इस मंदिर में पति-पत्नि नहीं कर सकते हैं एक साथ पूजा, किया तो होगा तलाक!

By धीरज पाल | Updated: January 11, 2018 17:34 IST2018-01-11T17:10:38+5:302018-01-11T17:34:48+5:30

इस मंदिर में दंपत्ति जाते तो हैं, पर एक बार में एक ही दर्शन करता है।

husband and wife must not perform puja together in shrai koti temple Dharamshala himachal pradesh | इस मंदिर में पति-पत्नि नहीं कर सकते हैं एक साथ पूजा, किया तो होगा तलाक!

इस मंदिर में पति-पत्नि नहीं कर सकते हैं एक साथ पूजा, किया तो होगा तलाक!

पूरे भारत में मां दुर्गा अलग-अलग अवतारों में पूजी जाती हैं। मां दुर्गा के अलग-अलग मंदिर है जहां रोजाना हजारों की तादाद में भक्त अपनी मनोकमना लेकर आते हैं। हिमचाल प्रदेश में मां दुर्गा का एक ऐसा ही मंदिर है जहां दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन इस मंदिर की एक बड़ी खासियत यह है कि यहां आपको पति-पत्नि एक साथ पूजा करते हुए नहीं दिखाई देंगे। जी हां, 'श्राई कोटि' हिंदू धर्म का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां दंपत्ति एक साथ मां का आशीर्वाद नहीं ले सकते हैं। यहां ऐसी मान्यता प्रचलित है कि अगर विवाहित दंपत्ति ने एक साथ इस मंदिर में पूजा की तो जल्द ही दोनों का तलाक हो जाता है।

श्राई कोटि माता मंदिर से है प्रसिद्ध

यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के शिमला में रामपुर नामक जगह पर स्थित है। मंदिर श्राई कोटि माता मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है जो दुर्गा को समर्पित है। मंदिर में पति और पत्नी के एक साथ पूजन या दुर्गा की प्रतिमा के दर्शन करने पर पूरी तरह से रोक है। इस मंदिर में दंपत्ति जाते तो हैं पर एक बार में एक ही दर्शन करता है।

भुगतनी पड़ती है सजा

यहां पहुंचने वाले दंपत्ति अलग-अलग समय में प्रतिमा के दर्शन करते हैं। मान्यता है कि अगर गलती से पति-पत्नी एकसाथ माता की प्रतिमा के दर्शन कर लें तो उन्हें इसकी सजा भुगतनी पड़ती है। हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है इसका कोई प्रमाण नहीं है। आप इसे आस्था कह लें या अंधविश्वास, दंपत्ति श्रद्धालु यहां एक साथ देवी माता के दर्शन हरगिज नहीं करते हैं।

क्या है पौराणिक मान्यता

मंदिर में दंपत्ति के एक साथ दर्शन या पूजा न करने के पीछे एक किंवदंती बेहद प्रचलित है। माना जाता है कि भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों गणेश और कार्तिकेय को ब्रह्मांड का चक्कर लगाने कहा था। कार्तिकेय तो अपने वाहन पर बैठकर भ्रमण पर चले गए किन्तु गणेणजी ने माता-पिता के चक्कर लगाना प्रारंभ कर दिया और अंत में खुद को विजेता घोषित कर दिया। जब उनसे इसका कारण पूछा गया तो वे बोले कि माता-पिता के चरणों में ही ब्रह्मांड है, इसलिए उन्होंने उनकी ही परिक्रमा कर ली। 

जब कार्तिकेयजी ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर आए तब तक गणेश जी का विवाह हो चुका था। इसके बाद वह गुस्सा हो गए और उन्होंने कभी विवाह नहीं करने का संकल्प लिया। श्राईकोटी में दरवाजे पर आज भी गणेश जी सपत्नीक स्थापित हैं। कार्तिकेयजी के विवाह न करने के प्रण से माता पार्वती बहुत रुष्ट हुई थीं। उन्होंने कहा कि जो भी पति-पत्नी यहां उनके दर्शन करेंगे वह एक दूसरे से अलग हो जाएंगे। इस कारण आज भी यहां पति-पत्नी एक साथ पूजा नहीं करते है।

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