इंटरनेट सेवा प्रदाताओं ने कहा, सांविधिक बकाये का मामला हम पर जबरन थोपा गया

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 24, 2019 02:59 PM2019-11-24T14:59:53+5:302019-11-24T14:59:53+5:30

विभाग ने 13 नवंबर 2019 को जारी आदेश में कहा, ‘‘लाइसेंस रखने वालों की यह जवाबदेही है कि वे लाइसेंस समझौतों के तहत आकलन करने के बाद लाइसेंस शुल्क और अन्य बकाये का भुगतान करे।’’

ISPAI seeks legal view on DoT's demand for statutory dues says order unnecessarily imposed on ISPs | इंटरनेट सेवा प्रदाताओं ने कहा, सांविधिक बकाये का मामला हम पर जबरन थोपा गया

प्रतीकात्मक फोटो

Highlightsशीर्ष अदालत ने पिछले महीने सालाना एजीआर के आकलन के मामले में सरकार के रुख को सही ठहराया।इसमें गैर-दूरसंचार कारोबार करने वाली कंपनियां भी शामिल हैं।

इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएसपीएआई) ने कहा है कि वह दूरसंचार सेवा कंपनियों की समायोजित सकल आय (एजीआर) के बारे में उच्चतम न्यायालय के हाल के निर्णय के बाद दूरसंचार विभाग की ओर से अपने सदस्यों को पुराने सांविधिक बकाया जमा कराने के लिए भेजे गए नोटिस के कानूनी पहलुओं पर सलाह ले रहा है। 

एसोसिएशन का कहना है कि दूरसंचार विभाग ने न्यायालय के आदेश को इंटरनेट सेवा प्रदाताओं पर अनावश्यकत रूप से थोपा है। उसका कहना है कि उसके बहुत से उद्यमी सदस्य छोटे छोटे शहरों कस्बों में सेवाएं दे रहे हैं। 

संगठन के अध्यक्ष राजेश छरिया ने कहा, ‘‘हमने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के सामने अपनी बात रखी है। हमें उम्मीद है कि कोई सही निर्णय किया जाएगा है। चूंकि हमें दूरसंचार विभाग से पत्र मिला है, हम उस बारे में कानूनी राय ले रहे हैं। हमारा मानना है कि विभाग ने यह आदेश अनावश्यक रूप से हम पर थोप दिया है।’’ 

उल्लेखनीय है कि शीर्ष अदालत ने पिछले महीने सालाना एजीआर के आकलन के मामले में सरकार के रुख को सही ठहराया। इसमें गैर-दूरसंचार कारोबार करने वाली कंपनियां भी शामिल हैं। न्यायालय के 24 अक्टूबर के आदेश के बाद भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और अन्य दूरसंचार परिचालकों को बकाये के रूप में 1.47 लाख करोड़ रुपये देने हैं। 

इस महीने की शुरूआत में दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार परिचालकों के साथ-साथ आईएसपीएआई जैसे संगठनों को अपने सदस्यों को सूचित कर न्यायालय के आदेश के अनुसार भुगतान करने को कहा। साथ ही निर्धारित समयसीमा के भीतर अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये जरूरी दस्तावेज जमा करने को कहा। 

विभाग ने 13 नवंबर 2019 को जारी आदेश में कहा, ‘‘लाइसेंस रखने वालों की यह जवाबदेही है कि वे लाइसेंस समझौतों के तहत आकलन करने के बाद लाइसेंस शुल्क और अन्य बकाये का भुगतान करे।’’ इसको लेकर आईएसपीएआई ने हाल ही में प्रधानमंत्री कार्यालय से न्यायालय के फैसले के लागू होने के बारे में हस्तक्षेप का आग्रह किया। संगठन का कहना है कि इससे कई कंपनियों , खासकर छोटे एवं मझोले आकार के इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के सामने वित्तीय संकट बढ़ेगा।

Web Title: ISPAI seeks legal view on DoT's demand for statutory dues says order unnecessarily imposed on ISPs

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