पर्दे के पीछे लोग और संगठन विज्ञान एवं निर्णय प्रक्रिया को जोड़ते हैं

By भाषा | Published: June 27, 2021 05:26 PM2021-06-27T17:26:19+5:302021-06-27T17:26:19+5:30

Behind the scenes people and organizations link science and decision making | पर्दे के पीछे लोग और संगठन विज्ञान एवं निर्णय प्रक्रिया को जोड़ते हैं

पर्दे के पीछे लोग और संगठन विज्ञान एवं निर्णय प्रक्रिया को जोड़ते हैं

स्टीफन पोसनर, यूनिवर्सिटी ऑफ वर्मोंट और जेनिफर वाटलिंग नील, मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी

बर्लिंगटन/ईस्ट लांसिंग (अमेरिका), 27 जून (द कन्वरसेशन) समाज में विज्ञान का कभी अधिक महत्व नहीं रहा है। वैज्ञानिक नजरिया जटिल विषयों जैसे कोविड-19 महामारी, जलवायु परिवर्तन, उच्च शिक्षा तक पहुंच और व्यवस्थागत नस्लवाद को समझने में अहम रहा है।

बाइडन प्रशासन ने वादा किया है कि वह ‘‘विज्ञान की सुनेगा’’ और ‘‘विज्ञान की ताकत का इस्तेमाल करेगा।’’

लेकिन वैज्ञानिक सूचना वास्तव में अनुसंधानकर्ता से नीति निर्माता का रास्ता कैसे बनाती है? हमने व्यक्तियों और संगठनों का अध्ययन किया तथा पाया कि इन दोनों जहां के बीच वे मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं। सैकड़ों मामलों की समीक्षा करने के बाद हमने पाया कि मध्यस्थ न केवल विज्ञान का अनुवाद करते हैं बल्कि वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के बीच दो पक्षीय संबंध की सुविधा भी प्रदान करते हैं।

नीति निर्माताओं को जानकारी की प्राप्ति

मध्यस्थों को विभिन्न स्रोतों के माध्यम से वित्तपोषण प्रात होता है। वे विश्वविद्यालय, गैर लाभकारी संगठनों और सरकार के हो सकते हैं। मध्यस्थ हमेशा मौजूदा रहते हैं। हालांकि, वैज्ञानिक, नीति निर्माता और वित्तपोषण उनके महत्व को स्वीकार करते हैं और उनकी भूमिका को पेशेवराना बनाने की जरूरत है।

कई बार व्यक्ति या संगठन स्वभाविक रूप से वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के बीच सूचना के मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं, यह तब भी हो सकता है जब उनके कार्य का उल्लेख नहीं हो।

मिशिगन में, कांउटी स्तर के इटंरमीडिएट स्कूल जिले सरकारी निकाय होते हैं जो स्थानीय स्कूल जिलों को प्रशासनिक और निर्देशात्मक संसाधन मुहैया कराते हैं।

ये प्रशासनिक निकाय उन स्कूल जिलों के बारे में बहुत कुछ जानते हैं जिनकी सेवा वे कर रहे हैं और अकसर स्थानीय जिला एवं अनुसंधानकर्ताओं के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के लिए एक इंटरमीडिएट स्कूल जिला हाल में शोध आधारित साक्षरता कार्यक्रम की सूचना अन्य स्थानीय स्कूल जिलों को पाठ्यक्रम तैयार में मदद के लिए नवीनतम सूचना मुहैया कराता है।

अन्य समय, मध्यस्थों को परियोजना के हिस्से के रूप में या संगठन के भीतर ही नियुक्त किया जाता है जबकि अनुसंधानकर्ता ही केवल यह भूमिका निभा सकते हैं। यह विज्ञान और निर्णय लेने वाले नीति निर्माताओं को समर्पित कर्मचारी रखने में मदद करता है।

संबंध स्थापित करने में समय लगता है और अकादमिक जगत अकसर नीतियों के साथ संबद्ध अनुसंधानकर्ताओं को प्रोत्साहन नहीं देता।

यूनिवर्सिटी ऑफ वर्मोंट में गुंड इंस्टिट्यूट फॉर एनवायरन्मेंट ने पिछले दो साल से हमें मध्यस्थ के तौर पर नियुक्त किया है। पर्दे के पीछे के कार्यों में विधायी समितियों के समक्ष पक्ष रखने के लिए वैज्ञानिकों की व्यवस्था करना और अनुसंधानकर्ताओं तथा संघीय कार्यक्रमों (अमेरिकी सरकार) के संबंधित नेताओं के साथ बैठक की व्यवस्था करना शामिल है।

मध्यस्थों के कार्य का उस समय के मुद्दों जैसे खाद्य असुरक्षा से लेकर कोविड-19 महमारी और जल गुणवत्ता से स्कूली नीतियों का घोषणापत्र तक पर असर हो सकता है।

दो तरफा संवाद

आदर्श रूप में मध्यस्थ वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के बीच दो तरफा सूचना के प्रवाह में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए वे वैज्ञानिकों को बारिश की परिपाटी में बदलाव की योजना संबंधी अनुसंधान के बारे में नीति निर्माताओं को समझाते हैं जिन्हें समुदाय की सीमित जलापूर्ति के प्रबंधन के लिए इसकी जरूरत होती है। इसी प्रकार मध्यस्थ वैज्ञानिकों के जल अवसंरचना के बारे में जानकारी दे सकते हैं जिसका सामना नीति निर्माता कर रहे हैं।

यह अदान-प्रदान नीति निर्माताओं को सूचना के आधार पर फैसला लेने में मदद करता है और साथ ही वैज्ञानिकों को दुनिया के सामने वास्तविक सवाल और समस्या के हल के लिए अनुसंधान करने में मदद करता है।

लेकिन बिरला ही सूचना प्रवाह एक रेखा में या क्रम में होता है। मध्यस्थों को लगातार गतिशील संवाद पैदा करने की जरूरत होती है ताकि प्रभावशाली दो तरफा संवाद हो सके।

सौभाग्य से वैज्ञानिक, नीति निर्माता और वित्तपोषकों ने सरकार में बेहतर वैज्ञानिक सलाह के लिए अवसर पैदा कर या शिक्षा में अनुसंधान की हिस्सेदारी का इस्तेमाल कर इस कार्य में अपनी बढ़ती रुचि दिखाई है। ऐसी कोशिशें मध्यस्थों को, चल रहे दो तरफा संवाद की सुविधा देने, समान आधार बनाने और संबंधों को कायम रखने में सक्षम बनाती हैं।

विश्वास अहम हिस्सा

मध्यस्थों का सबसे अहम कार्य वैज्ञानिकों की मदद करने की प्रक्रिया के दौरान जनता के साथ संबंध बनाने और कायम करने में है ताकि वे नए विचारों के भरोसेमंद स्रोत बन सकें।

विश्वास केंद्रबिंदु है फिर चाहे निर्णय लेने वाले अनुसंधान के सबूत हों। वैज्ञानिकता की विश्वसनीयता भी अहम है। लोगों का ज्ञान के साथ संबंध भी इस बात को प्रभावित करता है जैसे वे उसका इस्तेमाल करने का फैसला करेंगे या नहीं। क्या फैसला लेने वाले सबूतों पर विश्वास करते हैं? कैसे अन्य सूचननाएं या गलत सूचनाएं वैज्ञानिक सबूतों के साथ प्रतिस्पर्धा करेंगी? और क्या सबूतों को समझना आसान है और निर्णय लेने वालों के मूल्यों के अनुकूल है?

वास्तविकता यह है कि भले निर्णय लेने वाले विज्ञान पर भरोसा करते हैं और ध्यान देते हैं लेकिन नीति बनाने के दौरान अन्य में से यह महज एक पहलू है।

कोविड-19 महामारी के दौरान स्कूलों को दोबारा खोलने की बहस के दौरान स्कूलों में विषाणु के फैलने के सबूत अपूर्ण थे। लोग विशेषज्ञों और निर्वाचित अधिकारियों से सवाल कर रहे थे। मध्यस्थों ने बहस के दोनों ओर सूचनाओं के आदान-प्रदान में भूमिका निभाई। हालांकि, कई प्रतिद्वंद्वी पहलुओं, विरोधाभासी मूल्यों और राजनीतिक हितों ने निर्णय को प्रभावित किया।

विज्ञान अकेले ही आगे बढ़ने का सदैव बेहतर रास्ता नहीं दिखाता। जन नेताओं को फैसले मूल्यों और नागरिकों के अनुरूप लेने चाहिए। भले लोग वैज्ञानिक तथ्यों से सहमत हों लेकिन विरोधाभासी मूल्यों के कारण असहमत भी हो सकते हैं।

लेकिन वैज्ञानिक मध्यस्थता विकल्प सुझाने, विचार करने का दायरा बढ़ाने और नीतिगत बहसों में अनुसंधान को हिस्सा बनाने में मदद कर सकती है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Behind the scenes people and organizations link science and decision making

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