जानें कौन हैं चीन-पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र में करारा जवाब देने वाले भारत के राजदूत सैयद अकबरुद्दीन, सोशल मीडिया रातों-रात छाये
By पल्लवी कुमारी | Published: August 17, 2019 03:49 PM2019-08-17T15:49:37+5:302019-08-17T15:49:37+5:30
संयुक्त राष्ट्र के रिकॉर्ड के मुताबिक, आखिरी बार सुरक्षा परिषद ने 1965 में ‘भारत-पाकिस्तान प्रश्न’ के एजेंडा के तहत जम्मू कश्मीर के क्षेत्र को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद पर चर्चा की थी। हाल में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि उनके देश ने, जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के भारत के फैसले पर चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की औपचारिक मांग की थी।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत और प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर पर बंद कमरे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC)की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में जवाबों से सोशल मीडिया पर छाये गये हैं। जिस तरीके से अकबरुद्दीन ने संयुक्त राष्ट्र में चीन और पाकिस्तान को जवाब दिया उसकी तारीफ हो रही है। अकबरुद्दीन ने हंसते हुये तीखे प्रहार किये। UNSC में जम्मू
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने मीडिया से कहा कि भारत का रुख यही था और है कि संविधान के अनुच्छेद 370 संबंधी मामला पूर्णतय: भारत का आतंरिक मामला है और इसका कोई बाह्य असर नहीं है। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा कि कुछ लोग कश्मीर में स्थिति को ‘‘भयावह नजरिए’’ से दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, जो वास्तविकता से बहुत दूर है।
#WATCH: Syed Akbaruddin, India’s Ambassador to UN says,"so, let me start by coming across to you and shaking hands. All three of you," to a Pakistani journalist when asked,"when will you begin a dialogue with Pakistan?" pic.twitter.com/0s06XAaasl
— ANI (@ANI) August 16, 2019
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक के बाद अकबरुद्दीन ने मीडिया से बात की। इससे पहले चीन और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने भी पत्रकारों से बात की। इसी दौरान जब एक पाकिस्तानी पत्रकार ने अकबरुद्दीन से पूछा, 'आप पाकिस्तान के साथ बातचीत कब शुरू करेंगे?' अकबरुद्दीन यह सवाल सुनते ही खुद आगे बढ़े और पाकिस्तानी पत्रकार से हाथ मिलाते हुए कहा, 'इसकी शुरुआत मुझे आपके पास आकर करने दीजिए।' इसके बाद अकबरुद्दीन ने दो अन्य पाकिस्तानी पत्रकारों से भी हाथ मिलाया। इस दौरान वहां मौजूद पत्रकार और डिप्लोमैट्स की हंसी छूट गई। उन्होंने अपने एक जवाब में पाकिस्तानी पत्रकार को चुप भी करा दिया था।
अब जब हर तरह राजदूत और प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन की चर्चा हो रही है तो आइए बताते हैं आपको उनके बारे में
- हैदराबाद के रहने वाले सैयद अकबरुद्दीन ने 1985 में भारतीय विदेश सेवा जॉइन की थी। सैयद अकबरुद्दीन ने हैदारबाद से अपनी स्कूली पढ़ाई की है। उन्होंने अकबरुद्दीन ने राजनीतिक विज्ञान और अंतरराष्ट्रीय संबंध में एमए किया है। 2016 से ये केन्द्र सरकार के लिये काम कर रहे हैं।
- सैयद अकबरुद्दीन को पश्चिम एशिया का विशेषज्ञ माना जाता है। सैयद अकबरुद्दीन कतर में भारत के राजदूत भी रह चुके हैं। सैयद अकबरुद्दीन इससे पहले भी वर्ष 1995 से 1998 तक यूएन में फर्स्ट सेक्रटरी रह चुके हैं। अकबरुद्दीन ने विदेश मंत्रालय में अब तक कई महत्वपूर्ण पदों पर सफलतापूर्वक काम किया है। अकबरुद्दीन पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में स्थित भारतीय उच्चायोग में काउंसलर भी रह चुके हैं।
-सैयद अकबरुद्दीन के पिता एस बदरुद्दीन हैदराबाद स्थित उस्मानिया यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता विभाग के हेड थे। अकबरुद्दीन की मां डॉक्टर जेबा इंग्लिश की प्रोफेसर थीं।
- अकबरुद्दीन वर्ष 2015 में हुए भारत-अफ्रीका फोरम समिट के चीफ कोआर्डिनेटर भी रह चुके हैं। अकबरुद्दीन सऊदी अरब और मिस्र में भी काम कर चुके हैं।
-अकबरुद्दीन वर्ष 2012 से 2015 तक भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रह चुके हैं।
Cricket makes its debut @UN ...
— Syed Akbaruddin (@AkbaruddinIndia) June 8, 2019
India’s diplomats are in form...
Don't even need their captain to take the field... 😁 pic.twitter.com/787MCqKDKd
- सैयद अकबरुद्दीन को खेलों का बहुत शौक है।
पाकिस्तान को दिया ये जवाब
अकबरुद्दीन ने कहा, ‘‘वार्ता शुरू करने के लिए आतंकवाद रोकिए।’’ अकबरूद्दीन ने कहा, ‘‘एक विशेष चिंता यह है कि एक देश और उसके नेतागण भारत में हिंसा को प्रोत्साहित कर रहे हैं और जिहाद की शब्दावली का प्रयोग कर रहे हैं। हिंसा हमारे समक्ष मौजूदा समस्याओं का हल नहीं है।’’ बैठक के बाद चीनी और पाकिस्तानी दूतों के मीडिया को संबोधित करने के बारे में अकबरूद्दीन ने कहा, ‘‘सुरक्षा परिषद बैठक समाप्त होने के बाद हमने पहली बार देखा कि दोनों देश (चीन और पाकिस्तान) अपने देश की राय को अंतरराष्ट्रीय समुदाय की राय बताने की कोशिश कर रहे थे।’’
उन्होंने कहा कि भारत कश्मीर में धीरे-धीरे सभी प्रतिबंध हटाने के लिए प्रतिबद्ध है। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी ने बैठक के बाद कहा कि बैठक में ‘‘कश्मीर के लोगों की आवाज सुनी’’ गई। लोधी ने कहा कि यह बैठक होना इस बात का ‘‘सबूत है कि इस विवाद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचाना गया ’’ है।
चीन को दिया ये जवाब
बैठक के बाद संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत झांग जुन ने भारत और पाकिस्तान से अपने मतभेद शांतिपूर्वक सुलझाने और ‘‘एक दूसरे को नुकसान पहुंचा कर फायदा उठाने की सोच त्यागने’’ की अपील की। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के मामले पर चीन का रुख बताते हुए कहा, ‘‘भारत के एकतरफा कदम ने उस कश्मीर में यथास्थिति बदल दी है जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विवाद समझा जाता है।’’ कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा हटाने और लद्दाख को एक अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाने के भारत के कदम का विरोध करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘भारत के इस कदम ने चीन के संप्रभु हितों को भी चुनौती दी है और सीमावर्ती इलाकों में शांति एवं स्थिरता बनाने को लेकर द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन किया है। चीन काफी चिंतित है।’’ रूस के उप-स्थायी प्रतिनिधि दिमित्री पोलिंस्की ने बैठक कक्ष में जाने से पहले संवाददाताओं से कहा कि मॉस्को का मानना है कि यह भारत एवं पाकिस्तान का ‘‘द्विपक्षीय मामला’’ है। (पीटीआई इनपुट के साथ)