संयुक्त राष्ट्र दूत ने अफगानिस्तान को लेकर जताई बड़ी चिंता, कहा- सार्वभौमिक गरीबी की कगार पर पहुंच सकता है देश

By दीप्ती कुमारी | Updated: September 10, 2021 14:03 IST2021-09-10T13:56:48+5:302021-09-10T14:03:23+5:30

संयुक्त राष्ट्र की ओर से अफगानिस्तान में उपजे हालात को लेकर एक नयी समस्या को लेकर चिंता जताई है । संयुक्त राष्ट्र के अनुसार देश के हालात के कारण देशवासी सार्वभौमिक गरीबी की कगार पर आ सकते हैं ।

afghanistan on brink of universal poverty millions will be affected un envoy | संयुक्त राष्ट्र दूत ने अफगानिस्तान को लेकर जताई बड़ी चिंता, कहा- सार्वभौमिक गरीबी की कगार पर पहुंच सकता है देश

फोटो सोर्स - सोशल मीडिया

Highlightsसंयुक्त राष्ट्र दूत ने अफगानिस्तान में भूखमरी की चिंता जताईवैश्विक स्तर पर मदद करने की किया आह्वान ताकि लोग भूखे न रहेंसंयुक्त राष्ट्र ने देश से पलायन की चिंता भी व्यक्त की

काबुल : अफगानिस्तान में पैसे के बिना "अर्थव्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था के पूर्ण रूप से टूटने" का खतरा है और यह लाखों और अफगानों को गरीबी और भूख में धकेल सकता है । संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत डेबोरा लियोन ने गुरुवार को दुनिया के सामने अफगान अर्थव्यवस्था के पतन को रोकने के लिए एक साथ आने का आग्रह किया और इस आशंका को दूर किया कि तालिबान का इस्लामिक राज्य उसके पड़ोसियों में फैल सकता है ।

ल्योंस ने कहा कि अफगानिस्तान में बिगड़ते मानवीय संकट को अब विश्व स्तर पर संबोधित किया जाना चाहिए । इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी दी है कि अफगान संपत्ति में अरबों डॉलर की फ्रीजिंग के कारण एक और "संकट आने वाला है"। ल्योंस ने कहा कि फ्रीज "एक गंभीर आर्थिक मंदी का कारण बनेगा, जो कई और लाखों को गरीबी और भूख की ओर धकेल सकता है" और शरणार्थियों के पलायन को बढ़ावा दे सकता है । दरअसल कई देशों और वैश्विक संस्थाओं ने अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण के बाद लेन-देन बंद कर दिया है । 

सुरक्षा परिषद की ओर से कहा गया कि "अर्थव्यवस्था को कुछ और महीनों के लिए अच्छी तरह से चलाने की जरूरत है ताकि तालिबान की नियत का पता चल सके ।  इस बार चीजों को अलग तरह से करने की वास्तविक इच्छा, विशेष रूप से मानवाधिकार, लिंग और आतंकवाद विरोधी दृष्टिकोण सेबेहद जरूरी है ।

ल्योंस ने कहा कि बड़े पैमाने पर मानवीय राहत प्रदान करने के तरीके खोजने चाहिए । उन्होंने कहा, "अर्थव्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था को पूरी तरह से टूटने से बचाने" के लिए अफगानिस्तान में धन के प्रवाह की अनुमति देने की भी आवश्यकता है । हालांकि यह सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा उपायों का निर्माण करते हुए कि तालिबान अधिकारियों द्वारा धन का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए । 

अफगानिस्तान के केंद्रीय बैंक के 9 अरब डॉलर के भंडार, जिनमें से अधिकांश संयुक्त राज्य अमेरिका में हैं, पूर्व पश्चिमी समर्थित सरकार के पतन के बाद जमे हुए थे । अमेरिकी वित्त विभाग ने कहा कि वह तालिबान के प्रतिबंधों में ढील नहीं दे रहा है या वैश्विक वित्तीय प्रणाली तक इस्लामी समूह की पहुंच पर प्रतिबंधों में ढील नहीं दे रहा है। अफ़ग़ानिस्तान को भी 23 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से लगभग 450 मिलियन डॉलर का उपयोग करना था लेकिन आईएमएफ ने एक नई सरकार के बारे में "स्पष्टता की कमी" के कारण मना कर दिया । 

उसने यह भी चेतावनी दी कि तालिबान पहले से ही अल कायदा के सदस्यों का "स्पष्ट रूप से स्वागत और आश्रय" दे चुका है और इस्लामिक स्टेट के चरमपंथी सक्रिय हैं "और ताकत हासिल कर सकते हैं।" उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा कि उसे यह तय करना होगा कि तालिबान सरकार के 33 सदस्यों में से कई के साथ कैसे जुड़ना है जबकि प्रधान मंत्री, दो उप प्रधानमंत्रियों और विदेश मंत्री सहित संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों की काली सूची में हैं ।
 

Web Title: afghanistan on brink of universal poverty millions will be affected un envoy

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