लखनऊ: जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में आतंकियों के साथ हुए दो अलग-अलग मुठभेड़ में 8 भारतीय जवान शहीद हो गए हैं। इनमें से दो शहीद जवान उत्तर प्रदेश के निवासी हैं। एक यूपी के बुलंदशहर के रहने वाले 21 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल आशुतोष शर्मा हैं। दूसरे गाजीपुर निवासी सीआरपीएफ जवान अश्विनी कुमार यादव। दोनों शहीदों को उत्तर प्रदेश की सरकार से मिलने वाली मदद को लेकर सोशल मीडिया पर सवाल उठने लगे हैं। सोशल मीडिया पर योगी आदित्यनाथ पर शहीदों को मदद देने में जातिगत भेदभाव करने का आरोप लगाया जा रहा है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इन आरोपों का खंडन किया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ऑफिस से किए गए ट्वीट में लिखा है, ''राज्य सरकार ने पहले ही घोषणा कर रखी है कि सेना व अर्धसैनिक बलों के शहीद की पत्नी एवं आश्रितों को राज्य सरकार की तरफ से 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता के साथ ही परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और गांव की सड़क का नामकरण शहीद के नाम पर किया जाएगा। CM योगी आदित्यनाथ।''
एक अन्य ट्वीट में लिखा गया है, सभी शहीदों को पुनः नमन, हमें एवं पूरे देश को आप पर गर्व है : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।
जानें क्या था पूरा विवाद
असल में पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर यूपी सरकार के ऑफिस के ट्विटर हैंडल से किए गए दो ट्वीट वायरल हो रहे हैं। जिसमें दोनों शहीद हुए जवान के बारे में लिखा गया है। पहला ट्वीट - 'मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने ग्राम परवाना, तहसील सियाना, जनपद बुलन्दशहर के निवासी शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा के परिवार को ₹50 लाख का आर्थिक सहयोग देने तथा एक परिजन को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है। कर्नल आशुतोष की स्मृति में उनके पैतृक गांव में ‘गौरव द्वार’ का निर्माण भी होगा।'
दूसरा ट्वीट- 'सीएम योगी आदित्यनाथ जी ने जनपद गाजीपुर निवासी सीआरपीएफ के जवान श्री अश्विनी यादव की शहादत नमन करते हुए उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। शोक की इस घड़ी में राज्य सरकार शहीद के परिवार के साथ है, सरकार द्वारा परिवार को हरसंभव मदद प्रदान की जाएगी।'
इन दोनों ट्वीट का कोलाज बनाकर लोग शेयर कर रहे हैं। इसके साथ ही सीएम योगी पर जातिगत आधार पर भेदभाव करने के आरोप लगा रहे हैं। देखें ट्विटर पर लोगों की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर ऐसी प्रतिक्रियाएं देखने के बाद आज (6 मई) को सीएम ऑफिर की तरह से ट्वीट कर बता दिया गया है कि राज्य में किसी भी शहीद हुए जवान को एक समान देखा जाता है। जाति, धर्म या जगह के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता है।