लाइव न्यूज़ :

भारतवंशी ने विकसित की नई प्रणाली जिससे मंगल ग्रह के खारे पानी से बनेगा ऑक्सीजन और ईंधन

By भाषा | Updated: December 1, 2020 19:18 IST

Open in App

वाशिंगटन, एक दिसंबर अमेरिका में भारतीय मूल के वैज्ञानिक के नेतृत्व वाली टीम ने एक नयी प्रणाली विकसित की जिसकी मदद से मंगल ग्रह पर मौजूद नमकीन पानी से ऑक्सीजन और हाइड्रोजन ईंधन प्राप्त किया जा सकता है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि इस प्रणाली से भविष्य में मंगल ग्रह और उसके आगे अंतरिक्ष की यात्राओं में रणनीतिक बदलाव आएगा।

अनुसंधानकर्ताओं ने रेखांकित किया कि मंगल ग्रह बहुत ठंडा है, इसके बावजूद पानी जमता नहीं है जिससे बहुत संभावना है कि उसमें बहुत अधिक नमक (क्षार) हो जिससे उससे हिमांक तापमान में कमी आती है।

उन्होंने कहा कि बिजली की मदद से पानी के यौगिक को ऑक्सजीन और हाइड्रोजन ईंधन में तब्दील करने के लिए पहले पानी से उसमें घुली लवन को अलग करना पड़ता है जो इतनी कठिन परिस्थिति में बहुत लंबी और खर्चीली प्रक्रिया होने के साथ मंगल ग्रह के वातावरण के हिसाब से खतरनाक भी होगी।

अनुसंधानकर्ताओं की इस टीम का नेतृत्व अमेरिका स्थित वाशिंगटन विश्वविद्यालय में प्रोफेसर विजय रमानी ने किया और उन्होंने इस प्रणाली का परीक्षण मंगल के वातावरण की परिस्थितयों के हिसाब से शून्य से 36 डिग्री सेल्सियस के नीचे के तापमान में किया।

रमानी ने कहा, ‘‘मंगल की परिस्थिति में पानी को दो द्रव्यों में खंडित करने वाले हमारा ‘इलेक्ट्रोलाइजर’ मंगल ग्रह और उसके आगे के मिशन की रणनीतिक गणना को एकदम से बदल देगा। यह प्रौद्योगिकी पृथ्वी पर भी सामान रूप से उपयोगी है जहां पर समुद्र ऑक्सीजन और ईंधन (हाइड्रोजन) का व्यवहार्य स्रोत है।’’

उल्लेखनीय है कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंस नासा द्वारा भेजे गए फिनिक्स मार्स लैंडर ने 2008 में मंगल पर मौजूद पानी और वाष्प को पहली बार ‘छुआ और अनुभव’ किया था। लैंडर ने बर्फ की खुदाई कर उसे पानी और वाष्प में तब्दील किया था।

उसके बाद से यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के मार्स एक्सप्रेस ने मंगल ग्रह पर कई भूमिगत तलाबों की खोज की है जिनमें पानी मैग्निशियम परक्लोरेट क्षार की वजह से तरल अवस्था में है।

रमानी की टीम द्वारा किए गए अनुसंधान को जर्नल प्रोसिडिंग ऑफ नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस (पीएनएएस) में जगह दी गई है। अनुसंधानकर्ताओं ने रेखांकित किया कि मंगल ग्रह पर अस्थायी तौर पर भी रहने के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को पानी और ईंधन सहित कुछ जरूरतों का उत्पादन लाल ग्रह पर ही करना पड़ेगा।

नासा का पर्सविरन्स रोवर इस समय मंगल ग्रह की यात्रा पर है और वह अपने साथ ऐसे उपकरणों को ले गया है जो उच्च तापमान आधारित विद्युत अपघटन (इलेक्ट्रालिसिस) का इस्तेमाल करेंगे।

हालांकि, रोवर द्वारा भेजे गए उपकरण ‘मार्स ऑक्सीजन इन-सिटू रिर्सोस यूटिलाइजेशन एक्सपेरिमेंट’ (मॉक्सी) वातावरण से कार्बन डॉइ ऑक्साइड लेकर केवल ऑक्सीजन बनाएगा।

अनुसंधानकर्ताओं का दावा है कि रमानी की प्रयोगशाला में तैयार प्रणाली, मॉक्सी के बराबर ऊर्जा इस्तेमाल कर 25 गुना अधिक ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकती है, इसके साथ ही यह हाइड्रोजन ईंधन का भी उत्पादन करती है जिसका इस्तेमाल अंतरिक्ष यात्री वापसी के लिए कर सकते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतLokmat Parliamentary Award 2025: 4 राज्यसभा सांसदों को मिला लोकमत पार्लियामेंटरी अवार्ड 2025, सुधा मूर्ति, डोला सेन, संजय सिंह और दिग्विजय सिंह

भारतInsurance: संसद में 'सबका बीमा सबकी रक्षा' विधेयक पारित, जानिए क्या है ये बीमा और कैसे मिलेगा लाभ

भारतLokmat Parliamentary Award 2025: 4 लोकसभा सांसदों को मिला लोकमत पार्लियामेंटरी अवार्ड 2025, इकरा चौधरी, संगीता सिंह, जगदंबिका पाल और टी.आर. बालू

भारतLokmat National Conclave 2025: 'विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का अस्तित्व देश के आम नागरिकों के अधिकार, न्याय को सुनिश्चित करना है', पूर्व सीजेआई बीआर गवई बोले

भारतLokmat Parliamentary Award 2025: सदन में बुलंद की जनता की आवाज, संगीता सिंह देव को मिला 'बेस्ट वुमन पार्लियामेंटेरियन' का प्रतिष्ठित सम्मान

विश्व अधिक खबरें

विश्व1 जनवरी 2026 से लागू, 20 और देशों पर यात्रा प्रतिबंध?, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की घोषणा, देखिए सूची

विश्वIndia-Israel: विदेश मंत्री जयशंकर की इजरायली पीएम नेतन्याहू से मुलाकात, द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा

विश्वविदेशी धरती पर पीएम मोदी को मिला इथियोपिया का सर्वोच्च सम्मान, यह अवार्ड पाने वाले बने विश्व के पहले नेता

विश्वसोशल मीडिया बैन कर देने भर से कैसे बचेगा बचपन ?

विश्वऔकात से ज्यादा उछल रहा बांग्लादेश