पुरानी बस से नई राह: इंदौर के बच्चों को मिला चलता-फिरता स्कूल

By मुकेश मिश्रा | Updated: August 14, 2025 18:35 IST2025-08-14T18:34:31+5:302025-08-14T18:35:55+5:30

एआईसीटीएसएल के डिपो में सालों से खड़ी पुरानी बस को नगर निगम और एआईसीटीएसएल के सहयोग से नया जीवन मिला।

Indore's children get a mobile school Old bus to new path | पुरानी बस से नई राह: इंदौर के बच्चों को मिला चलता-फिरता स्कूल

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Highlightsअब तक परिस्थितियों के कारण नियमित स्कूल नहीं जा पाते थे।बच्चे गर्मी, बारिश और ठंड में सुरक्षित रहकर पढ़ सकें।

इंदौर: इंदौर के श्रमिक बस्तियों और स्लम क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों के लिए शिक्षा तक पहुंच की राह अब थोड़ी आसान हो गई है। संभागायुक्त दीपक सिंह की पहल पर एआईसीटीएसएल की एक जर्जर बस को आकर्षक और सुविधाजनक बस-विद्यालय का रूप दिया गया है, जहां अब वे बच्चे पढ़ सकेंगे, जो अब तक परिस्थितियों के कारण नियमित स्कूल नहीं जा पाते थे।

कबाड़ से क्लासरूम

एआईसीटीएसएल के डिपो में सालों से खड़ी पुरानी बस को नगर निगम और एआईसीटीएसएल के सहयोग से नया जीवन मिला। धार के इंजीनियर अजीत ने इसे इस तरह पुनर्निर्मित किया कि यह मोबाइल स्कूल पूरी तरह पढ़ाई के अनुकूल बन गया है। बस के भीतर टेबल-कुर्सियां, ब्लैकबोर्ड, रोशनी और वेंटिलेशन की पूरी व्यवस्था है, जिससे बच्चे गर्मी, बारिश और ठंड में सुरक्षित रहकर पढ़ सकें।

विशेष दिन, खास अंदाज़ में उद्घाटन

नेहरू पार्क स्थित स्मार्ट सिटी परिसर में लोकार्पण कार्यक्रम आयोजित किया गया। औपचारिक रिवाज से हटकर, उद्घाटन का सम्मान बस्ती की बालिका छाया को दिया गया, जिसने फीता काटकर बस-विद्यालय की शुरुआत की। संभागायुक्त दीपक सिंह ने बच्चों के साथ ‘मस्ती की पाठशाला’ में भाग लेते हुए उन्हें डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के प्रेरक प्रसंग सुनाए और स्वतंत्रता दिवस के महत्व पर चर्चा की। कार्यक्रम की शुरुआत बच्चों द्वारा सरस्वती वंदना और देशभक्ति गीतों से हुई, जिससे वातावरण में उत्साह और अपनापन दोनों झलक रहा था।

शिक्षा की साधिका का सपना साकार

बस-विद्यालय का संचालन सोशल वेलफेयर सोसायटी की प्रमुख व शिक्षिका श्रीमती माधुरी मोयदे करेंगी, जो वर्षों से श्रमिक बस्तियों के बच्चों को नि:शुल्क पढ़ा रही हैं। वे बताती हैं — "मौसम की मार बच्चों की पढ़ाई रोक देती थी। उन्हें एक सुरक्षित छत देने की ख्वाहिश थी। पुरानी बस को स्कूल में बदलने का विचार कई साल से था, और आज वह सपना पूरा हो गया।"

बच्चों की जुबानी

9 साल की रुकसाना, जो अब तक घर के पास बने अस्थायी टीन शेड के नीचे पढ़ती थी, खुशी से कहती है — "अब बारिश में भी किताबें नहीं भीगेंगी। मुझे बस के ब्लैकबोर्ड पर पढ़ना बहुत अच्छा लग रहा है।" वहीं 11 साल के सोहन की आंखों में उत्साह है — "मैं बड़ा होकर पुलिस वाला बनना चाहता हूँ। यहां पढ़कर मैं अच्छे से लिखना-गिनना सीख पाऊंगा।"

यह बस फिलहाल स्कीम नंबर 140 में स्थायी रूप से पार्क रहेगी, ताकि आसपास के बच्चे यहां आकर पढ़ाई कर सकें। जरूरत पड़ने पर इसे अन्य क्षेत्रों में ले जाने की भी योजना है। संभागायुक्त दीपक सिंह का कहना है — "यह पहल भले छोटी हो, लेकिन इसके असर बड़े होंगे। शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है और यह कदम उन्हें उस अधिकार के करीब ले जाएगा।"

चेहरों पर नई चमक 

लोकार्पण के बाद बच्चे बस में इधर-उधर दौड़ते, खिड़की से झांकते और ब्लैकबोर्ड पर अपना नाम लिखते दिखे। उनकी आंखों की चमक इस बात की गवाही दे रही थी कि यह सिर्फ एक बस नहीं, बल्कि उनके लिए अवसरों और सपनों का नया सफर है।

Web Title: Indore's children get a mobile school Old bus to new path

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