मध्य प्रदेश के प्रमुख शहर जबलपुर का नाम सुनते ही ज़हन में संगमरमर की सुंदर, श्वेत एवं धवल पत्थर की चट्टानों का मनोरम स्थल भेड़ाघाट आंखों के सामने घूम जाता है। धुआंधार, बंदरकूदनी, चौंसठ योगिनी, नर्मदा के किनारों की चट्टानें जिन के बीच बहती धारा कलकल करती, भेड़ाघाट के अन्य रमणीय स्थल हैं। जबलपुर से 26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भेड़ाघाट ऐतिहासिक स्थल होने के साथ-साथ पर्यटन स्थल भी है। दरअसल भेड़ाघाट में ऊंची-ऊची संगमरमरी चट्टानों की प्राकृतिक सुषमा के बीच बहती नर्मदा नदी झील में परिवर्तित सी लगती है। यहां नौकायन करना एक यादगार अनुभव जैसा है। चांदनी रात में तो इस नौकायन का आनंद कई गुना बढ़ जाता है। भेड़ाघाट की भूलभुलैयों में इस नीले आसमान के पहाड़ इतने आकर्षक लगते हैं कि पर्यटक आत्मविभोर हो जाते हैं।
भेड़ाघाट का इतिहास?
मां नर्मदा की खूबसूरती को दर्शाने वाले इस भेड़ाघाट के इतिहास की बात करें तो जानकारों का मानना है कि यहां का रहस्य 180 करोड़ साल पुराना है।आज से वर्षों पहले नर्मदा नदी का बावनगंगा से मिलन हुआ था और इसी से भेड़ाघाट का उद्गम हुआ था।यह स्थान पर्यटन की दृष्टि से ही नहीं बल्कि धार्मिक दृष्टी से भी अत्यधिक महत्व रखता है।
इसके पास ही गुप्तेतर काल का शक्ति मंदिर स्थित है जो वर्तमान में चौसठ योगिनी का प्रसिद्ध मंदिर है।नर्मदा नदी के इस सुन्दर जल प्रपात का वर्णन हमारे प्राचीन धर्मग्रंथों में भी मिलता है।
पर्यटन की दृष्टि से है खास
जबलपुर का भेड़ाघाट पर्यटन की दृष्टि से भी खास है। ऊंचाई से गिरते दूध जैसे पानी और उससे निकलता धुआं देखने पर्यटक दूर विदेश से यहां यात्रा करते हैं। आजादी से पहले लिखी गयी किताब लैंड्स ऑफ़ सेन्ट्रल इंडिया में भी इसकी खूबसूरती का जिक्र हुआ है।
शांत है यहां का वातावरण
भेड़ाघाट का वातावरण भी बेहद शांत है। जब सूरज की रौशनी सफेद रंग के चट्टानों पर पड़ती है तो नदी पर बनने वाला इसका प्रतिबिम्ब मोहक होता है। पूर्णिमा के दिन यहां की खूबसूरती और देखने को मिलती है।यहां लोग अपने परिवारों के साथ बोटिंग का मजा भी लेते हैं.