बिलासपुर में 11 बहुओं ने सास का मंदिर बनवाया, श्रृंगार सोने के गहनों से किया, रोजाना पूजा-आरती, जानिए सबकुछ

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 18, 2021 09:39 PM2021-01-18T21:39:49+5:302021-01-18T21:41:05+5:30

छत्तीसगढ़ में ऐसा ही एक परिवार है, जिसने सास-बहु के रिश्ते की एक नई परिभाषा लिखी है. बिलासपुर जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर बिलासपुर-कोरबा मार्ग पर रतनपुर गांव है.

Bilaspur 11 daughter in law build her mother in law geeta devi temple chhattisgarh worship and aarti | बिलासपुर में 11 बहुओं ने सास का मंदिर बनवाया, श्रृंगार सोने के गहनों से किया, रोजाना पूजा-आरती, जानिए सबकुछ

11 बहुओं ने बनवाया है. बता दें कि रतनपुर गांव में रिटायर्ड शिक्षक शिवप्रसाद तंबोली का संयुक्त परिवार रहता है. (file photo)

Highlightsबहुओं ने अपनी सास का श्रृंगार सोने के गहनों से किया है और रोजाना पूजा-आरती भी करती हैं.बताया जा रहा है कि ये सभी बहुएं महीने में एक बार मंदिर के सामने बैठकर भजन-कीर्तन भी करती हैं.महामाया देवी का मंदिर बना हुआ है, जिसे साल 2010 से बनवाया गया था.

बिलासपुरः मौजूदा दौर में सास और बहू का एक घर में प्यार से रहना तो स्वप्न देखने जैसा है. छोटी-छोटी बातों को लेकर दोनों का झगड़ना आम बात है, लेकिन इन मतभेदों के बीच कुछ ऐसे परिवार भी हैं,जिनकी एकता की मिसाल दी जाती है.

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में ऐसा ही एक परिवार है, जिसने सास-बहु के रिश्ते की एक नई परिभाषा लिखी है. दरअसल, यहां रहने वाली एक नहीं, बल्कि 11 बहुओं ने अपनी सास का मंदिर बनवाया. इतना ही नहीं बहुओं ने अपनी सास का श्रृंगार सोने के गहनों से किया है और रोजाना पूजा-आरती भी करती हैं.

बताया जा रहा है कि ये सभी बहुएं महीने में एक बार मंदिर के सामने बैठकर भजन-कीर्तन भी करती हैं. जानकारी के मुताबिक, बिलासपुर जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर बिलासपुर-कोरबा मार्ग पर रतनपुर गांव है. यहां महामाया देवी का मंदिर बना हुआ है, जिसे साल 2010 से बनवाया गया था. दरअसल, यह मंदिर गीता देवी का है, जिसे उनकी 11 बहुओं ने बनवाया है. बता दें कि रतनपुर गांव में रिटायर्ड शिक्षक शिवप्रसाद तंबोली का संयुक्त परिवार रहता है.

इस परिवार में कुल 39 सदस्य हैं, जिनमें 11 बहुएं हैं. वर्ष 2010 में गीता देवी का निधन हो गया. लोगों का कहना है कि जब वह जीवित थीं तो अपनी सभी बहुओं से बेटियों की तरह स्नेह करती थीं. इसके अलावा उन्होंने अपनी सभी बहुओं को पूरी आजादी दे रखी थी. लोग बताते हैं कि गीता देवी की सभी बहुएं उनके मंदिर में रोजाना पूजा-अर्चना करती हैं.

इसके अलावा हर महीने भजन-कीर्तन भी किया जाता है. गांव और आसपास के लोग गीता देवी और उनके परिवार की एकता की मिसाल देते हैं. उनका कहना है कि आज के दौर में सास-बहू का ऐसा प्यार कहीं और देखने को नहीं मिलता.

परिवार में कभी नहीं हुआ झगड़ा गीता के पति शिव प्रसाद बताते हैं कि उनकी पत्नी के अच्छे संस्कारों की वजह से उनका पूरा परिवार आज भी एक साथ है. वह बताते हैं कि उनके परिवार में कभी झगड़ा नहीं हुआ. हर काम सब एक-दूसरे से सलाह लेकर ही करते हैं. ऐसे में उनकी बहुओं ने अपनी सास की याद में उनका मंदिर बनवाया. वहीं, सास की मूर्ति का श्रृंगार सोने के गहनों से किया.

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