पाकिस्तान से होकर जाता था इस पवित्र हिन्दू धाम का रास्ता, दर्शन को उमड़ते हैं लाखों श्रद्धालु
By मेघना वर्मा | Published: March 8, 2018 11:36 AM2018-03-08T11:36:35+5:302018-03-08T11:37:08+5:30
हिन्दू धर्म में हमेशा से ही पवित्र धामों की विशेष मान्यता रही है आज हम आपको ऐसे ही एक पवित्र धाम के बारे में बताने जा रहजे हैं जिसके इतिहास से लाकर वर्तमान तक सभी चीज़े अपने आप में रहस्य है।
चारों तरफ ऊंची पहाड़ियां, चीरती हुई सर्द हवाएं, रंग-बिरंगे ऊनी कपड़े पहने श्रद्धालु और बाबा बर्फानी के 'जय भोले', 'बम भोले' के लगते नारे, ऐसा कोई दृश कभी आपके सामने आये तो समझ लीजियेगा आप अमरनात के पावनधाम पर हैं। हिन्दू तीर्थ स्थानों के सबसे पावन स्थल की ये अमरनाथ की गुफा, प्राकृतिक सौन्दर्य से भरे जम्मू और कश्मीर में स्थित है। अमरनाथ में बाबा बर्फानी की ये गुफा जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। बर्फीली पहाड़ियों से घिरे इस गुफा को देखने हर साल लाखों श्रद्धालु अमरनाथ की कठिन यात्रा पर निकलते हैं। साल भर बर्फ से ढकी इस गुफा को साल में एक बार श्रधालुओं के लिए खोला जाता हैं। तमाम कठिनाइयों, बाधाओं और खतरों के बावजूद मॉनसून के समय दो महीने चलने वाली यह पवित्र यात्रा एक सुखद एहसास दिलाती है। यही वजह है कि दिनोंदिन इसे लेकर लोगों में उत्साह बढ़ता ही जा रहा है। आज हम भी आपको बाबा बर्फानी की गुफा के ऐसे ही कुछ रहस्यमयी और चम्मात्कारी चीजे बतायेंगे जो लोगों के लिए आज भी अचम्भित करने वाला है।
महर्षि भृगु को सबसे पहले दिया था बाबा बर्फानी ने दर्शन
इतिहास में इस बात का जिक्र किया जाता है की, महान शासक आर्यराजा कश्मीर में बर्फ से बने शिवलिंग की पूजा करते थे। 'रजतरंगिनी' किताब में भी इसे अमरनाथ या अमरेश्वर का नाम दिया गया है। कहा जाता है की 11 वी शताब्दी में रानी सुर्यमठी ने त्रिशूल, बनालिंग और दूसरे पवित्र चिन्हों को मंदिर में भेट स्वरुप दिये थे। अमरनाथ गुफा की इस पवित्र यात्रा की शुरुआत प्रजाभट्ट द्वारा की गयी थी।
कहा ये भी जाता है की मध्य कालीन समय के बाद, 15वीं शताब्दी में दोबारा धर्मगुरुओं द्वारा इसे खोजने से पहले लोग इस गुफा को भूलने लगे थे। मान्यता है कि बहुत समय पहले कश्मीर की घाटी जलमग्न हो गयी थी और कश्यप मुनि ने कई नदियों का बहाव किया था। इसीलिए जब पानी सूखने लगा तब सबसे पहले भृगु मुनि ने ही भगवान अमरनाथ के दर्शन किये। इसके बाद जब लोगों ने अमरनाथ लिंग के बारे में सुना तब यह लिंग भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग कहलाने लगा और अब हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान अमरनाथ के दर्शन के लिये आते है।
पाकिस्तान से होकर जाता था बाबा बर्फानी तक पहंचने का रास्ता
पुराने समय में गुफा की तरफ जाने का रास्ता पाकिस्तान में पड़ने वाले रावलपिंडी से होकर गुजरता था लेकिन अब हम सीधे ट्रेन से जम्मू जा सकते हैं। जम्मू को भारत का विंटर कैपिटल (ठण्ड की राजधानी) भी कहा जाता है। बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए जम्मू से लेकर पहलगांव (7500 फीट) तक की बस सेवा भी उपलब्ध है।
अपने अंदर बहुत से रहस्यों को संजोये है अमरनाथ की ये गुफाएं
1. कश्मीर घाटी में स्थित अमरनाथ गुफा प्राकृतिक है। यह पावन गुफा लगभग 160 फुट लम्बी, 100 फुट चौड़ी और काफी ऊंची है। कश्मीर में वैसे तो 45 शिव धाम, 60 विष्णु धाम, 3 ब्रह्मा धाम, 22 शक्ति धाम, 700 नाग धाम तथा असंख्य तीर्थ हैं पर श्री अमरनाथ धाम का सबसे अधिक महत्व है।
2. अमरनाथ गुफा में शिव भक्त प्राकृतिक हिमशिवलिंग के साथ-साथ बर्फ से ही बनने वाले प्राकृतिक शेषनाग, श्री गणेश पीठ व माता पार्वती पीठ के भी दर्शन करते हैं। प्राकृतिक रूप से प्रति वर्ष बनने वाले हिम शिवलिंग में इतनी अधिक चमक विद्यमान होती है कि देखने वालों की आंखों को चकाचौंध कर देती है।
बाबा बर्फानी यानी अमरनाथ की यात्रा का रजिस्ट्रेशन 1 मार्च से शुरू हो चुका है। इस बार आप भी चलिए बाबा बर्फानी के द्वार और आस्था के साथ श्रीनगर के प्राकृतिक सौन्दर्य का लीजिये मजा।