रंग-बिरंगी पतंगों से भगवान को भेजते हैं संदेश, जानें पतंगबाजी का शाही इतिहास

By मेघना वर्मा | Published: January 8, 2018 11:30 AM2018-01-08T11:30:15+5:302018-01-08T12:41:41+5:30

मकर संक्रांति पर 2012 से अहमदाबाद में शुरू हुए "काईट फेस्टिवल" ने दुनिया भर में पतंगबाजी को मशहूर कर दिया है।

International kite festival: Know History of Kite festival | रंग-बिरंगी पतंगों से भगवान को भेजते हैं संदेश, जानें पतंगबाजी का शाही इतिहास

रंग-बिरंगी पतंगों से भगवान को भेजते हैं संदेश, जानें पतंगबाजी का शाही इतिहास

विविधताओं से भरपूर भारत देश में लोग हर्षोल्लास से हर पर्व को मनाते हैं। अनेकों मान्यताओं से और परम्पराओं से घिरा ये देश अपनी धर्मनिरपेक्षता के लिए भी जाना जाता है। हमारे देश में लगभग दो हजार त्यौहार हर साल मनाए जाते हैं,  इन्हीं त्योहारों में से एक है काईट फेस्टिवल। 14 जनवरी, मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में हर साल गुजरात में यह त्यौहार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। इसे उत्तरायण महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो मकर संक्रांति के दिन देश भर में पतंग उड़ाने की अपनी अलग मान्यता है लेकिन 2012 से अहमदाबाद में शुरू हुए "काईट फेस्टिवल" ने दुनिया भर में पतंगबाजी को मशहूर कर दिया है। उत्तर भारत में भले ही उत्साह और उमंग के साथ पतंगे उड़ाई जाती हों लेकिन गुजरात में इस काईट फेस्टिवल का अपना अलग ही महत्त्व होता है।

किसानों के लिए कटाई का सन्देश लाता है

ऐसा माना जाता है कि इस काईट फेस्टिवल के बाद से ठंड कम हो जाती है और गर्मी आने लगती है। किसानों के लिए ये फेस्टिवल कटाई का संदेश ले कर आता है। भारत में ये दिन कटाई के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। गुजरात में ये दिन पतंग बाजों को समर्पित होता है जिसमें देश और विदेश से आए लोग हिस्सा लेते हैं। गुजरात में आयोजित होने वाले इस भव्य काईट फेस्टिवल के लिए इसका नाम "गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड" में भी शामिल किया गया है। पूरे देश में खासतौर उत्तर भारत और गुजरात में इस फेस्टिवल के हफ्ते भर पहले से ही पूरा बाजार रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है। अहमदाबाद में तो एक पूरी मार्केट का नाम ही पतंग बाजार रखा गया है जहां हर तरह की पतंग खरीदी जा सकती है। 

पतंग से भेजते हैं भगवान को संदेश

माना जाता है कि इस उत्तरायण फेस्टिवल के पहले भगवान गहरी नींद में सोए रहते हैं जिन्हें पतंग के माद्यम से आकाश में संदेश भेजा जाता है और उन्हें जगाया जाता है। भारतीय इतिहास में मान्यता है कि पतंग उड़ाने की ये प्रथा मुगलों और राजाओं से चली आ रही है। जो इसे एक शाही खेल की तरह खेला करते थे। ये त्यौहार पहले राजा लोग ही मनाते थे लेकिन समय के साथ आम लोगों में भी इसका क्रेज देखने को मिलने लगा। पहली बार 1989 में यह पतंग बाजी की प्रतियोगिता आयोजित की गई थी जिसमें दुनिया भर के पतंग बाजों ने हिस्सा लिया था। इसके बाद 2012 में तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी ने इसका पुनः आयोजन करवाया। जिसके बाद से इसे देश और दुनिया में काईट फेस्टिवल को एक अलग आयाम दिलाया।    

इंग्लैंड, अर्जेंटीना सहित इन देशों ने लिया है हिस्सा

अहमदाबाद में 7 जनवरी से शुरू हुए पतंग महोत्सव में इस साल इंग्लैंड, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, बेलारूस, बल्जियम, बुलगारिया, स्विट्डरलैंड जैसे दैशो को पतंगबाज हिस्सा ले रहे हैं।  अहमदाबाद के बाद डाकोर गांधी धाम, जामनगर, रोजकोट, सूरज वडोदरा, द्वारका, अमरेली, पालनपुर, पावागढ़, वलसाड और सापुतार में भी इस पतंग उत्सव मनाया जाएगा।

Web Title: International kite festival: Know History of Kite festival

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