चूहे मारने में खर्च हो गये 1 करोड़ रुपये, वो भी महज एक साल में, एक चूहे के मौत की कीमत थी 20 रुपये, जानिए कहां
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: February 12, 2022 09:27 PM2022-02-12T21:27:10+5:302022-02-12T21:33:29+5:30
बीएमसी ने चूहों को मारने के लिए प्रत्येक चूहा 20 रुपया निर्धारित किया था लेकिन अगर तय मात्रा से ज्यादा चूहों को मारा जाता है तो उसके लिए 20 रुपये की जगह प्रति चूहे 22 रुपये के भुगतान का प्रावधान था।
मुंबई: बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने एक अनोखी जानकारी साझा करते हुए बताया कि साल 2021 में उसने चूहों को मारने में 1 करोड़ रुपये की धनराशि को खर्च किया है। वहीं जब इस बात की जानकारी जब भाजपा पार्षदों की हुई तो उन्होंने इसका कड़ा विरोध करते हुए मांग की कि बीएमसी की स्थायी समिति की अगली मीटिंग में इसका पूरा ब्योरा उनके सामने रखा जाए।
जानकारी के मुताबिक बीएमसी ने चूहों को मारने के लिए प्रत्येक चूहा 20 रुपया निर्धारित किया था लेकिन अगर तय मात्रा से ज्यादा चूहों को मारा जाता है तो उसके लिए 20 रुपये की जगह प्रति चूहे 22 रुपये के भुगतान का प्रावधान था।
इस मामले में गढ़बड़ी की आशंका व्यक्त करते हुए भाजपा नेता प्रभाकर शिंदे ने कहा, "मुंबई शहर को चूहों से निजाद दिलाने के लिए 1 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई। लेकिन वो पैसे किस तरह से खर्च किये गये इस बात की जानकारी नहीं दी गई है। किसी को नहीं पता कि कितने चूहे मारे गए, कहां मारे गए और मौत के बाद उन चूहों के मृत शरीर का किस तरह से निपटारा किया गया।"
बीएमसी में भाजपा पार्षद समूह के नेता प्रभाकर शिंदे ने इसके साथ ही चूहों के आतंक पर बोलते हुए कहा कि पिछले साल राजावाड़ी अस्पताल में चूहे के काटने की घटनाओं का जिक्र किया कि आईसीयू में चूहे ने एक मरीज की आंख को काट लिया, वहीं कांदिवली के शताब्दी अस्पताल में भर्ती एक मरीज के पैर में चूहों ने काट लिया था।
लेकिन इसके साथ ही बीजेपी पार्षद शिंदे ने इस मामले में शिवसेना को घेरते हुए कहा कि बीएमसी पर काबिज शिवसेना सभी नियमों की धज्जियां उड़ा रही है और हमारी आपत्ति के बावजूद स्थायी समिति में बहुमत के आधार पर कई प्रस्तावों को अपनी मंजूरी दे रही है।
शिंदे ने आगे कहा कि बीएमसी के मेयर और नगर आयुक्त भी अपने विशेषाधिकारों का दुरुपयोग कर रहे हैं और शिवसेना के इन प्रस्तावों को स्थायी समिति के सामने पेश कर रहे हैं।
शिदे का आरोप है कि पिछले काफी समय से नगर अधिनियम 69(सी) और 72(3) के तहत स्थायी समिति के समक्ष कई प्रस्ताव रखे गए। कानून के मुताबिक इन प्रस्तावों को 15 दिनों में स्थायी समिति के सामने लाया जाना चाहिए हालांकि, सभी मानदंडों का उल्लंघन करते हुए प्रस्तावों को स्थायी समिति के समक्ष रखा जाता है और बिना विपक्ष के साथ किसी उचित चर्चा के सीधे पारित कर दिया जाता है।
बीएमसी से संबंधित कई तरह की अनियमितताओं के बारे में आरोप लगाते हुए शिंदे ने जो आरोप लगाये उनमें सबसे आश्चर्यजनक आरोप था जिसमें बीएमसी द्वारा चूहों को मारने पर 1 करोड़ रुपये खर्च किए जाने की बात कही गई थी