उत्तरकाशी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में फैले तनाव के बीच 15 जून को पुरोला शहर में होने वाली महापंचायत को रोकने की याचिका पर विचार करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है।
बुधवार को न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्ला की एक अवकाश पीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए याचिकार्ता को हाईकोर्ट जाने की सलाह दी है।
दरअसल, मामला उत्तराखंड के पुरोला शहर का है जहां सांप्रदायिक तनाव के कारण स्थिति गंभीर बनी हुई है। कथित लव जेहाद के मामले को लेकर इलाके में दो समुदाय आपस में बंट गए हैं और स्थिति तनावपूर्ण हो गई है।
याचिकाकर्ता ने याचिका ली वापस
सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई से इनकार किए जाने के बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले लगी है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि 'महापंचायत' 15 जून को होनी है।
वकील का कहना है कि एक विशेष समुदाय को अल्टीमेटम दिया गया है कि महापंचायत से पहले यहां से चले जाएं नहीं तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
इस पर, पीठ ने वकील से पूछा, "कानून और व्यवस्था प्रशासन को संभालने के लिए है। आप उच्च न्यायालय जाते हैं। आप यहां क्यों आते हैं? आप उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने में अविश्वास क्यों व्यक्त करते हैं?
यदि इस न्यायालय द्वारा कोई परमादेश है , उच्च न्यायालय आदेश पारित करेगा। आपको उच्च न्यायालय पर कुछ भरोसा होना चाहिए। आप प्रशासन पर भरोसा क्यों नहीं कर सकते?
प्रशासन ने की लागू धारा 144
इस बीच, बुधवार को उत्तरकाशी जिला प्रशासन ने कथिल लव जेहाद मामले को लेकर 15 जून को पुरोला में प्रस्तावित महापंचायत की अनुमति देने से इनकार कर दिया। इसके बाद जिलाधिकारी ने कहा कि पुरोला शहर में धारा 144 सीआरपीसी लगाई गई है।
राज्य के डीजीपी अशोक कुमार ने महापंचायत की अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था बिगाड़ने की इजाजत किसी को भी नहीं दी जाएगी।
जानकारी के अनुसार, प्रधानों के संगठन ने पुरोला में 15 जून को महापंचायत करने का ऐलान किया था लेकिन पुलिस से इजाजत न मिलने के कारण वह पीछे हट गए हैं।
इस बीच खबर है कि विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की ओर से पुरोला में महापंचायत की घोषणा की गई है। पुरोला के प्रधानों संगठन ने एसडीएम को ज्ञापन लिखकर साफ कहा है कि प्रधान संगठन महापंचायत की अगुवाई नहीं करेगा।
बता दें कि ये सब विवाद उस घटना के बाद शुरू हुआ जब 26 मई को उबेद खान और जितेंद्र सैनी नाम के दो लोगों पर नाबालिग लड़की के अपहरण करने का मामला सामने आया। इसके अगले दिन दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया।
हालांकि, इसे लव जेहाद का मामला बता कर हिंदू संगठनों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। इसके बाद इलाके में सांप्रदायिक तनाव फैल गया। कई दुकानों को निशाना बनाया गया। विरोध के दौरान प्रदर्शन हिसंक हो गया जिससे प्रशासन को इलाके में धारा 144 लागू करनी पड़ी।