भीख मांगकर गुजारा कर रहा 11 वर्षीय लावारिस बना 50 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति का मालिक, जानिए किस्मत कैसे बदली

By भाषा | Published: December 18, 2022 05:07 PM2022-12-18T17:07:57+5:302022-12-18T17:09:45+5:30

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के नांगल कस्बे के पंडोली गांव का मामला है। लावारिस शाहजेब के नाम गांव में करीब पांच बीघा जमीन और एक पुश्तैनी मकान है जिसकी कीमत 50 लाख रुपये से ज्यादा बताई जा रही है।

Haridwar 11-year old homeless child lived begging became owner property worth more than Rs 50 lakh uttar pradesh | भीख मांगकर गुजारा कर रहा 11 वर्षीय लावारिस बना 50 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति का मालिक, जानिए किस्मत कैसे बदली

गांव में करीब पांच बीघा जमीन और एक पुश्तैनी मकान है जिसकी कीमत 50 लाख रुपये से ज्यादा बताई जा रही है।

Highlightsकरीब 11 वर्षीय शाहजेब नाम के बच्चे की कहानी फिल्म सरीखी लगती है। याकूब ने अपनी वसीयत में लिखा था कि जब भी शाहजेब मिले तो आधी संपत्ति उसे सौंप दी जाये। गांव में करीब पांच बीघा जमीन और एक पुश्तैनी मकान है जिसकी कीमत 50 लाख रुपये से ज्यादा बताई जा रही है।

पिरान कलियरः किस्मत पल भर में राजा को रंक और रंक को राजा बना देती है। यह कहावत हरिद्वार जिले में स्थित विख्यात मुस्लिम तीर्थ पिरान कलियर में अक्षरश: चरितार्थ हो गयी जहां भीख मांग कर गुजारा करने को मजबूर एक लावारिस बच्चा पल भर में 50 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति का मालिक बन गया।

करीब 11 वर्षीय शाहजेब नाम के बच्चे की कहानी फिल्म सरीखी लगती है। तीन साल पहले उसकी मां उसे लेकर कलियर क्षेत्र में आकर रहने लगी थी, लेकिन मां की मौत के बाद से वह लावारिस हो गया और भीख मांगकर या किसी चाय की दुकान पर काम कर अपना पेट भर रहा था। दो दिन पहले उसके एक रिश्तेदार मोबिन अली कलियर यहां आए और उन्होंने उसे पहचान लिया और उसके घर पहुंचाया।

शाहजेब को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के नांगल कस्बे के पंडोली गांव में उसके घर पहुंचाने वाले उसके फूफा अली ने बताया कि शाहजेब और उसकी मां की तलाश में विफल रहने के बाद उसके दादा मोहम्मद याकूब ने मरने से पहले अपनी वसीयत में उसके नाम आधी जायदाद कर दी थी। याकूब ने अपनी वसीयत में लिखा था कि जब भी शाहजेब मिले तो आधी संपत्ति उसे सौंप दी जाये।

शाहजेब के नाम गांव में करीब पांच बीघा जमीन और एक पुश्तैनी मकान है जिसकी कीमत 50 लाख रुपये से ज्यादा बताई जा रही है। मोबिन अली ने बताया कि पांच साल पहले तक शाहजेब हंसी खुशी अपने मां-बाप के साथ रहता था, लेकिन मां इमराना का पिता नावेद से किसी बात पर झगड़ा होने पर उसकी मां उसे लेकर अपने मायके हरियाणा के यमुनानगर चली गयी, जहां से कुछ समय बाद वह किसी को कुछ बताये बिना रुड़की के पास पिरान कलियर आ गयी।

इसी बीच, नावेद अपनी पत्नी और बच्चे को लेकर यमुनानगर पहुंचा, लेकिन वहां वे दोनों नहीं मिले और न ही उनका कोई अता-पिता मिला। पत्नी और बच्चे की तलाश करते-करते एक दिन नावेद की मौत हो गयी। बेटे की मौत के बाद हिमाचल प्रदेश के एक इंटर कॉलेज से ​सेवानिवृत्त नावेद के पिता मोहम्मद याकूब ने बहू और पोते की खोज जारी रखी और उनकी तलाश में दीवारों पर पोस्टर लगवाने से लेकर सोशल मीडिया तक का सहारा लिया।

हालांकि, पोते शाहजेब से मिलने की उनकी आस पूरी होने से पहले ही उनकी आंखें भी सदा के लिए बंद हो गयीं। शाहजेब इस समय उसके दादा याकूब के छोटे भाई शाह आलम और उनके परिवार के साथ हैं, जहां शाह आलम उसे अच्छे स्कूल में दाखिल कराने के बारे में सोच रहे हैं। शाह आलम ने बताया कि शाहजेब भी अपने परिजनों के बीच पंहुचकर खुश है मगर उसकी आंखों में मां-बाप के न होने को लेकर सूनापन भी है। 

Web Title: Haridwar 11-year old homeless child lived begging became owner property worth more than Rs 50 lakh uttar pradesh

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