जापान ने बनाई चलने-फिरने वाली मस्जिद, 'मोबाइल मॉस्क' बनाने के पीछे है ये खास वजह
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: July 25, 2018 08:38 PM2018-07-25T20:38:56+5:302018-07-25T20:38:56+5:30
जापान का पहला मोबाइल मोस्क का अनावरण इसी हफ्ते टोयोटा सीटी में टोयोटा स्टेडियम के बाहर हुआ। इसी शहर में टोयोटा कार का हेडक्वाटर है।
समर ओलंपिक्स 2020 को ध्यान में रखते हुए जापान ने ऐसे मस्जिद का निर्माण कर रहा है जिसे एक जगह से दूसरे जगह शिफ्ट किया जा सकता है। इस खास मस्जिद को बनाने वाली कंपनी ने इसे मोबाइल मॉस्क का नाम दिया है।
यासू प्रोजेक्ट के सीइओ यासुहारू इनोउ ने एक इंटरव्यू में कहा कि इस बात की पूरी संभावना है कि समर ओलंपिक्स 2020 के लिए हमारे पास पर्याप्त संख्या में मस्जिद उपलब्ध नहीं हैं जिसके कारण मुस्लिम पर्यटक और खिलाड़ियों को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। इसी बात को ध्यान में रख कर हम मोबाइल मॉस्क का निर्माण कर रहे हैं जिसे जरूरत पड़ने पर हम अलग अलग ओलंपिक वेन्यू पर ले जा सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि जापान एक खुले विचारों वाला देश है जो "ओमोटिनाशी" के विचार पर चलता है। बता दें कि "ओमोटिनाशी" जापानी मेहमाननवाजी को बोलते हैं।
जापान के पहले मोबाइल मॉस्क का अनावरण इसी हफ्ते टोयोटा सीटी में टोयोटा स्टेडियम के बाहर हुआ। इसी शहर में टोयोटा कार का हेडक्वाटर है।
मोबाइल मोस्क एक मॉडिफाइड ट्रक है जो करीब 515 स्क्वायर फूट का है। इस ट्रक की क्षमता कुल 50 लोगों की है। इसके अलावा इस ट्रक में नमाज के पहले किये जाने वाले पारंपरिक वजू (सफाई) के लिए नल की व्यवस्था की गई है। एक अनुमान के मुताबिक जापान में करीब 100,000 से 200,000 मुस्लिम आबादी है।
मोबाइल मॉस्क के अनावरण समारोह में इंडोनेशिया के उन बच्चों ने भी हिस्सा लिया जो साल 2004 के हिन्द महासागर में आए सुनामी के चपेट में आ गए थे।
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