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लॉकडाउन में दिल्ली पुलिस ने खाली कराया शाहीन बाग

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 24, 2020 12:54 PM2020-03-24T12:54:21+5:302020-03-24T13:00:11+5:30

दिल्ली पुलिस ने फैलते कोरोना वायरस पर लगाम लगाने के लिये लोगों से घरों में रहने और इमरजेंसी में ही घर से बाहर निकलने की अपील की है 

 दिल्ली में 31 मार्च की आधी रात तक के लिये लॉकडाउन लागू है. 

दिल्ली पुलिस ने कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण दिल्ली में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू है

इस दौरान प्रदर्शन और सभाओं पर रोक है

धारा 144 के तहत चार या इससे अधिक लोगों के एक साथ जमा होने पर रोक है. 

 सोशल मीडिया के अलावा पुलिस लाउडस्पीकरों के जरिये भी लोगों से सामाजिक दूरी बनाये रखने का अनुरोध कर रही है. 


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कोरोना वायरस के कहर की वजह से दिल्ली में लॉकडाउन के बाद भी शाहीन बाग में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन पर बैठे लोगों दिल्ली पुलिस ने जबरन वहां से हटा दिया. महिला प्रदर्शनकारी सीएए के खिलाफ तीन माह से भी ज्यादा वक्त से शाहीन बाग में धरने पर बैठी हैं. साउथ ईस्ट के पुलिस उपायुक्त आर पी मीणा ने कहा कि कोरोना वायरस प्रकोप के कारण लॉकडाउन लागू किए जाने के बाद शाहीन बाग में प्रदर्शन स्थल को खाली करने का अनुरोध किया गया था. दिल्ली पुलिस के अनुसार जब प्रदर्शनकारियों ने जगह खाली करने से इनकार कर दिया तो कार्रवाई की गई और प्रदर्शन स्थल खाली करा लिया गया. प्रदर्शन स्थल को खाली कराने के दौरान पुलिस ने कुछ प्रदर्शनकाकारियों को हिरासत में भी लिया है. इसके साथ ही ही दिल्ली के जाफराबाद में लॉकडाउन के देखते हुए भारी संख्या में दिल्ली पुलिस के जवान तैनात किये गये हैं. 

दिल्ली में टोटल लॉकडाउन के बाद दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएम श्रीवास्तव ने लोगों से अपील की हैं कि लोग घरों में रहें. सड़क पर किसी तरह की आवाजाही और लोगों के इकठ्ठा होने पर मनाही है. इस दौरान सिर्फ जरी सामानों की सप्लाई करने वालों को ही बाहर निकलने की छूट होगी और लॉकडॉउन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. 


शाहीन बाग में महिला प्रदर्शनकारियो ने रविवार 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दिन भी अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखा था. प्रदर्शनकारियों ने दावा किया था कि किसी भी समय 50 से अधिक महिलाएं विरोध प्रदर्शन नहीं कर रही हैं. प्रदर्शनकारी रिजवाना का दावा किया था कि महिलाएं हर सावधानी बरत रही हैं और वे हर समय बुर्के में ढकी रहती हैं. प्रदर्शन के प्रमुख आयोजकों में से एक, तासीर अहमद ने  दावा किया था कि प्रदर्शन स्थल पर पर्याप्त संख्या में सैनिटाइटर और मास्क की व्यवस्था की गई है और प्रदर्शन स्थल को नियमित अंतराल पर संक्रमण-मुक्त किया जा रहा है.   

18 मार्च को भी दिल्ली पुलिस ने शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों से मुलाकात की थी और प्रदर्शन समाप्त करने का आग्रह किया था लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला था. हालांकि प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि पुलिस ने केवल 10 से 15 लोगों से बात की और वहां नहीं गए जहां प्रदर्शनकारी बैठे थे. 18 मार्च को भाजपा सांसद रमेंश चंद्र बिधूड़ी ने लोकसभा में शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन का मुद्दा उठाते हुए आम जनता को हो रही परेशानी की बात कही थी. सांसद ने सरकार को तत्काल प्रदर्शनकारियों को वहां से हटाने की मांग की थी. सांसद का दावा किया कि प्रदर्शन के कारण एंबुलेंस भी घंटों तक फंसी रहती हैं. 

 दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले साल 15 दिसंबर से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन चल रहे हैं.  संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ शाहीन बाग में जारी प्रदर्शन के मामले में अदालत द्वारा नियुक्त वार्ताकारों वकील साधना रामचंद्रन और वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने प्रदर्शनकारियों से दो दिनों तक बात की . वार्ता नाकाम रहने के बाद दोनों वार्ताकारों ने न्यायमूर्ति एस. के. पॉल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ की पीठ 24 फरवरी को सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंपी थी. 

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