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ToolKit Case: Disha Ravi की जमानत याचिका पर दिल्ली कोर्ट 23 फरवरी को सुनाएगी फैसला

By प्रतीक्षा कुकरेती | Published: February 20, 2021 09:26 PM2021-02-20T21:26:55+5:302021-02-20T21:27:24+5:30

किसान आंदोलन से जुड़े टूलकिट मामले में गिरफ्तार हुईं क्लाइमेट एक्टिविस्ट  दिशा रवि की जमानत पर अदालत ने शनिवार को फैसला सुरक्षित रख लिया.  दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में जमानत याचिका पर घंटों सुनवाई हुई.  तीन घंटे चली बहस के बाद कोर्ट 23 फरवरी को दिशा रवि की जमानत पर फैसला सुनाएगा.

 

कोर्ट ने 22 साल की एक्टिविस्ट को  न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. दिशा रवि ने बेल के लिए शुक्रवार को अर्जी दायर की थी.जमानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने अदालत में दिशा रवि पर आरोप लगाया कि वह खालिस्तान समर्थकों के साथ यह दस्तावेज (टूलकिट) तैयार कर रही थी।साथ ही, वह भारत को बदनाम करने और किसानों के प्रदर्शन की आड़ में देश में अशांति पैदा करने की वैश्विक साजिश का हिस्सा थी.  पुलिस ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा के समक्ष कहा, ‘‘यह महज एक टूलकिट नहीं है.

 

असली मंसूबा भारत को बदनाम करने और यहां (देश में) अशांति पैदा करने का था।’’वह टूलकिट तैयार करने और उसे साझा करने को लेकर खालिस्तान समर्थकों के संपर्क में थी. 

दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया कि दिशा रवि ने व्हाट्सऐप पर हुई बातचीत (चैट), ईमेल और अन्य Evidence मिटा दिये तथा वह इस बात से अवगत थी कि उसे किस तरह की कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। पुलिस ने अदालत के समक्ष दलील दी कि यदि दिशा ने कोई गलत काम नहीं किया था, तो उसने अपने ट्रैक (संदेशों) को क्यों छिपाया और Evidence मिटा दिया, ’’पुलिस ने अदालत से कहा, ‘‘इससे प्रदर्शित होता है कि इस टूलकिट के पीछे एक नापाक मंसूबा था।’’ 

वही  दिशा रवि ने कोर्ट में कहा मेरा खालिस्तान से कोई लेना-देना नहीं है. मेरा सिख फॉर जस्टिस या पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से कोई कनेक्शन नहीं है.  इस मामले में यह साफ है कि अगर आप विरोध करेंगे तो राजद्रोह का केस लग जाएगा.

वहीं, सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने जमानत अर्जी का विरोध किया. दिल्ली पुलिस ने बताया कि एम.ओ. धालीवाल की तरफ से सोशल मीडिया पर खालिस्तान समर्थन में पेज बनाया गया है. पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन ने किसानों के आंदोलन का इस्तेमाल किया और भारत की छवि खराब करने की कोशिश की.

इधर, दिशा रवि के वकील ने कहा कि किसी देश विरोधी व्यक्ति के बातचीत करने से क्या हम देश विरोधी हो जाएंगे? अपनी बातें किसी भी प्लेटफॉर्म पर रखना अपराध नहीं है. दिल्ली पुलिस कोई लिंक नहीं बना पा रही है. उन्होंने कहा कि हम किसी आंलोलन को पसंद-नापंसद कर सकते हैं. नापसंद करने का मतलब ये नहीं कि हम देशद्रोही हो गए.


गौरतलब है कि एक निचली अदालत ने दिशा की पांच दिनों की पुलिस हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद शुक्रवार को जलवायु कार्यकर्ता को तीन दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.

 

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