उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को दलित-मुस्लिम गठजोड़ को मजबूत कर सकने वाले नेता की तलाश, फिर से कदम जमाने की कोशिश कर रही है पार्टी

By राजेंद्र कुमार | Updated: July 8, 2023 19:07 IST2023-07-08T19:05:30+5:302023-07-08T19:07:30+5:30

कर्नाटक चुनाव के बाद कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि प्रदेश का मुस्लिम समाज भी उसे उसको वोट देगा। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की वजह से दलित समाज का वोट भी पार्टी को मिलने की उम्मीद है।

Congress looking for a leader who can strengthen Dalit-Muslim alliance in Uttar Pradesh | उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को दलित-मुस्लिम गठजोड़ को मजबूत कर सकने वाले नेता की तलाश, फिर से कदम जमाने की कोशिश कर रही है पार्टी

कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व राज्य में नए नेता की तलाश में जुटा हुआ है

Highlightsउत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी फिर से कदम जमाने की कोशिश कर रही हैकांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व राज्य में नए नेता की तलाश में जुटा हुआ हैदलित-मुस्लिम गठजोड़ को मजबूत कर सकने वाले नेता की तलाश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी  दलित-मुस्लिम गठजोड़ को मजबूत कर सकने वाले नेता तलाश रही है। बीते करीब पांच साल से प्रियंका गांधी वाड्रा प्रभारी के तौर पर उत्तर प्रदेश में काम कर रही थीं। उन्होने यूपी में रसातल पर पहुंच चुकी पार्टी को फिर से खड़ा करने की पुरजोर कोशिश की। इस क्रम में उन्होंने पहले अजय सिंह लल्लू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनवाया। अब बृजलाल खाबरी सूबे में पार्टी के अध्यक्ष है। यानी कांग्रेस की राजनीति पिछड़ा और दलित समाज को जोड़ने वाली रही हैं। अब कांग्रेस को राज्य में नई राजनीति करनी है तो उसे ऐसे चेहरे की तलाश है, जो अपने दम पर कांग्रेस को खड़ा कर सके और सूबे में दलित-मुस्लिम गठजोड़ को मजबूती से पार्टी जोड़ सके।

कर्नाटक चुनाव के बाद कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि प्रदेश का मुस्लिम समाज भी उसे उसको वोट देगा। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की वजह से दलित समाज का वोट भी पार्टी को मिलने की उम्मीद है। राज्य में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती की निष्क्रियता से  ही कांग्रेस यह उम्मीद कर रही है कि कुछ दलित वोट उसकी ओर शिफ्ट होगा। लेकिन यूपी में कांग्रेस की मुश्किल यह है कि उसके पास अभी ऐसा कोई नेता ही नहीं है जो कांग्रेस को दलित और मुस्लिम समाज का वोट दिला सके।

कांग्रेस के पास राज्य में सलमान खुर्शीद और जफर आली नक़वी ही ऐसे मुस्लिम नेता है जो संसद तक पहुंचे है। लेकिन यह दोनों ही नेता काफी पहले ही अपनी चमक खो चुके हैं। इमरान प्रतापगढ़ी जिन्हे राज्यसभा में भेजा गया है, वह ना तो कोई जमीनी नेता नहीं हैं और न संगठन के आदमी हैं। वह एक कवि है जो पार्टी के एक बड़े नेता की वजह से राज्यसभा पहुंचने में सफल हुए। वह अपने जिले में भी कांग्रेस के पक्ष में मुस्लिम समाज का वोट पार्टी को दिलाने में सक्षम नहीं है। तभी यह कहा जा रहा है कि कांग्रेस के पास मुस्लिम वोट में मैसेज देने के लिए कोई बड़ा मुस्लिम नेता नहीं है। बसपा से आए नसीमुद्दीन सिद्दीकी को अभी पार्टी के नेता बड़ी ज़िम्मेदारी देने के पक्ष में नहीं हैं।

इसी तरह से राज्य में कांग्रेस के पास कोई बड़ा ब्राह्मण चेहरा भी नहीं है। कमलापति त्रिपाठी के परिवार के ललितेश पति त्रिपाठी तृणमूल कांग्रेस में चले गए। शाहजहांपुर के जितिन प्रसाद भाजपा में जाकर मंत्री बन गए। वाराणसी में ले-देकर राजेश मिश्र हैं जो लखनऊ में बैठकर ब्राह्मण समाज को पार्टी से जोड़ने के लिए मेहनत करने को तैयार नहीं हैं। यही हाल कांग्रेस में वैश्य और जाट समाज के नेताओं का भी है, दोनों ही समाज के वोट जुटाने वाले नेताओं का पार्टी में अभाव है। दलित समाज को पार्टी से जोड़ने का दायित्व अब ब्रजलाल खाबरी संभाल रहे हैं। वह बसपा से आए हैं और दलित में उनकी पकड़ अपने क्षेत्र तक ही है। उनके अलावा पीएल पुनिया हैं, जो बाराबंकी से सांसद रह चुके हैं। प्रियंका गांधी उन्हे पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहती थी लेकिन वह तैयार नहीं हुए। 

प्रदेश की  80 लोकसभा सीटों में से 17 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। प्रदेश में करीब 21.1 फीसदी दलित आबादी है। इनमें से सर्वाधिक करीब 11 फीसदी जाटव हैं। इसी तरह 3.3 फीसदी पासी और 3.15 फीसदी वाल्मिकी हैं। सोनभद्र जिले में सर्वाधिक 41 फीसदी दलित आबादी है। कौशांबी में करीब 36 फीसदी, सीतापुर में 31, हरदोई में 31.50,  उन्नाव में 30 व रायबरेली में 29.80 फीसदी आबादी दलित हैं। करीब 18 जिले में दलित आबादी 25 फीसदी से अधिक है। इसी तरह सूबे की 40 सीटों पर मुस्लिम समाज जीत हार में अहम भूमिका निभाता है।

ऐसे में अब कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व राज्य में नए नेता की तलाश में जुटा हुआ है। पार्टी नेताओं के अनुसार जल्दी ही इस सम्बन्ध में फैसला लिया जाएगा, क्योंकि पार्टी अब यह नहीं चाहती कि वह यूपी में मात्र दो-ढाई फीसदी वोट पाने वाली पार्टी कहलाए। फिलहाल यूपी में दलित और मुस्लिम समाज को जोड़ने वाला नेता कौन होगा? इस बारे में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी कहते हैं कि नेताओं की पार्टी में कमी नहीं है। कई नाम है, जिनपर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व विचार कर रहा है और जल्दी ही इस मामले में फैसला भी लिया जाएगा।

Web Title: Congress looking for a leader who can strengthen Dalit-Muslim alliance in Uttar Pradesh

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