लाइव न्यूज़ :

Eid Milad-un-Nabi 2020: कब है ईद-ए-मिलाद, जानें क्‍यों मनाते हैं और इस दिन का महत्व

By गुणातीत ओझा | Updated: October 29, 2020 11:03 IST

आलमे-इस्‍लाम के लिए यह बहुत मुबारक दिन माना जाता है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, इस्लाम के तीसरे महीने यानी रबी-अल-अव्वल की 12वीं तारीख 571ई में पैगंबर साहब का जन्म हुआ था।

Open in App
ठळक मुद्देदुनिया भर में पैगंबर हज़रत मुहम्मद साहब के जन्‍मदिन की खुशी में ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मनाया जाता है।इस साल ईद-ए-मिलाद-उन-नबी 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

Eid Milad-un-Nabi 2020: दुनिया भर में पैगंबर हज़रत मुहम्मद साहब (Paigambar Hazrat Muhammad) के जन्‍मदिन की खुशी में ईद-ए-मिलाद-उन-नबी मनाया जाता है। आलमे-इस्‍लाम के लिए यह बहुत मुबारक दिन माना जाता है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, इस्लाम के तीसरे महीने यानी रबी-अल-अव्वल की 12वीं तारीख 571ई में पैगंबर साहब का जन्म हुआ था। कहते हैं कि रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन ही मोम्मद साहब का निधन भी हुआ था। इस दिन रात भर इबादत की जाती है, जुलूस निकाले जाते हैं। वहीं इस दिन मुसलमान अपने पैगंबर के पवित्र वचनों को पढ़ते हैं और इन पर अमल करने का अहद करते हैं। इस साल ईद-ए-मिलाद-उन-नबी 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस्लामी चंद्र कैलेंडर के अनुसार, भारत में रबी-उल-अव्वल का महीना 19 अक्टूबर से शुरू हो चुका है। जबकि ईद मिलाद उन-नबी 30 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन ईद मिलाद उन नबी की दावत का आयोजन किया  जाता है। इसके साथ ही मोहम्मद साहब की याद में जुलूस भी निकाले जाते हैं। हालांकि इस साल कोरोना महामारी के कारण बड़े जुलूस या समारोह के आयोजन की संभावना कम है।

इस तरह मनाते हैं ईद-ए-मिलादपैगंबरे-इस्‍लाम की पैदाइश के इस दिन को लोग बेहद खुशी से मनाते आ रहे हैं। इस दिन घरों और मस्जिदों में रोशनी की जाती है, उन्‍हें सजाया जाता है। लोग रात रात भर मस्जिद में इबादत करते हैं, क़ुरान की तिलावत करते हैं। लोगों को मिठाइयां बांटते हैं और गरीबों को दान देते हैं।

क्यों मनाते हैं ईद-ए-मिलाद-उन-नबीइस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक तीसरे महीने रबी-अल-अव्वल की 12वीं तारीख, 571 ईं. के दिन पैगंबर हजरत मुहम्मद (Paigambar Hazrat Muhammad) साहब का जन्‍म हुआ था। ईद-ए-मिलाद-उन-नबी को दुनिया भर के मुसलमान बेहद खुशी के साथ मनाते हैं। इस दिन रात भर इबादत, दुआओं का सिलसिला जारी रहता है और जुलूस निकाले जाते हैं।

इस्लाम के आखिरी पैगंबर थे हज़रत मुहम्मदइस्लाम के आखिरी पैगंबर हज़रत मुहम्मद का पूरा नाम पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम था। मक्का शहर में उनका जन्म हुआ था। हजरत मुहम्मद साहब ने 25 साल की उम्र में खदीजा नाम की एक विधवा महिला से विवाह किया था। उनके कई बच्चे हुए, जिनमें बेटों की मृत्यु हो गई। उनकी बेटी बीबी फ़ातिमा का निकाह हज़रत अली से हुआ था। मान्‍यता है कि 610 ईसवी में मक्का के पास हिरा नामक गुफा में हज़रत मुहम्मद को ज्ञान प्राप्त हुआ। इसके बाद पैगंबरे-इस्‍लाम ने दुनिया को इस्लाम धर्म की पवित्र किताब क़ुरान की शिक्षाओं का उपदेश दिया। हज़रत मुहम्मद साहब ने तालीम पर जोर दिया और सबके साथ समानता का व्‍यवहार करने पर बल दिया। 

टॅग्स :ईदइस्लामधार्मिक खबरें
Open in App

संबंधित खबरें

भारत'अगर ज़ुल्म हुआ तो जिहाद होगा': जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रेसिडेंट मौलाना महमूद मदनी यह कहकर विवाद खड़ा किया

भारतपाकिस्तान में लापता हुई सरबजीत ने कबूला इस्लाम, स्थानीय शख्स से किया निकाह

पूजा पाठTulsi Vivah 2025: तुलसी विवाह के लिए ये हैं 7 भोग जो सौभाग्य की देते हैं फुल गारंटी

पूजा पाठईश्वरीय चेतना जुबान ही नहीं, कर्मों से भी झलके

कारोबारBank Holiday: क्या कल, 5 सितंबर को बैंक खुले रहेंगे या बंद? चेक करें डिटेल

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठसभ्यता-संस्कृति का संगम काशी तमिल संगमम

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 06 December 2025: आज आर्थिक पक्ष मजबूत, धन कमाने के खुलेंगे नए रास्ते, पढ़ें दैनिक राशिफल

पूजा पाठPanchang 06 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 05 December 2025: आज 4 राशिवालों पर किस्मत मेहरबान, हर काम में मिलेगी कामयाबी

पूजा पाठPanchang 05 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय