Zero Shadow Day 2023: बेंगलुरु में आज नहीं दिखेगी किसी चीज की परछाई! जानें क्या है जीरो शैडो डे और उसका महत्व?

By आजाद खान | Published: April 25, 2023 10:26 AM2023-04-25T10:26:06+5:302023-04-25T10:43:23+5:30

एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (एएसआई) के अनुसार, कर्नाटक के बेंगलुरु में आज दोपहर 12 बजकर 17 मिनट पर जीरो शैडो डे होने वाला है। इस समय किसी भी वस्तु की कोई छाया नहीं बनेगी।

No shadow of anything will be seen Bengaluru today Know what Zero Shadow Day 2023 its importance | Zero Shadow Day 2023: बेंगलुरु में आज नहीं दिखेगी किसी चीज की परछाई! जानें क्या है जीरो शैडो डे और उसका महत्व?

फोटो सोर्स: ANI (प्रतिकात्मक फोटो)

Highlightsबेंगलुरु में आज एक अनोखी खगोली घटना घटने वाली है। आज यहां पर किसी भी चीज की परछाई नहीं बनने वाली है। बता दें कि इससे पहले ओडिशा में जीरो शैडो डे हुआ था।

Zero Shadow Day 2023: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में आज एक अनोखी खगोलीय घटना घटने वाली है। आज यहां पर कुछ समय के लिए किसी भी वस्तु की कोई छाया नहीं बनेगी। ऐसे में इस दिन जिस दिन किसी भी वस्तु की कोई परछाई नहीं बनती है उसे जीरो शैडो डे कहा जाता है। 

बेंगलुरु में जीरो शैडो डे की घटना आज दोपहर में होगी और यह भारतीय समय के अनुसार 12 बजकर 17 मिनट पर होगी। इस दिन की खासियत को देखते हुए बेंगलुरु के कोरमंगला में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) ने अपने परिसर में कार्यक्रम का भी आयोजन किया है। वहीं अगर बात करेंगे स्थानीयों की तो इस दिन को लेकर लोग काफी उत्सुक है और इससे जुड़ी जानकारी वे सोशल मीडिया पर अपलोड कर रहे है। 

क्या है यह जीरो शैडो डे?

एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (एएसआई) के अनुसार, जीरो शैडो डे उस दिन को कहते है जिस दिन सूर्य आपके बिल्कुल सिर पर होगा लेकिन उसके कारण आपका छाया नहीं आएगा। ऐसे में केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि इस समय किसी चीज का छाया तक नहीं होगा। बताया जा रहा है कि वास्तविक घटना केवल एक सेकंड के एक अंश तक रहती है, लेकिन इसका असर करीब डेढ़ मिनट तक रहता है। 

क्यूं होता है जीरो शैडो डे? क्या है इसका महत्व?

इससे पहले इस पर बोलते हुए खगोलशास्त्री देबिप्रसाद दुआरी ने कहा था कि ‘‘दुनियाभर में लोग और कोई भी वस्तु, कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच रहकर अपनी छाया खो देती हैं। हालांकि ऐसा साल में दो बार क्षण भर के लिए होता है। इन दो पलों को ‘शून्य छाया क्षण’ कहा जाता है।’’ यह तब होता है जब सूरज ठीक सिर के ऊपर होता है। दुआरी ने कहा कि किसी वस्तु पर पड़ने वाले किसी भी तरह का प्रकाश आम तौर पर एक छाया उत्पन्न करता है, जब तक कि वह वस्तु के ठीक ऊपर न हो। शहर भूमध्य रेखा से लगभग 2,500 किलोमीटर और कर्क रेखा से लगभग 93.5 किलोमीटर दूर है।” 

उन्होंने कहा कि सात जुलाई को सुबह 11 बजकर 41 मिनट पर कोलकाता में एक बार फिर सूरज सिर के ऊपर होगा और यह साल का दूसरा ‘शून्य छाया क्षण’ होगा। इससे पहले साल 2022 में कोलकाता और साल 2021 में ओडिशा के भुवनेश्वर में जीरो शैडो डे को देखा गया था। कोलकाता में इस घटना को सुबह 11 बजकर 34 मिनट पर देखा गया था। 

भाषा इनपुट के साथ 
 

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