जानें योगेंद्र यादव ने क्यों कहा कि आज के दिन गिरफ्तार होना गर्व की बात है, क्या है अशफाकउल्ला खां व रामप्रसाद बिस्मिल से कनेक्शन
By पल्लवी कुमारी | Published: December 19, 2019 04:45 PM2019-12-19T16:45:14+5:302019-12-19T16:45:14+5:30
स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव को पुलिस ने हिरासत में दिल्ली के लाल किला के पास से लिया है। यहां पर नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ देशभर से प्रदर्शनकारी आए हुए थे।
नागिरकता संशोधन कानून के खिलाफ आज को देशभर में प्रदर्शन किए जा रहे हैं। जिसको लेकर दिल्ली में धारा 144 लागू है। दिल्ली के लाल किला में विरोध प्रदर्शन कर रहे स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव को पुलिस ने हिरासत में लिया गया है। हिरासत में लिए जाने के बाद योगेंद्र यादव ने ट्वीट कर कहा कि आज 19 दिसंबर को उनके लिए गिरफ्तार होना गर्व की बात है। उन्होंने ट्वीट में यह भी लिखा, मेरी गिरफ्तारी मेरी ओर से अशफाकउल्ला खां और रामप्रसाद बिस्मिल को एक छोटी सी श्रद्धांजलि है।
19 दिसंबर को ही भारत को आजादी दिलाने के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खां और रोशन सिंह को 1927 में 19 दिसंबर के दिन ही फांसी दी गई थी। इस दिन को शहादत दिवस के रूप में मनाया जाता है। आजादी के इन मतवालों को काकोरी कांड को अंजाम देने के लिए फांसी पर चढ़ाया गया था।
योगेंद्र यादव की हिरासत में लिए जाने की कई तस्वीर भी लोगों ने ट्विटर पर पोस्ट की है। पूरे देश में आज नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन जारी है। लेफ्ट पार्टियों ने भारत बंद का ऐलान किया है, राजधानी दिल्ली से लेकर बेंगलुरु, हैदराबाद से लेकर मुंबई तक कई प्रदर्शन भी जारी है।
दिल्ली पुलिस ने मुझे लाल किले पर विभाजनकारी #CAB काननू का शांतिपूर्वक विरोध करने के बाद भी हिरासत में ले लिया है।
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) December 19, 2019
सभी साथियों को बवाना ले जाया जा रहा है।#NoToCAB#NoToVoilencepic.twitter.com/MsdTaD1Bn5
योगेंद्र यादव ने कहा कि जिस तरह से लोगों को हिरासत में लिया गया है वह गैरकानूनी है। लेकिन हम लोग हार नहीं मानेंगे। योगेंद्र यादव ने 'साझी विरासत, साझी शहादत, साझी नागरिकता' लिखकर सरकार पर तंज किया है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 दिसंबर को नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 को अपनी मंजूरी दे दी, जिसके बाद यह एक कानून बन गया है। इस कानून के अनुसार हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के जो सदस्य 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं और जिन्हें अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना पड़ा है, उन्हें गैरकानूनी प्रवासी नहीं माना जाएगा, बल्कि भारतीय नागरिकता दी जाएगी।