(डेवाल्ड शूमेन और बरट्राम सी फील्डिंग, यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न केप) केप टाउन, पांच सितंबर (द कन्वरसेशन) बीते एक साल से कुछ अधिक समय में आम लोगों को वायरस, टीके और प्रतिरक्षा प्रणाली के बारे में बहुत कुछ जानकारी मिली है। कोविड-19 रोधी टीके कितने सुरक्षित और प्रभावी हैं, इस बारे में भी काफी सारी जटिल एवं विशेष जानकारी हमने आत्मसात की। हालांकि टीकों का एक बेहद अहम और सकारात्मक पहलू भी है जिसके बारे में अधिक जानकारी लोगों को नहीं मिल पाई है। कोविड रोधी टीके की प्रभावशीलता के बारे में जो आंकड़े बताए गए हैं वे प्रतिरोधक क्षमता के केवल एक पहलू- एंटीबॉडी पर केंद्रित होते हैं, लेकिन इसका एक और पहलू है- टी कोशिकाएं। टी कोशिकाएं हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली का अहम हिस्सा हैं। अच्छी बात यह है कि वर्तमान टीके सार्स-सीओवी2 वायरस तथा दीर्घकालिक दौर में उभरने वाले इसके अन्य स्वरूपों के खिलाफ लड़ाई के लिए टी कोशिकाओं को सक्रिय करते हैं। आईये देखते हैं कि हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली किस प्रकार से काम करती है: प्रतिरक्षा प्रणाली बैक्टीरिया, वायरस, फंगस या परजीवियों से होने वाले विविध संक्रामक रोगों से हमारी रक्षा करती है। प्रणाली पहले यह देखती है कि संक्रमण करने का जिम्मेदार, रोगाणु कौन है। उसके मुताबिक यह उचित प्रतिक्रिया करती है और इसी बीच स्मृति कोशिकाएं उत्पन्न करती है और ये कोशिकाएं भविष्य में भी रोगाणु को पहचान लेती हैं। इस तरह प्रतिरक्षा तंत्र पुन: संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार हो जाता है। प्रतिरक्षा तंत्र तय करता है कि वायरल रोधी प्रतिक्रिया की जरूरत है तो वह दो तरह की रोग प्रतिरोधक प्रतिक्रिया देता है- पहला तो एंटीबॉडी के जरिए और दूसरा टी-कोशिकाओं के जरिए। एंटीबॉडी वायरस से चिपककर उन्हें निष्प्रभावी करता है और अन्य कोशिकाओं को संक्रमित करने से उन्हें रोकता है। इस बीच टी-कोशिकाएं उन कोशिकाओं को खत्म करती हैं जिन्हें वायरस ने संक्रमित किया है। दोनों किस्म की प्रतिरोधक क्षमता वायरस से लड़ाई में अहम होती हैं। वायरस के खिलाफ शक्तिशाली हथियार अध्ययन में पता चला है कि कोशिकाओं के जरिए मिलने वाला बचाव, प्रतिरोधक क्षमता सार्स-सीओवी2 या कोरोना वायरस के खिलाफ एक महत्वपूर्ण हथियार है। एक अध्ययन में पता चला कि सार्स कोरोना वायरस के खिलाफ टी कोशिकाओं वाली प्रतिरक्षा 11 वर्ष तक कायम रहती है। यह सार्स के खिलाफ संपूर्ण, प्रभावी और दीर्घकालिक बचाव देती हैं। हाल का एक अध्ययन बताता है कि ऐसे टीकों के विकास पर अधिक ध्यान देना चाहिए जो एंटीबॉडी विकसित करने में सक्षम हों और सार्स सीओवी2 तथा इसके स्वरूपों के खिलाफ मुख्य रूप से कोशिका आधारित प्रतिक्रिया को सक्रिय करती हों। कई अध्ययनों में पता चला है कि सार्स सीओवी2 के विविध स्वरूप निष्प्रभावी करने वाली एंटीबॉडी से बचकर निकल सकते हैं लेकिन कोविड रोधी टीकों से सक्रिय होने वाली कोशिका आधारित प्रतिक्रिया प्रभावी बनी रहती है। अध्ययन बताते हैं कि टीकों से उत्पन्न होने वाली एंटीबॉडी का स्तर समय के साथ घट जाता है। फाइजर और जॉनसन ऐंड जॉनसन के टीकों से मिलने वाली प्रतिरोधक क्षमता कम से कम छह महीने बनी रहती है।
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