भारत को अधिक कोविड-19 टीके नहीं भेजने पर बाइडन प्रशासन की आलोचना

By भाषा | Published: April 25, 2021 10:55 AM2021-04-25T10:55:37+5:302021-04-25T10:55:37+5:30

Biden administration criticized for not sending more Kovid-19 vaccines to India | भारत को अधिक कोविड-19 टीके नहीं भेजने पर बाइडन प्रशासन की आलोचना

भारत को अधिक कोविड-19 टीके नहीं भेजने पर बाइडन प्रशासन की आलोचना

(ललित के झा)

वाशिंगटन, 25 अप्रैल भारत जब अपने सबसे बुरे जन स्वास्थ्य संकट को झेल रहा है तब ऐसे समय में उसे अधिशेष कोविड-19 टीके नहीं भेजने के लिए बाइडन प्रशासन कई वर्गों की आलोचना का सामना कर रहा है। आलोचना करने वालों में डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य एवं समर्थक भी शामिल हैं।

भारतीय-अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने बाइडन प्रशासन से उन देशों के लिए एस्ट्राजेनेका टीके की खुराकें देने का आग्रह किया है जो फिलहाल कोविड-19 के घातक रूप से बढ़ते मामलों का सामना कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “जब भारत और दूसरी जगहों पर लोगों को मदद की बहुत जरूरत है तब हम टीकों को गोदाम में यूं ही नहीं रख सकते हैं, हमें उन्हें वहां पहुंचाना होगा जहां उनसे जानें बच सकती हैं।”

उन्होंने कहा, “अमेरिका के भंडार में हमारे पास एस्ट्राजेनेका टीके की करीब चार करोड़ खुराकें पड़ी हैं, ऐसा भंडार जिसका हम इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं और जो हमने मेक्सिको और कनाडा में कोविड-19 से लड़ने के लिए पहले ही खोल दिया है।”

कृष्णमूर्ति ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वायरस के प्रसार को रोकने और जन स्वास्थ्य तथा हमारी अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए, अमेरिका को इन टीकों को बाहर भेजने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, “मैं पूरे सम्मान लेकिन दृढ़ता से बाइडन प्रशासन से एस्ट्राजेनेका की लाखों खुराकों को कोविड-19 से अत्यधिक प्रभावित देशों को भेजने की अपील करता हूं जिनमें भारत, अर्जेंटीना और संभवत: अन्य देश शामिल हैं।”

शनिवार को भारत में कोरोना वायरस के 3,46,786 मामले सामने आने के बाद देश में संक्रमण के कुल मामले 1,66,10,481 हो गए जबकि 25 लाख से अधिक मरीज अब भी संक्रमण की चपेट में हैं।

ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूट की तन्वी मदान ने एक ट्वीट में कहा कि बाइडन प्रशासन पिछले कुछ महीनों में अर्जित साख को गंवा रहा है।

मदान ने कहा “भारत के लोगों ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री और ईरानी विदेश मंत्री के ट्वीट देखे हैं, रूस और चीन से मदद की पेशकश देखी है--ऐसे देश से भी जिससे उसकी शत्रुता है लेकिन उसे अमेरिका के किसी वरिष्ठ अधिकारी की तरफ से कोई पेशकश नहीं मिली है। बाइडन प्रशासन पिछले कुछ महीनों में हासिल साख को गंवा रहा है।”

बाइडन के राष्ट्रपति चुनाव अभियान का हिस्सा रही, भारतीय-अमेरिकी सोनल शाह ने कहा कि उन्होंने भारत में अपने परिवार के पांच सदस्यों को खो दिया है।

शाह ने कहा, “भारत में कोविड संकट बहुत भयावह है और यह अगर इससे भी ज्यादा भयावह हुआ तो यह एक मानवीय संकट बन जाएगा। हमारी सरकार को कुछ करने की जरूरत है। यह बहुत जल्द अन्य देशों में भी फैल जाएगा।”

हेरिटेज फाउंडेशन थिंक टैंक के जेफ एम स्मिथ ने कहा कि यह याद करना बहुत जरूरी है कि जब न्यूयॉर्क और अमेरिका के अन्य हिस्से 2020 के अंत में जन स्वास्थ्य आपदा का सामना कर रहे थे तब भारत सरकार ने घरेलू स्तर पर तमाम आलोचनाएं झेलने के बावजूद हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा पर से निर्यात प्रतिबंध हटा लिया था।

अमेरिका के एक शीर्ष जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ आशीष के झा ने वाशिंगटन पोस्ट में लिखा, “भारत में कोरोना वायरस की लहर उसकी स्वास्थ्य व्यवस्था को चरमरा देगी। अमेरिका मदद कर सकता है।”

उन्होंने लिखा, “अमेरिका, विश्व के प्राचीनतम लोकतंत्र की बारी है कि वह इस प्रमुख वैश्विक सहयोगी की मदद के लिए आगे आए।”

अंतराराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि वह भारत में गहराते स्वास्थ्य संकट से बहुत ज्यादा व्यथित हैं।

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