व्हाट्सऐप पर फेक वीडियो देखने के बाद मां व बच्चों ने 4 दिन तक किया पेशाब का सेवन, जानें क्या है मामला
By अनुराग आनंद | Updated: February 17, 2021 14:41 IST2021-02-17T14:29:32+5:302021-02-17T14:41:58+5:30
लंदन में एक फेक व्हाट्सऐप वीडियो का शिकार एक महिला हो गई। इसके बाद महिला व उसके बच्चे ने 4 दिनों तक अपने पेशाब का सेवन किया। जानें मां व बच्चे ने ऐसा क्यों किया?

सांकेतिक तस्वीर (फोटो साभार knowpathology ब्लॉग)
लंदन: ब्रिटेन में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक महिला ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो को सही मान लिया। इसके बाद महिला ने कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए 4 दिनों तक पेशाब का सेवन किया।
न्यूज 18 के मुताबिक, महिला ने कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए अपने बच्चों को भी पेशाब सेवन करने का सुझाव दिया। हेल्थवॉच सेंट्रल हेल्थ लंदन ने एक हालिया रिपोर्ट में इस बात का जिक्र करते हुए कहा है कि किस तरह से एक परिवार सोशल मैसेजिंग साइट व्हाट्सऐप पर फैली हुई फर्जी खबरों के शिकार हो गए।
व्हाट्सऐप पर फॉरवर्ड मैसेज पर महिला ने किया भरोसा-
लंदन की रहने वाली महिला ने बताया कि उसने अपने एक दोस्त से व्हाट्सऐप पर फॉरवर्ड किए गए मैसेज में देखा कि पेशाब पीने से कोरोना वायरस संक्रमण होने का खतरा नहीं है। ऐसे में उसने उस मैसेज पर भरोसा करके अपने पेशाब को पीने का फैसला लिया।
मीडिया रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि महिला कोरोनोवायरस वैक्सीन में विश्वास नहीं करती थी और उसे यकीन था कि बिल और मेलिंडा गेट्स ने वैक्सीन को तैयार करने में कहीं न कहीं तय मानकों से समझौता किया है। महिला को लगता था कि परिवार कोरोनावायरस वैक्सीन की वजह से संकट में पड़ सकता है।
कोरोनो वायरस के लिए 'पारंपरिक' इलाज में विश्वास करती थी महिला-
महिला ने WCHL को बताया कि वह वैक्सीन में विश्वास नहीं करती थी, बल्कि कोरोनो वायरस के लिए 'पारंपरिक' इलाज में विश्वास करती थी।
कथित तौर पर महिला ने अपना मूत्र खुद पिया और अपने बच्चों को चार दिनों तक पेशाब सेवन कराया। लेकिन, इसके बाद उन्हें महसूस हुआ कि कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए यह तरीका सही नहीं है।
रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि महामारी के इस समय में कोरोना से बचने के कई फेक तरीके बताए जा रहे हैं। इन तरीकों को रोकने व इसकी सच्चाई क्या है, यह लोगों को बताने की जरूरत है।
महिला को आधिकारिक चैनलों पर संक्रमण को लेकर दिखाई जा रही खबरों पर भरोसा नहीं था-
इस घटना का जिक्र करते हुए यह बताने की कोशिश की गई है कि सोशल मीडिया पर किस तरह से फेक न्यूज सर्कुलेट हो रहे हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फेक न्यूज से पीड़ित महिला ने कहा कि उसे संचार के आधिकारिक चैनल के प्रति भी विश्वास की कमी थी और संभव है कि इस वजह से सोशल मीडिया पर आए इस फेक मैसेज में "पारंपरिक इलाज" के तरीके ने उसे प्रभावित किया और वह शिकार हो गई।
ब्रिटेन में कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन
यह मामला तब सामने आया है जब ब्रिटेन में अभी भी COVID-19 महामारी तेजी से फैल रहा है और यहां उच्च COVID-19 संक्रमण दर को कंट्रोल करने के लिए गैर-आवश्यक यात्रा प्रतिबंध के साथ सख्त लॉकडाउन लगाया गया है।