बिहार में 22 जनवरी को ही अपने बच्चे को जन्म देना चाहती हैं गर्भवती महिलाएं, डॉक्टरों से कर रही हैं विनती
By एस पी सिन्हा | Published: January 7, 2024 05:01 PM2024-01-07T17:01:06+5:302024-01-07T17:01:06+5:30
बिहार ऑब्स एंड गायनी सोसाइटी के अनुसार बिहार भर में करीब 100 से अधिक लोगों ने अलग-अलग महिला डॉक्टरों से संपर्क कर डिलीवरी का डेट 22 जनवरी ही निर्धारित करने की मांग की है।
पटना: 22 जनवरी को अयोध्या में होने जा रहे रामलला के प्राणप्रतिष्ठा के चलते बिहार भी राममय होता जा रहा है। सभी लोग इस दिन को शुभ मानकर कुछ अच्छा करने की सोचने लगे हैं। सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि बिहार में गर्भवती महिलाएं अपने बच्चे को इसी दिन जन्म देना चाह रही हैं। इसके लिए सभी जिलों में गर्भवती महिलाएं 22 जनवरी के दिन डिलीवरी करवाने की विनती डॉक्टरों से कर रही हैं।
बिहार ऑब्स एंड गायनी सोसाइटी के अनुसार बिहार भर में करीब 100 से अधिक लोगों ने अलग-अलग महिला डॉक्टरों से संपर्क कर डिलीवरी का डेट 22 जनवरी ही निर्धारित करने की मांग की है। विनती करने वाली सभी गर्भवती महिलाएं सिजेरियन से भी 22 जनवरी को ही डिलीवरी करवाने को तैयार हैं। बिहार की राजधानी पटना की प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सारिका राय ने बताया कि उनसे भी कई महिलाओं ने इन दिन डिलीवरी करवाने की गुहार लगाई है। ऐसे में हमारी कोशिश होगी कि नॉर्मल डिलीवरी की जाए।
वहीं, पीएमसीएच की स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. अमृता राय ने भी कहा कि उनसे भी कई महिलाओं ने संपर्क कर 22 जनवरी को ही डिलीवरी कराने का आग्रह की हैं। पटना के पीएमसीएच और एनएमसीएच जैसे सरकारी अस्पतालों में भी वहां पदस्थापित डॉक्टरों से इस तरह के आग्रह किए जा रहे हैं। इस संबंध में डॉ. सारिका राय कहती हैं कि दरअसल, हर कोई चाहता है कि उनके बच्चे का जन्मदिन यादगार हो। इसलिए इस खास तारीख के दिन डिलीवरी कराने को लेकर गर्भवती महिलाएं आग्रह कर रही हैं।
गर्भवती महिलाओं के साथ-साथ उनके परिजन भी मानते हैं कि 22 जनवरी का दिन अति शुभ है। इस दिन श्री राम आ रहे हैं, इसलिए वह चाहते हैं कि उनके घर का नया सदस्य इस शुभ घड़ी के दिन दुनिया में आए। परिजनों का विश्वास है कि जिस तरह 22 जनवरी को प्रभु श्री राम अपने घर अयोध्या नगरी आ रहे हैं। उसी प्रकार उनके घर जो नया सदस्य आएगा, वह भी भगवान राम जैसा गुणों वाला होगा।
हालांकि कई महिला डॉक्टरों ने इसका विरोध किया है और कहा है कि ऐसा करना जच्चा और बच्चा दोनों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। गर्भवती महिलाओं को किसी भावना में बहे बिना निर्धारित वक्त पर ही बच्चे को जन्म देना चाहिए, ऐसा करना दोनों के स्वास्थ्य के लिए बेहतर साबित होगा।