Video: सोशल मीडिया में नया ट्रेंड बना "बुलाती है मगर जाने का नईं", पढ़ें राहत इंदौरी का पूरा शेर
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 23, 2020 01:11 PM2020-02-23T13:11:13+5:302020-02-23T13:11:13+5:30
सोशल मीडिया में वायरल 'बुलाती है मगर जाने का नईं, ये दुनिया है इधर जाने का नईं' शेर राहत इंदौरी ने लिखा है.
जाने-माने शायर राहत इंदौरी का एक शेर सोशल वीडिया में वायरल हो गया है। 70 वर्षीय राहत इंदौरी का 'बुलाती है मगर जाने का नईं' शेर करीब तीन साल पुराना है। ये शेर उन्होंने दुबई के एक मुशायरे में पढ़ी थी। उस मंच पर कुमार विश्वास भी मौजूद थे। राहत इंदौरी के यूट्यूब पेज भी 'Bulaati hai magar jaane ka nai' का वीडियो उपलब्ध हैं। इस वीडियो को 1.3 करोड़ से ज्यादा बार देखा जा चुका है।
ये लाइन आजकल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत आगमन पर वायरल हो गया है। सोशल मीडिया यूजर्स अपने-अपने तरीके से इस लाइन का यूज कर रहे हैं। कोई इसे गुजरात के दीवार से जोड़ रहा है तो और कोई इसे कांग्रेस सांसद शशि थरूर से। दिल्ली में कई जगहों पर 'बुलाती है मगर जाने का नईं' का टी-शर्ट भी बिक रहा है। इससे पहले राहत इंदौरी का "सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में, किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है" वाला भी शेर वायरल हो चुका है।
पढ़ें राहत इंदौरी का पूरा शेर
बुलाती है मगर जाने का नईं
ये दुनिया है इधर जाने का नईं
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर
मगर हद से गुजर जाने का नईं
सितारें नोच कर ले जाऊँगा
मैं खाली हाथ घर जाने का नईं
वबा फैली हुई है हर तरफ
अभी माहौल मर जाने का नईं
वो गर्दन नापता है नाप ले
मगर जालिम से डर जाने का नईं
(कविताकोश से साभार)
bulati hai magar jaane ka nahi#bulati hai magar jane ka nahi#funny#tshirt
— Mr.580 _Arthacker (@DevkuleSarthak) February 20, 2020
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ठंडे पानी की बाल्टी
— संजीव कुशवाहा 🇮🇳 (@sanjubaba_83170) February 13, 2020
" बुलाती है मगर जाने का नहीं "🤣🤣🤣
जानें राहत इंदौरी के बारे में
जाने-माने उर्दू शायर और गीतकार राहत इंदौरी का जन्म 1 जनवरी, 1950 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ। उनके पिता का नाम रफ्तुल्लाह कुरैशी और माता का नाम निशा बेगम है। शुरुआती पढ़ाई इंदौर के स्कूल से हुई और इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से 1973 में ग्रेजुएशन की डिग्री ली। जिसके के बाद 1975 में बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल से उर्दू साहित्य में एम.ए की डिग्री ली। 1985 में मध्य प्रदेश के भोज मुक्त विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में पीएचडी की। 1996 में आई फिल्म घातक में 'कोई जाए तो ले आए' गाना राहत इंदौरी ने ही लिखा है।