Jallikattu: Tamil Nadu में कोरोना महामारी के बीच जल्लीकट्टू का आयोजन, कोविड के मद्देनजर सीमित संख्या
By प्रतीक्षा कुकरेती | Published: January 14, 2021 02:35 PM2021-01-14T14:35:45+5:302021-01-14T14:36:02+5:30
भारत में उत्तर से लेकर दक्षिण तक आज मकर संक्रांति से लेकर पोंगल तक, कई तरह के त्यौहार मनाये जा रहे है. तमिलनाडु में कोरोना महमारी के चलते कुछ पाबंदियों के साथ जल्लीकट्टू का आयोजन हो रहा है. इसको लेकर लोगों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है इस प्रतियोगिता में 200 से अधिक बैल भाग ले रहे हैं. वही आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें कोविड-19 के मद्देनजर राज्य सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि खिलाड़ियों की संख्या 150 से अधिक नहीं होनी चाहिए.
इसके अलावा इनका कोरोना नेगेटिव सर्टिफिकेट अनिवार्य होना चाहिए. वहीं दर्शकों की संख्या भी 50 प्रतिशत पर सीमित कर दी गई है. राज्य सरकार के निर्देश के अनुसार प्रवेश से पहले दर्शकों की थर्मल स्कैनिंग होगी. इसके अलावा उन्हें सोशल distancing का पलान करना होगा.
400 साल पुराने पारंपरिक खेल जल्लीकट्टू का आयोजन पोंगल पर फसलों की कटाई के समय होता है. इस दौरान संड़ों की सीगों में सिक्के या नोट फंसा दिए जाते हैं और उन्हें भड़काकर भीड़ में छोड़ दिया जाता है। लोगों को इन्हें काबू में करना होता है. सांड़ों के तेज दौड़ने के लिए उनकी आंखों में मिर्च डाला जाता है. इसके अलावा उनकी पूंछों को मरोड़ा जाता है.
पशुप्रेमी जलीकट्टू का काफी विरोध करते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर 2014 में प्रतिबंध लगा दिया था. लोगों ने इसका काफी विरोध किया और सड़क पर उतर आए। इसके बाद राज्य सरकार ने एक अध्यादेश पास करके इशके आयोजन को अनुमति दी। भारत के पशु कल्याण बोर्ड और द पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) द्वारा याचिका दायर की गई थी.