शिव के कहने पर आज भी इस मंदिर के शिवलिंग पर बिजली गिराते हैं इंद्र देव

By धीरज पाल | Updated: January 12, 2018 18:36 IST2018-01-12T18:21:57+5:302018-01-12T18:36:01+5:30

जिस पहाड़ी पर यह मंदिर विराजित है कहते हैं वह एक राक्षस के शरीर पर बना है।

mysterious temple of shiva in himachal pradesh | शिव के कहने पर आज भी इस मंदिर के शिवलिंग पर बिजली गिराते हैं इंद्र देव

शिव के कहने पर आज भी इस मंदिर के शिवलिंग पर बिजली गिराते हैं इंद्र देव

इस शिवलिंग पर इंद्रदेव गिराते हैं बिजली 

पौराणिक कथाओं में कहा जाता था कि जब कभी भगवान शिव क्रोध में होते हैं तो वो ताडंव करने लगते हैं जिससे धरती हिल जाती है, तेज हवाएं चलने लगती हैं और बादल गरजने लगते हैं। ऐसा नजारा आज भी देखने को मिलता है। जी हां, यह नजारा देवभूमि यानी हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में देखने को मिलता है। 

दिल्ली से 600 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, खूबसूरत पहाड़ों से घिरा है शहर कुल्लू। वैसे तो यह जगह अपने सौंदर्य के लिए विश्व भर में जानी जाती है। आए दिन हजारों पर्यटक आते हैं। लेकिन इस जगह से भगवान शिव की एक रोचक कथा भी जुड़ी है।

कोई भी कुल्लू में छुट्टियां बिताने जाता है तो वहां की सुंदरता देख मोहित हो जाता है। इतना ही नहीं यहां बार-बार आने का मन करता है। कुल्लू पूरे भारत में अपनी सुंदर घाटियों के लिए जाना जाता है। इन्हीं हरी-भरी घाटियों के बीच ‘बिजली महादेव’ नाम का एक मंदिर स्थित है।

यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का नाम बिजली महादेव मंदिर होने के पीछे एक दिलचस्प किंवदंती है। कई वर्षों पहले हुई एक घटना के आधार पर यहां बिजली महादेव नाम का मंदिर बनाया गया था।

गांव के नाम पर पड़ा बिजली मंदिर

कुल्लू में स्थित इस मंदिर का नाम ही बिजली महादेव नहीं है। जिस पहाड़ पर यह मंदिर बना हुआ है, उसके साथ पास में स्थित गांव का नाम भी बिजली महादेव ही है, लेकिन क्या है इस नाम के पीछे का रहस्य? जिस पहाड़ पर यह मंदिर बना हुआ है, उसके साथ पास में स्थित गांव का नाम भी बिजली महादेव ही है। 

इसके अलावा इस मंदिर का एक राज है कि मंदिर में स्थापित शिवलिंग में बिजली गिरती है। इसके पीछे एक पौराणिक कहानी प्रचलित है। घाटी के लोगों का मानना है कि कई हजार वर्ष पूर्व कुल्लू की इस घाटी में कुलान्त नामक दैत्य रहता था।

ये किंवदंती प्रचलित है 

कहा जाता है कि यह दैत्य अजगर की तरह दिखता था और बेहद विशाल भी था। कुल्लू के पास व्यास नदी बहती है। उस दैत्य की नजर इसी नदी पर थी। कुलान्त दैत्य का मकसद व्यास नदी के प्रवाह को रोककर घाटी को जलमग्न करना था ताकि वह घाटी में रह रहे जीव-जंतुओं को मिटा सके।

लेकिन उसका यह मकसद कामयाब ना हो सका। कुलान्त दैत्य की इस साजिश का पता भगवान शिव को लगा। भगवान शिव ने जल्द ही कुलान्त दैत्य को सबक सिखाने की योजना बनाई।वे उसके सामने प्रकट हुए और सबसे पहले उसके पास जाने के लिए उसे अपने विश्वास में ले लिया। भगवान शिव ने उसके कान में कहा कि ‘तुम्हारी पूंछ में आग लग गई है’। इतना सुनते ही जैसे ही उस दानव ने पीछे मुड़कर देखा, तभी भगवान शिव ने उसके सिर पर अपने त्रिशूल से एक जोरदार वार किया।

उस वार से कुलान्त राक्षस की मौत हो गई। माना जाता है कि जैसे ही उसकी मौत हुई, उसका पूरा शरीर एक विशाल पर्वत में तब्दील हो गया। कुलान्त के शरीर ने इतना बड़ा आकार लिया कि यह वर्तमान कुल्लू के एक बड़े भाग को घेरता है।

मान्यता है कि कुल्लू घाटी का बिजली महादेव से रोहतांग दर्रा और उधर मंडी के घोग्घरधार तक की घाटी कुलान्त के शरीर से निर्मित है। संक्षेप में यह भी कहा जाता है कि शायद कुल्लू घाटी का नाम इसी कुलान्त दैत्य के नाम से ही पड़ा है। मान्यता है कि दैत्य को मारने के बाद भगवान शिव ने इंद्र देवता को इस पर्वत पर हर बाहरवें साल में बिजली गिराने का आदेश दिया गया था।

मान्यता है कि कुल्लू घाटी का बिजली महादेव से रोहतांग दर्रा और उधर मंडी के घोग्घरधार तक की घाटी कुलान्त के शरीर से निर्मित है। संक्षेप में यह भी कहा जाता है कि शायद कुल्लू घाटी का नाम इसी कुलान्त दैत्य के नाम से ही पड़ा है।

Web Title: mysterious temple of shiva in himachal pradesh

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