किशोरों के लिए कोविड-19 रोधी टीके : गलत सूचनाओं के बीच ब्रिटेन के अभिभावकों को क्या जानना चाहिए?

By भाषा | Published: October 3, 2021 12:42 PM2021-10-03T12:42:12+5:302021-10-03T12:42:12+5:30

Anti-Covid-19 vaccines for teens: what UK parents need to know amid misinformation? | किशोरों के लिए कोविड-19 रोधी टीके : गलत सूचनाओं के बीच ब्रिटेन के अभिभावकों को क्या जानना चाहिए?

किशोरों के लिए कोविड-19 रोधी टीके : गलत सूचनाओं के बीच ब्रिटेन के अभिभावकों को क्या जानना चाहिए?

(माइकल हेड, सीनियर रिसर्च फेलो इन ग्लोबल हेल्थ, यूनिवर्सिटी ऑफ साउथेम्पटन)

साउथेम्पटन (ब्रिटेन), तीन अक्टूबर (द कन्वरसेशन) ब्रिटेन ने 12 से 15 आयु वर्ग के सभी बच्चों को फाइजर/बायोएनटेक के कोविड-19 रोधी टीके की एक खुराक देने की मंजूरी दी है और सबसे अधिक टीके स्कूलों में लगाए जा रहे हैं। स्कूल टीके की खुराक देने में मदद कर रहे हैं जिसमें सहमति की प्रक्रिया भी शामिल हैं। 16 साल से कम उम्र के बच्चों को टीके की खुराक देने के लिए अभिभावकों से मंजूरी लेने की आवश्यकता है।

दुर्भाग्यपूर्ण रूप से स्कूल, अभिभावक और किशोर टीकाकरण के विरोध में भ्रामक सूचना अभियान के झांसे में आ गए हैं। उदाहरण के लिए सितंबर 2021 में ब्रिटेन के कई स्कूलों में फर्जी टीका सहमति फॉर्म भेजा गया। राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) से मेल भेजे जाने का दावा किया गया और कुछ स्कूलों ने इसे सही मान लिया और इसे अभिभावकों को भेज दिया।

इस फॉर्म में कई गलत सूचनाएं थी और स्पष्ट रूप से इसे टीकों की सुरक्षा और प्रभाव कम बताकर अभिभावकों को स्वीकृति देने से रोकने के लिए बनाया गया था। अगर आपके बच्चे को कोविड-19 रोधी टीके की खुराक देने की पेशकश की जा रही है तो आपको यह बातें जाननी चाहिए।

टीके अत्यधिक सुरक्षित एवं प्रभावी हैं :

फर्जी फॉर्म में कहा गया है कि टीके कोविड-19 से संक्रमित पाए जाने वाले लोगों में इसके लक्षणों की गंभीरता कम कर सकते हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि यह संक्रमण फैलने से नहीं रोकता। हालांकि यह जानकारी पूरी तरह गलत नहीं है लेकिन भ्रमित करने वाली है।

सबूतों से स्पष्ट है कि टीके अस्पताल में भर्ती होने तथा मौत होने से रोकने के लिए अत्यधिक प्रभावी हैं और ये संक्रमण फैलने से रोकने में काफी कारगर हैं।

फर्जी फॉर्म में यह भी कहा गया है कि टीके की खुराक लेने के बाद 29,389 लोगों में से एक की मौत होने की आशंका है। इस बयान का सूत्र नहीं बताया गया है। ऐसी संभावना है कि यह दावा फर्जी है।

इस आंकड़े की गणना करने के लिए इस्तेमाल किए गए तथ्यों पर विचार करने से ऐसा लगता है कि एक ऑनलाइन टूल येलो कार्ड रिपोर्टिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है जहां लोग कोविड-19 रोधी टीका लेने के बाद प्रतिकूल असर (मौत समेत) की जानकारी दे सकते हैं। यह रिपोर्ट लिखने के समय टीके की नौ करोड़ 40 खुराक लेने वालों में से 1,682 लोगों की मौत हुई।

यह प्रणाली संभावित सुरक्षा समस्याओं का पता लगाने के लिए शानदार तरीका हो सकती है लेकिन लोगों को यह साबित करने की आवश्यकता नहीं है कि मौत होने का संबंध टीके की खुराक लेने से है। टीका लगवाने के बाद होने वाली मौत सभी तरह की अन्य वजहों से हो सकती है। ब्रिटेन के औषधि नियामक ने कहा है कि इन रिपोर्टों की उसकी समीक्षा से यह पता नहीं चलता कि टीकों की इन मौतों में कोई भूमिका है।

फर्जी फॉर्म में टीके के दुष्प्रभावों को लेकर भी दावा किया गया है। इनमें से कुछ झूठे हैं। ऐसा कोई सबूत नहीं है कि टीकों से दृष्टिहीनता या बधिरता होती है। अन्य दुष्प्रभाव आघात और खून के थक्कों का विकार है। लेकिन फॉर्म में यह जिक्र नहीं किया गया है कि ये दुष्प्रभाव बहुत दुर्लभ हैं।

खून के थक्के जमने की समस्या टीके की पहली खुराक लेने वाले प्रत्येक 10 लाख लोगों में से महज 15 में देखी गयी और यह समस्या एस्ट्राजेनेका के टीके में देखी गयी जो किशोरों को नहीं दिया जा रहा है।

फाइजर और मॉडर्ना के राइबोन्यूक्लिक एसिड (एमआरएनए) टीकों का एक और संभावित दुष्प्रभाव है जिसका जिक्र फर्जी फॉर्म में नहीं किया गया है और वह हृदय में सूजन की बीमारी है। अमेरिका से मिले शुरुआती आंकड़ों से पता चलता है कि यह बीमारी बहुत दुर्लभ है लेकिन साथ ही वयस्कों के मुकाबले किशारों में ज्यादा आम है और साथ ही पहली खुराक लेने की तुलना में दूसरी खुराक लेने के बाद ज्यादा आम है।

12 से 15 आयु वर्ग में फाइजर की दूसरी खुराक लेने वाले दस लाख लड़कों में से 43 में यह मामला पाया गया। 18 साल की आयु वर्ग में पाए गए ऐसे सभी मामलों का विश्लेषण करने के बाद अमेरिका के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र का मानना है कि किसी भी मामले में मौत नहीं हुई।

अत: टीके और हृदय में सूजन की बीमारी के बीच अधिक सूचना प्राप्त होने तक सरकार ब्रिटेन में 12 से 15 साल के बच्चों को फाइजर टीके की केवल एक खुराक दे रही है।

किशोरों के टीकाकरण का विरोध करने वाले लोगों की एक साझा शिकायत यह है कि बच्चों के कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार पड़ने या मौत होने का बहुत कम खतरा है। फर्जी सहमति फार्म में इस ओर इशारा किया गया है।

निश्चित तौर पर सरकार की टीका परामर्श समिति ने माना कि 12 से 15 साल की आयु के बच्चों में कोविड-19 रोधी टीकों के खतरे और फायदे के बीच सही संतुलन का पता लगाना बहुत मुश्किल है। इस आयु वर्ग में बीमारी का खतरा बहुत कम है और टीके के बहुत कम दुर्लभ दुष्प्रभाव हैं।

हालांकि, बच्चों की कोविड-19 से मौत हुई है। कोरोना वायरस से संक्रमित हुए बच्चे अस्पतालों में भर्ती हुए, लंबे समय तक उनमें लक्षण रहे, उनकी पढ़ाई बाधित हुई और उन्होंने संक्रमण फैलाया। ये सभी खतरे टीकाकरण से कम होते हैं।

यह लगभग अपरिहार्य है कि यह कोविड-19 महामारी स्थानिक होगी और यह आने वाले वर्षों तक मनुष्यों के बीच फैलती रहेगी। लोगों में इस महामारी से उच्च स्तर की सुरक्षा पैदा करना महत्वपूर्ण है। इस लक्ष्य को हासिल करने में टीकाकरण सबसे सुरक्षित तरीका है।

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