पीरियड के खून को चेहरे पर लगाती हैं ये लड़कियां, वजह जानते हैं क्यों?
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 25, 2019 07:20 AM2019-07-25T07:20:07+5:302019-07-25T07:20:07+5:30
ऑस्ट्रेलिया की पूर्व हेयर ड्रेसर याजमिना जेड ने भी अपने चेहरे पर माहवारी के खून को लगाया था। उन्होंने ऐसा इसलिए किया था ताकी लोग माहवारी से जुड़े मिथक को खत्न कर सकें।
पीरियड के खून के बारे में ज्यादातर महिलाओं में यही धारणा है कि ये गंदा होता है। हमारे देश में तो पीरियड्स के दौरान लड़कियों को हीअशुद्ध मान लिया जाता है और उनपर कई पाबंदियां लगा जी जाती हैं। लेकिन कुछ लड़कियां ऐसी भी हैं जो पीरियड के खून को गंदा नहीं समझती हैं, बल्कि इसको अपने चेहरे और बदन पर भी लगाती हैं। यहां तक की पीरियड के खून को पौधों में भी डालती हैं। सुनने में आपको थोड़ा अजीब लगे लेकिन ये सच है।
बीबीसी के मुताबिक 27 वर्षीय लौरा टेक्सीरिया नाम की एक महिला हर महीने पीरियड के खून को इकट्ठा करके वह अपने चेहरे पर लगाती हैं। इतना ही नहीं बचे हुये खून को पानी में मिलकार पौधों में डालती हैं। सिर्फ लौरा टेक्सीरिया ही क्यों कई ऐसी महिला हैं, ऐसा करती हैं।
लौरा ने बीबीसी को बताया है कि जब वह अपने पेड़ों में पानी डालती हूं तो मैं एक मंत्र का जाप करती हूँ, जिसका मतलब है- मुझे माफ कर देना, मैं आपसे प्यार करती हूं और आपकी आभारी हूं।
ऑस्ट्रेलिया की पूर्व हेयर ड्रेसर याजमिना जेड ने भी अपने चेहरे पर माहवारी के खून को लगाया था। उन्होंने ऐसा इसलिए किया था ताकी लोग माहवारी से जुड़े मिथक को खत्न कर सकें।
वहीं यूके की रहने वाली 22 साल की लड़की गेब्रियल श्लेगल एक आर्टिस्ट हैं, वो भी अपने फेस पर पीरियड के खून को लगाती हैं। उनका कहना है कि जब पहली बार उनको पीरियड आया था तो उनको बहुत ज्यादा शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी। जिसकी वजह से पीरियड उनके लिए हर महीने आने वाला एक तकलीफ बन गया था।
लॉस एंजिल्स की रहने वाली 26 वर्षीय महिला डेमेट्रा नायेस ने भी पीरियड के टैबू को तोड़ने के लिए ये कदम उठाया है। उन्होंने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम पर पीरियड के खून से सने अपने चेहरे की तस्वीर पोस्ट की थी।
पीरियड को लेकर डेमेट्रा नायेस का कहना है कि आज तक उन्हें जो भी प्रतिक्रिया मिली उसको सुनने के बाद ऐसा लगता है कि मानों पूरी दुनिया ही इसको लेकर कट्टरपंथी हो गई है। हालांकि उनका ये भी कहना है कि पीरियड ब्लड स्किन के लिए अच्छा है।
आइए अब जानें कि आखिर ये लड़कियां ऐसा क्यों करती हैं?
इन सारी लड़िकयों ने एक बात को आम थी कि ये महावारी से जुड़े मिथक को तोड़ना चाहती हैं। लेकिन इसके अलावा जो एक और वजह है वो है 'सीडिंग द मून' नाम की प्रथा। बीबीसी के मुताबिक 'सीडिंग द मून' नाम की प्रथा कई पुरानी मान्यताओं से प्रेरित है। जिनमें माहवारी के खून को उर्वरता के प्रतीक के रूप में देखा जाता था। इस प्रथा में विश्वास रखने वाली महिलाएं महावारी को अभिशान नहीं बल्कि वरदान मानकर जीती हैं।
2018 में 'वर्ल्ड सीड योर मून डे' इवेंट को शुरू करने वालीं बॉडी-साइकोथेरेपिस्ट, डांसर और लेखक मोरेना कार्डोसो ने बीबीसी को बताया है कि महिलाओं के लिए सीडिंग द मून एक बहुत ही सरल और उनके मन को शक्ति देने वाला तरीका है। मोरेना के मुताबिक उत्तरी अमरीका (मेक्सिको समेत) और पेरू में माहवारी के दौरान निकलने वाले खून को जमीन पर फैलाया जाता है कि ताकि उसे उर्वर बनाया जा सके।