बॉन्ड को डाउनग्रेड कर दिया.
कितना होगा असर?
बहुत से लोगों एवरग्रैंड की संपत्तियों को बिल्डिंग का काम शुरू होने से पहले ही खरीद लिया है. उन्होंने पैसे जमा कर दिए हैं और उनके पैसे डूबने के पूरे चांस हैं.
इसके साथ ही एवरग्रैंड के साथ कारोबार करने वाली कंस्ट्रक्शन, डिजाइन और सामग्री आपूर्तिकर्ताओं के भी दिवालिया होने की आशंकाएं जताई जा रही हैं.
हालांकि, सबसे बड़ा प्रभाव चीन की आर्थिक प्रणाली पर पड़ेगा क्योंकि एवरग्रैंड ने करीब 171 घरेलू बैंकों और 121 अन्य वित्तीय संस्थाओं से कर्ज लिया है. अगर एवरग्रैंड दिवालिया होता है तो इससे कर्ज देने वाली इन संस्थाओं को कटौती करनी पड़ सकती है.
इससे किफायती दरों पर कर्ज चाहने वाली कंपनियों के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी. इससे विदेशी निवेशक भी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन में अपना पैसा लगाने से बचने लगेंगे.
शुरुआत कैसे हुई और कितना फैला है कारोबार?
62 वर्षीय कारोबारी हुइ का यान ने 1996 में दक्षिणी ग्वांगझाउ शहर में एवरग्रैंड की स्थापना की थी और किफायती घर बनाकर अपना सफर शुरू किया था.
फिलहाल, एवरग्रैंड के चीन के 280 से अधिक शहरों में 1300 से अधिक प्रोजेक्ट हैं. साल 2020 तक इसने सालाना 100 अरब डॉलर से अधिक का कारोबार खड़ा किया था.
हालांकि, इसका कारोबार सिर्फ रियल एस्टेट तक ही नहीं बल्कि वेल्थ मैनेजमेंट प्रोडक्ट, इलेक्ट्रिक कारों, सॉसर, खाद्य और पेय पदार्थ बनाने तक फैला हुआ है. यही नहीं यह देश की सबसे बड़ी फुटबाल टीम ग्वांगझाउ एफसी की मालिक भी है.
फोर्ब्स के अनुसार, साल 2017 में हुइ 45.3 अरब ड़लर के साथ एशिया के सबसे अमीर कारोबारी थे. फिलहाल उनकी कुल संपत्ति करीब 13.4 अरब डॉलर की रह गई है.