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अंगीठी से दो बहनों का दम घुटा, तीसरी बहन लड़ रही मौत से जंग, Gorakhpur| UP Breaking News| brazier

By गुणातीत ओझा | Published: December 21, 2020 11:57 PM2020-12-21T23:57:20+5:302020-12-21T23:58:55+5:30

बंद कमरे में अंगीठी जलाकर सोना दो बहनों के लिए जानलेवा साबित हुआ है। अंगीठी से निकलने वाली गैस से तीन बहनों में से दो की दम घुटने से मौत हो गई। तीसरी अस्पताल में मौत से जंग लड़ रही है।

'मौत की अंगीठी' थम गईं दो बहनों की सांसें

सर्द रात में कोयले की अंगीठी सुकून तो देती ही लेकिन यह मौत की नींद भी सुला सकती है। ठंड से बचने के लिए पूरी रात अंगीठी जलाना कितना खतरनाक और जानलेवा साबित हो सकता है इसका खौफनाक उदाहरण यूपी के गोरखपुर में देखने को मिला है। बंद कमरे में अंगीठी जलाकर सोना दो बहनों के लिए जानलेवा साबित हुआ है। अंगीठी से निकलने वाली गैस से तीन बहनों में से दो की दम घुटने से मौत हो गई। तीसरी अस्पताल में मौत से जंग लड़ रही है। यह दिल दहला देने वाली घटना गोरखपुर में बड़हलगंज के मझवलिया गांव की है। पुलिस ने दोनों बहनों के शवों को पोस्‍टमार्टम के लिए भेजा, जहां साफ हो गया कि दोनों की जान दम घुटने से गई है। 

मझवलिया गांव के अवधेश प्रसाद की तीन बेटियां 20 साल की प्रतिमा, 18 साल की अंतिमा और 17 साल की निधी एक कमरे में कोयले की अंगीठी जलाकर सोई थीं। कमरा बंद था। उसमें न कोई खिड़की थी न रोशनदान। तीनों बहनें अंगीठी जलाकर सो तो गई लेकिन उन्हें अंदाजा नहीं था कि यह उनके जानलेवा साबित होगा। जैसे-जैसे रात ढली वैसे-वैसे कमरे में ऑक्सीजन का लेवल कम होता गया। अंगीठी के धुंए में अंतिमा और निधि का दम घुट गया। दोनों की मौत हो गई। कमरे में सो रही तीसरी बहन प्रतिमा की हालत भी गंभीर है। उसका गोरखपुर के बड़हलगंज के एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज चल रहा है।

दो बहनों की मौत के बाद परिवार और गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है। रात में तीनों बेटियां खाना खाने के बाद कमरे में सोने चली गईं थीं। सोमवार सुबह कमरे से कोई आवाज नहीं आई तो लोहे के रॉड से दरवाजा तोड़ा गया। अंदर तीनों बहनें अचेत पड़ी थीं। तीनों को अस्‍पताल ले जाया गया। वहां डॉक्‍टरों ने अंतिमा और निधि को मृत घोषित कर दिया। प्रतिमा का इलाज अब भी चल रहा है। 

आइये आपको बताते हैं कितनी खतरनाक है अंगीठी

कमरे में अंगीठी जलाकर सोना बेहद खतरनाक है। जलते कोयले से निकलने वाली मिथेन और कार्बन मोनोआक्साइड गैस से आक्सीजन का दबाव कम हो जाता है। फेफड़ों की सांस लेने व छोड़ने की  प्रक्रिया कमजोर पड़ने लगती है। ऐसे हालात में व्यक्ति कई बार बेहोश होता है। उसकी मौत भी हो सकती है। अंगीठी से आग लगने का भी खतरा बना रहता है। डॉक्टर लोगों को अंगीठी से सावधानी बरतने की हमेशा सलाह देते रहते हैं।

अंगीठी जलाते वक्त बरतें यह सावधानियां

-अंगीठी जलाकर हवा आने-जाने का रास्ता अवश्य छोड़ें
-सोते समय किसी भी हाल में अंगीठी घर के अंदर न रखें
-दिन के समय भी अंगीठी जलाकर सोने की कोशिश न करें
-कोयले से मीथेन गैस निकलती है इसलिए कोयले की बजाय लकड़ी जलाएं
-बच्चों तथा बुजुर्गों की पहुंच से अंगीठी को दूर रखें
-आधे घंटे से ज्यादा अंगीठी को अंदर न रखें, थोड़ी-थोड़ी देर बाद बाहर निकालते रहें।

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