यात्रीगण कृपया ध्यान दें! अब रेल और प्लेटफार्म पर फ्री मिलेगा खाने-पीने का सामान, जानिये कैसे
By उस्मान | Published: July 19, 2019 03:11 PM2019-07-19T15:11:55+5:302019-07-19T16:19:15+5:30
No Bill, No Payment: ट्रेन और प्लेटफॉर्म पर आए दिन वेंडरों की मनमानी की शिकायतें मिलती रहती हैं। वे पानी की बोतलों और अन्य खाद्य सामग्री की कीमत से ज्यादा पैसे वसूलते थे.
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने 18 जुलाई को अपने ट्विटर पेज पर एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा है ' रेलवे द्वारा 'नो बिल, नो पेमेंट' (No Bill, No Payment) की नीति अपनाते हुए विक्रेताओं द्वारा ग्राहकों को बिल देना अनिवार्य किया गया है। ट्रेन अथवा रेलवे प्लेटफार्म पर यदि कोई विक्रेता आपको बिल देने से इंकार करता है तो आप को उसे पैसे देने की आवश्यकता नही है।'
वीडियो में मुसाफिरों को चेताते हुए बताया गया है कि अब ट्रेनों और प्लेटफार्म पर खानपान की कोई भी चीज खरीदते समय संबंधित विक्रेता से बिल की मांग अवश्य करें। अगर विक्रेता बिल देने से मना करता है, तो आपके द्वारा खरीदी गई सामग्री निशुल्क पाने के आप हकदार हैं।
रेलवे द्वारा No Bill, No Payment की नीति अपनाते हुए विक्रेताओं द्वारा ग्राहकों को बिल देना अनिवार्य किया गया है।
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) July 18, 2019
ट्रेन अथवा रेलवे प्लेटफार्म पर यदि कोई विक्रेता आपको बिल देने से इंकार करता है तो आप को उसे पैसे देने की आवश्यकता नही है। pic.twitter.com/qxcnnjtemb
No Bill, No Payment कब होगा लागू
रेलवे ने 'नो बिल, नो पेमेंट' की नीति गुरुवार, 18 जुलाई को पूरी तरह से सभी स्टेशनों और ट्रेनों में लागू कर दी है। इसके तहत स्टेशन या ट्रेन में सामान बेचने वाला कोई वेंडर आपको बिल नहीं देता है, तो खरीदा गया सामान पूरी तरह मुफ्त होगा। इससे सही दाम पर यात्रियों को सामान मिलेगा और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी।
No Bill, No Payment पर मुसाफिरों की राय
भारतीय रेल के इस कदम की लोगों ने काफी प्रशंसा की है और सराहनीय कदम बताया है जबकि कुछ लोगों का मानना है कि यह कदम व्यवहारिक रूप से सफल नहीं हो सकता है।
ज्ञानेश प्रताप सिंह के अनुसार, 'बहुत ही सराहनीय कदम है। परंतु व्यवहारिकता में यह कदम सक्सेसफुल नहीं हो सकता। क्योंकि ट्रेनों में यात्रियों की भीड़ क्षमता से ज्यादा होती है और स्टेशनों में ट्रेन का रुकावट 2 से 5 मिनट के बीच होता है। इस अल्पावधि में सभी का समान ले पाना और बिल प्राप्त करना अव्यावहारिक प्रतीत होता है'।
बहुत ही सराहनीय कदम है।
— Ganesh Pratap Singh (ECCE) (@GaneshPratap79) July 18, 2019
परंतु व्यवहारिकता में यह कदम सक्सेसफुल नहीं हो सकता।क्योंकि ट्रेनों में यात्रियों की भीड़ क्षमता से ज्यादा होती है और स्टेशनों में ट्रेन का रुकाव 2 से 5 मिनट के बीच होता है।
इस अल्पावधि में सभी का समान ले पाना और बिल प्राप्त करना अव्यावहारिक प्रतीत होता है
रूद्र आनंद सिंह ने लिखा, 'महोदय ये बात तो ठीक है लेकिन ऐसा करने पे विक्रेता सामान देने से भी इंकार कर सकता है। चूंकि यात्री सफर में होते हैं तो उन्हें मजबूरीवश विक्रेताओं की शर्तों पर सामान लेना ही पड़ता है। क्या इसके लिए विक्रेता तुरंत कोई कानूनी कदम उठा सकता है?
विजय गोरिया ने कहा, 'पैसे न देने की स्थिति में पिटाई न होने की गरंटी रेल प्रशासन लेगा ? और हो जाने पर मुआवजा का दर क्या होगा?
प्रेम गोमात्रे ने कहा, 'आपके इस ऐतिहासिक निर्णय से पारदर्शिता आएगी और लोगो का विश्वाश रेलवे के प्रति और बढ़ेगी !
संदीप सिंह ने कहा, 'वाह वाह वाह... ये सरकार ऐसे ऐसे निर्णय लें रही जिसकी उम्मीद कोई नहीं कर रहा'