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चीन, अमेरिका ने बाइडन के कार्यकाल में सैन्य स्तर की पहली वार्ता की, अफगान संकट पर चर्चा

By भाषा | Updated: August 28, 2021 20:24 IST

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चीन और अमेरिका ने इस साल जनवरी में राष्ट्रपति जो बाइडेन के सत्ता में आने के बाद अपने पहले दौर की सैन्य-स्तरीय वार्ता के दौरान अफगानिस्तान में तेजी से बदल रहे हालात पर चर्चा की। मीडिया की एक खबर में ऐसा कहा गया है। अंतरराष्ट्रीय सैन्य सहयोग के लिए पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ऑफिस के उप निदेशक मेजर जनरल हुआंग जुएपिंग ने पिछले हफ्ते अपने अमेरिकी समकक्ष माइकल चेज के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बातचीत की। हांगकांग के अखबार ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ ने सैन्य अधिकारियों के हवाले से कहा है, ‘‘अफगानिस्तान संकट, सबसे जरूरी मुद्दों में से एक है जिस पर चर्चा करने की आवश्यकता है...चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने (इस साल की शुरुआत में) अलास्का वार्ता में इस मुद्दे को उठाया था, लेकिन उनके अमेरिकी समकक्ष ने इसे नजरअंदाज कर दिया।’’ बाइडन के सत्ता में आने के बाद मार्च में अमेरिका और चीन ने अलास्का में अपनी पहली उच्च स्तरीय वार्ता की, जहां वांग और शीर्ष चीनी राजनयिक यांग जिएची ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन के साथ बातचीत की। चीनी अधिकारी ने कहा, ‘‘चीनी सेना ने बीजिंग में अमेरिकी दूतावास में रक्षा अताशे के माध्यम से मध्यम-स्तरीय सैन्य संवाद माध्यम बनाए रखा है, और (पिछले सप्ताह की बातचीत में) पहली बार वरिष्ठ अधिकारियों ने बातचीत फिर से शुरू की है।’’ वांग और चीन के विदेश नीति प्रमुख यांग ने मार्च में अलास्का में अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन से मुलाकात की थी तब चीन ने अफगानिस्तान के बारे में खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान करने की उम्मीद की थी क्योंकि बीजिंग का मानना था कि अगर अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपने सभी सैनिकों को वापस बुला लिया तो स्थिति जटिल और जोखिम भरी हो जाएगी। चीनी सैन्य अधिकारी के हवाले से खबर में कहा गया है, ‘‘अगर अमेरिका और चीन, अफगानिस्तान के जोखिम आकलन को लेकर बातचीत शुरू कर देते तो इससे दोनों देशों को इतना नुकसान नहीं होता। चीन ने तीन महीने पहले अपने लगभग सभी नागरिकों को निकाल लिया।’’ चीनी अधिकारी ने कहा, ‘‘चीन को इस बात की चिंता है कि चरमपंथी ताकतें, खासकर ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट(ईटीआईएम) अफगानिस्तान में अराजकता के बीच अपनी शक्ति और प्रभाव का विस्तार करेगी, जिसे रोकने के लिए चीन, अमेरिका और अन्य देशों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।’’ काबुल हवाई अड्डे पर बृहस्पतिवार को इस्लामिक स्टेट के हमले में 169 अफगान नागरिकों और 13 अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गयी। चीन ने काबुल धमाकों पर शोक प्रकट करते हुए शुक्रवार को कहा कि अफगानिस्तान में सुरक्षा की स्थिति अब भी ‘‘जटिल और गंभीर’’ बनी हुई है और आतंकवादी खतरों से निपटने के लिए अंतररराष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करने की पेशकश की। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में तालिबान का नाम लिए बिना कहा, ‘‘हम आशा करते हैं कि संबंधित पक्ष अफगानिस्तान में हालात को बदलना सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी उपाय करेंगे और अफगान लोगों तथा विदेशी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे।’’ चीन और अमेरिका के बीच ताइवान और दक्षिण चीन सागर समेत कई मुद्दों पर तनाव है। कोरोना वायरस के शुरुआती स्थल, तिब्बत, शिनजियांग और हांगकांग मुद्दे भी दोनों देशों के बीच गतिरोध का कारण है। शुक्रवार को चीनी रक्षा मंत्रालय ने अमेरिकी नौसेना के दो जहाजों के ताइवान खाड़ी से गुजरने को ‘‘भड़काऊ कदम’’ बताया जबकि अमेरिका ने इसे नियमित अभियान का हिस्सा करार दिया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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