Lok Sabha Elections 2024: छोटे दलों पर डोरे डाल रहे अखिलेश यादव, सपा और महान दल में फिर से गठजोड़, रुहेलखंड में बनेंगे समीकरण, जानिए
By राजेंद्र कुमार | Published: November 24, 2023 06:35 PM2023-11-24T18:35:26+5:302023-11-24T18:42:56+5:30
Lok Sabha Elections 2024: अखिलेश यादव का मानना है कि केशव देव मौर्य के फिर से साथ आने से सूबे के रुहेलखंड में सपा को मजबूती मिलेगी.
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Lok Sabha Elections 2024: छोटे दलों पर डोरे डाल रहे अखिलेश यादव, सपा और महान दल में फिर से गठजोड़, रुहेलखंड में बनेंगे समीकरण, जानिए
लखनऊः उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव एक बार फिर छोटे दलों को अपने साथ जोड़ने में जुट गए हैं. बीते विधानसभा चुनावों में अखिलेश यादव ने कई छोटे दलों को जोड़कर सूबे में सपा की ताकत में इजाफा किया था.
अब इसीक्रम में अखिलेश यादव ने सपा से नाता तोड़ने वाले महान दल के मुखिया केशव देव मौर्य से अपने रिश्ते सुधारे हैं. अब आगामी लोकसभा चुनावों में महान दल भी सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगा. अखिलेश यादव का मानना है कि केशव देव मौर्य के फिर से साथ आने से सूबे के रुहेलखंड में सपा को मजबूती मिलेगी.
विधानसभा चुनाव के बाद टूटा था नाता:
केशव देव मौर्य का सपा के साथ आना अखिलेश यादव के राजनीतिक कौशल का कमाल माना जा रहा है. हालांकि केशव देव मौर्य की पार्टी (महान दल) का पूरे उत्तर प्रदेश में ज्यादा आधार नहीं है, लेकिन रूहेलखंड इलाके में उनका निजी असर है. केशव देव मौर्य प्रदेश में शाक्य, सैनी, कम्बोज आदि पिछड़ी जातियों की राजनीति करते हैं.
उनके समाजवादी पार्टी के साथ जाने से उम्मीद की जा रही है कि सपा के साथ गैर यादव वोट जोड़ने में मदद मिलेगी. अखिलेश यादव लोकसभा चुनावों के पहले राज्य में पिछले कुछ समय से गैर यादव वोट जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं. इसी क्रम केशव देव के सपा में आने को महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि उन्होने अखिलेश यादव से नाराज होकर सपा से नाता तोड़ा था.
यहीं नहीं सपा से नाता तोड़ने के समय उन्होने अखिलेश यादव पर वादाखिलाफी करने का आरोप भी लगाया था. तब उन्होने कहना था कि अखिलेश ने यूपी में उन्हे मात्र दो सीटे चुनाव लड़ने के लिए दी, जबकि उन्होने आठ सीटें चुनाव लड़ने के लिए मांगीं थी.
तब केशव देव ने यह भी कहा था कि विधानसभा चुनावों के बाद उन्हे विधान परिषद के चुनावों में भी अखिलेश यादव ने उनकी बात नहीं मानी तो उन्होने अखिलेश यादव से नाता तोड़ लिया और कांग्रेस का हाथ थाम लिया था. केशव देव मौर्य का कांग्रेस के साथ नाता लंबा नहीं चला और उन्होने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ मिल कर उसका राज लाने की कोशिश शुरू कर दी.
ऐसे हुआ सपा से गठबंधन:
केशव देव मौर्य के इस पाला बदला से खफा होकर अखिलेश यादव ने उन्हे दी गई एक फॉर्च्यूनर कार वापस मांग ली. अखिलेश का यह फैसला तब बहुत चर्चा में रहा था. सपा नेताओं का कहना था कि अखिलेश ने केशव देव मौर्य यह एसयूवी चुनाव प्रचार में इस्तेमाल करने के लिए दी थी.
लेकिन जब केशव देव ने सपा से नाता तोड़ते हुए कहा कि हम चाहते थे कि सपा के साथ रिश्ता चले, लेकिन वो (अखिलेश यादव) छोटे दिल के आदमी है, बड़े दिल के आदमी नहीं हैं. तो अखिलेश यादव ने उन्हे दी गई फॉर्च्यूनर कार वापस मांग ली.
इस विवाद के बाद मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान सपा मुखिया अखिलेश यादव और केशव देव मौर्य की मुलाक़ात सपा एमएलसी राजपाल कश्यप की पहल पर हुई. जिसके बाद अखिलेश यादव ने एमपी की कई सीटें महान दल के प्रत्याशियों के लिए छोड़ दी. तो केशव देव मौर्य ने भी यूपी में सपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने का एलान कर दिया.
महान दल यूपी में किस सीट पर चुनाव लड़ेगा? इस सवाल पर केशव देव मौर्य का कहना है कि अभी यह सब तय नहीं है, पर यह तय है कि अब महान दल का साथ सपा के साथ टूटेगा नहीं. सपा नेताओं का कहना है कि सपा और महान दल के तालमेल की बात बन जाने के बाद ही सपा ने राजभर समुदाय को आकर्षित करने के लिए सुहेल देव महाराज की मूर्ति लगाने का ऐलान किया है. ताकि भाजपा के साथ जा रहे गैर यादव पिछड़े मतदाताओं में से कुछ जातियों को अपनी ओर किया जा सके. केशव देव का सपा से साथ आना अखिलेश ही एक छोटी कामयाबी मानी जा रही है.