जब देखते ही देखते इस देश में आसमान का रंग हो गया मंगल ग्रह जैसा, जानें क्यों सबकुछ बदला लाल रंग में?
By पल्लवी कुमारी | Published: September 24, 2019 12:38 PM2019-09-24T12:38:41+5:302019-09-24T12:38:41+5:30
इंडोनेशिया के मौसम अधिकारियों का कहना है कि लाल रंग जंगल में फैसली आग की वजह से है। इंडोनेशिया में पिछले आठ से नौ महीने से वहां के जंगलों में कहीं न कहीं आग लग रही है।
सोशल मीडिया पर इंडोनेशिया का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें दिख रहा है कि अचानक इंडोनेशिया में आसमान का रंग मंगल ग्रह की तरह एकदम लाल हो गया। यहां तक कि जिधर भी आपकी नजर जाए हर तरफ गेरुआ रंग दिखाई दे रहा था। BMKG एजेंसी ने भी सेटेलाइट इमेज के द्वारा इन तस्वीरों को जारी किया है। देखने में सबकुछ फिल्मों जैसा लग रहा था लेकिन वहां के लोगों का कहना है कि जैसे ही सबकुछ लाल रंग में बदला उनके आंखों में तेज जलन और गले में दर्द व जलन होने लगी। वहां के मौसम विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ये नजारा आग लगने से निकलने वाले धुंए की वजह से है। इसका ज्यादातर असर इंडोनेशिया के जांबी इलाके पर पड़ा है। वहां के लोगों ने इसकी वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं।
ट्विटर यूजर जूनी शोफी यतुन निशा ने भी लाल आसमान का वीडियो भी शेयर किया है। वीडियो शेयर करते हुए उन्होंने लिखा है, ये मार्स नहीं जांबी है, हमें जिंदा रहने के लिए ताजी हवा चाहिए ना कि जहरीला धुंआ।
Ini sore bukan malam. Ini bumi bukan planet mars. Ini jambi bukan di luar angkasa. Ini kami yang bernafas dengan paru-paru, bukannya dengan insang. Kami ini manusia butuh udara yang bersih, bukan penuh asap.
— Zuni Shofi Yatun Nisa (@zunishofiyn) September 21, 2019
Lokasi : Kumpeh, Muaro Jambi #KabutAsap#KebakaranHutanMakinMenggilapic.twitter.com/ZwGMVhItwi
क्यों अचानक लाल रंग में बदला गया सबकुछ
इंडोनेशिया के मौसम अधिकारियों का कहना है कि लाल रंग जंगल में फैसली आग की वजह से है। इंडोनेशिया में पिछले आठ से नौ महीने से वहां के जंगलों में कहीं न कहीं आग लग रही है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक वहां 328,724 हेक्टेयर इलाके में आग लग चुकी है। ये लाल रंग उसी धुंए का असर है।
मौसम विभाग इसे रेले स्कैटरिंग कहते हैं
मौसम विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इस घटना को रेले स्कैटरिंग कहा जाता है। जिसके तहत प्रकाश की किरणें फैलने की वजह से ऐसा होता है। आकाश का रंग तब बदल जाता है जब धुएं में मौजूद पार्टिकल की रौशनी ज्यादा मिल जाये। ये कण सूरज पर पड़ते हैं और फिर रौशनी बदल जाती है।
सिंगापुर यूनिवर्सिटी ऑफ सोशल साइंसेज के प्रोफेसर कोह टीह योंग ने बताया कि रेले को कुछ प्रकार के कणों के साथ बिखरना पड़ता है जो धुंध की अवधि के दौरान मौजूद होते हैं। बीबीसी से बात करते हुये उन्होंने कहा, धुएं में मौजूद अधिकतर कण आकार में करीब एक माइक्रोमीटर के होते हैं। कुछ इतने छोटे होते हैं कि उनका आकार 0.05 माइक्रोमीटर का होता है।