बीयर की बोतलों से बना है ये मंदिर, पर्यटकों से रहता है भरा
By मेघना वर्मा | Published: May 19, 2018 11:42 AM2018-05-19T11:42:20+5:302018-05-19T11:42:20+5:30
बीयर की बोतल या बीयर जैसी किसी भी खाली बोतल को हम कबाड़ समझकर फेंक देते हैं लेकिन थाइलैंड देश ने इन्हीं खाली बोतलों के इस्तेमकाल से मंदिर का निर्माण कर डाला है।
भारत देश में धर्म और इससे जुड़े धार्मिक स्थलों का काफी महत्व है। सिर्फ भक्तों के लिए ही नहीं बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को भी अपनी ओर आर्कषित करता है। आपने आज तक जितने भी मंदिरों के दर्शन किए होंगे वो या तो प्राचीन पत्थरों से बने होंगे या तो चमचमाते संगमरमर के पत्थरों के मगर आज हम आपको जिस मन्दिर के बारे में बताने जा रहे हैं वो ना तो भारतीय अन्य प्राचीन मन्दिरों की तरह दिखती है और ना ही यहां अन्य मंदिरों के की तरह गंदगी फैली होती है। आज हम आपको एक ऐसे मन्दिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो बीयर की बोतल से बना है। जी हां, हम मजाक नहीं कर रहे। इस मंदिर की ना सिर्फ इमारत बल्कि यहां के बाहरी आवरण भी बीयर की बोतल की बनी हुई है। आप भी जानिए इस मन्दिर की खास बात।
थाइलैंड में है ये मन्दिर
बीयर की बोतल या बीयर जैसी किसी भी खाली बोतल को हम कबाड़ समझकर फेंक देते हैं लेकिन थाइलैंड ने इन्हीं खाली बोतलों का उपयोग करके मंदिर का निर्माण कर डाला है। थाइलैंड के सिस्केट प्रांत के भिक्षुओं ने एक साथ मिलकर इस खूबसूरत मंदिर बीयर बोतल से मिलकर बना डाली है। बीयर की बोतलें इकट्ठा कर के 'वाट प महा चेदि खेव' नाम का एक मंदिर स्थापित किया है जो दुनिया भर में अपने अनोखे स्ट्रकचर की वजह से जाना जाता है। इस मंदिर में हर जगह पर आपको बीयर की बोतले हीं देखने को मिलेंगी। मंदिर से लेकर श्मशान तक हर चीज बीयर की बोतल से बनी है।
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10 लाख बियर बोतलों से हुआ है तैयार
थाइलैंड में बने इस चमचमाते मंदिर को बनाने में कुल 10 लाख बियर की बोतलों का इस्तेमाल किया गया है। इन बोतलों को इकट्ठा करने में लगभग साल भर का समय लगा है। मंदिर को बनाने के लिए ग्रीन और ब्राउन कलर की बेकार बोतलों का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर की दीवारों में बोतलों से बना डिजाइन आपके दिल को छू लेगा, लेकिन इस मंदिर को देखकर एक बात तो साफ हो चुकी है कि दुनिया में सही और बुरी चीजें नजरिए पर आधारित होती है।
1984 में हुआ था स्थापित
वैसे तो बीयर की बोतलों को भारतीय सभ्यता में अच्छा नहीं माना जाता लेकिन ये अपने-अपने नजरिए को देखते हुए इस मंदिर को बनाया गया है। साल भर लोग यहां मन्दिर की खूबसूरती देखने आते हैं। इस मन्दिर की स्थापना 1984 में हुई थी। तब से आज तक ये मंदिर दुनिया भर में अपनी संरचना के लिए जाना जाता है।