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ड्रैगन की घेराबंदी: अमेरिका ने दिया भारत का साथ, सीनेट में एक प्रस्ताव पेश, कई देश आएं साथ

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 15, 2020 18:45 IST

प्रस्ताव में विवाद के राजनयिक समाधान का आह्वान किया गया है. यह प्रस्ताव सीनेट में बहुमत पक्ष रिपब्लिकन पार्टी के व्हिप सीनेटर जॉन कोर्निन और खुफिया मामलों की सीनेट की स्थायी समिति के प्रमुख सदस्य मार्क वार्नर ने गुरुवार को पेश किया.

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ठळक मुद्देसीनेट के प्रस्ताव के पहले पिछले महीने हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव (प्रतिनिधि सभा) में भी ऐसा ही संकल्प पेश किया गया था.मैं चीन के खिलाफ खड़े होने और भारत-प्रशांत क्षेत्र के स्वतंत्र एवं मुक्त रखने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की प्रशंसा करता हूं. 20 भारतीय जवानों की जान चली गई थी, को विवादित क्षेत्र में बीजिंग के उकसावे की कार्रवाई के प्रति खतरे की घंटी के तौर पर लेना चाहिए.

वाशिंगटनः दो प्रभावशाली अमेरिकी सीनेटरों के द्विदलीय समूह ने भारत और चीन के बीच स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति को बदलने के लिए चीन द्वारा अपनाई गई सैन्य आक्रामकता की निंदा की खातिर सीनेट में एक प्रस्ताव पेश किया है.

प्रस्ताव में विवाद के राजनयिक समाधान का आह्वान किया गया है. यह प्रस्ताव सीनेट में बहुमत पक्ष रिपब्लिकन पार्टी के व्हिप सीनेटर जॉन कोर्निन और खुफिया मामलों की सीनेट की स्थायी समिति के प्रमुख सदस्य मार्क वार्नर ने गुरुवार को पेश किया.

कोर्निन और वार्नर सीनेट इंडिया कॉकस के सह अध्यक्ष हैं. सीनेट के प्रस्ताव के पहले पिछले महीने हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव (प्रतिनिधि सभा) में भी ऐसा ही संकल्प पेश किया गया था. कोर्निन ने कहा कि सीनेट इंडिया कॉकस के सह संस्थापक के तौर पर मैं अमेरिका-भारत के बीच मजबूत रिश्तों के महत्व को जानता हूं. मैं चीन के खिलाफ खड़े होने और भारत-प्रशांत क्षेत्र के स्वतंत्र एवं मुक्त रखने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की प्रशंसा करता हूं.

पहले से कही अधिक अब जरूरी है कि हम अपने साझेदार भारत का समर्थन करें जो चीनी आक्रामकता के खिलाफ अपनी रक्षा कर रहा है. वार्नर ने कहा कि 15 जून को भारत और चीन के बीच संघर्ष, जिसमें 20 भारतीय जवानों की जान चली गई थी, को विवादित क्षेत्र में बीजिंग के उकसावे की कार्रवाई के प्रति खतरे की घंटी के तौर पर लेना चाहिए.

उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव चीन द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा को बदलने के लिए की गई कार्रवाई की निंदा करता है, खासतौर पर तब जब दोनों देशों के बीच राजनयिक स्तर पर वार्ता चल रही थी. साथ ही यह प्रस्ताव दोनों देशों को एलएसी पर अप्रैल 2020 की स्थिति बहाल करने के लिए राजनयिक समाधान के लिए प्रोत्साहित करता है.

वार्नर ने कहा कि अमेरिका की लंबे समय से भारत के साथ मजबूत साझेदारी रही है और दोनों देश लोकतांत्रिक मूल्यों को साझा करते हैं. उन्होंने कहा कि यह साझेदारी तब और महत्वपूर्ण हो जाती है, जब हम भारत-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त सुनिश्चित करने के लिए साथ काम कर रहे हैं.

इस बदलाव के निशान बीते दो महीनों के दौरान अमेरिका की तरफ से भारत के समर्थन में आए बयानों और दोनों मुल्कों के रक्षा और सुरक्षा से जुड़े नेताओं के बीच हुए संवाद में नजर आते हैं. अमेरिका के रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने एक कार्यक्र म के दौरान कहा कि भारत और चीन के सीमा तनाव में अमेरिका बारीकी से नजर बनाए हुए है.

इतना ही नहीं एस्पर ने अपने बयान को लेकर भारतीय मीडिया में छपी खबर को भी ट्वीट कर कहा कि अमेरिका वाकई काफी बारीकी से नजर बनाए हुए है. इससे पहले अमेरिकी रक्षा मंत्री एस्पर भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी फोन पर बात कर चुके हैं, जिसमें चीन के सीमा तनाव का मामला भी उठा था.

अमेरिकी रक्षा मंत्री का बयान भारत और अमेरिका की नौसेनाओं के बीच हिंद महासागर में हुए पासेक्स नौसैनिक अभ्यास के बाद आया. इस अभ्यास में अमेरिकी विमान वाहक पोत यूएसएस निमित्स और उसके कैरियर स्ट्राइक ग्रुप के जहाज तथा भारतीय नौसेना के आधा दर्जन से अधिक युद्धपोत शामिल हुए थे. महत्वपूर्ण है कि दक्षिण चीन सागर में चीन के खिलाफ सैन्य दबाव बढ़ाने में जुटे अमेरिका ने बीते कुछ हफ्ते के दौरान कई बार भारत को एक अहम रणनीतिक साझेदार करार दिया है.

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