Kovidara Tree: अयोध्या स्थित राम मंदिर के शिखर पर आज ध्वज फहराया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम जन्मभूमि मंदिर का दर्शन करके ध्वज फहराया। राम मंदिर के शिखर पर फहराए गए ध्वज पर सूर्य और 'ॐ' के साथ कोविदार वृक्ष का प्रतीक चिन्ह भी अंकित है। यह अयोध्या का पुराना झंडा, जिसके बारे में माना जाता है कि वह हज़ारों सालों से खो गया था, श्री राम जन्मभूमि मंदिर में तीन पवित्र निशानों – ओम, सूर्य और कोविदारा पेड़ के साथ वापस आने वाला है।
ध्वजारोहण मंदिर के मुख्य कंस्ट्रक्शन के पूरा होने प्रतीक है जिसके लिए भव्य आयोजन किया गया और फिर लाखों भक्तों की भीड़ के साथ ध्वजारोहण कार्यक्रम पूरा हुआ।
क्या है कोविदार वृक्ष का महत्व
कोविदार वृक्ष एक अत्यंत प्राचीन और पौराणिक महत्व वाला वृक्ष है, जिसका संबंध विशेष रूप से अयोध्या के रघुवंश और भगवान राम की विरासत से है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, कोविदार वृक्ष प्राचीन अयोध्या का राजचिह्न था। रघुवंश के राजाओं (सूर्यवंशी) के ध्वज पर सदियों से यह वृक्ष अंकित होता आया है। वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड में इसका स्पष्ट उल्लेख मिलता है।
जब भरत जी भगवान राम को वनवास से वापस लाने के लिए अपनी सेना के साथ चित्रकूट पहुँचे थे, तब लक्ष्मण जी ने दूर से ही उनके रथ पर फहरते 'कोविदार' वृक्ष वाले ध्वज को देखकर पहचान लिया था कि यह अयोध्या की सेना है।
माना जाता है कि कोविदार वृक्ष रघुवंश के तप, त्याग और मर्यादा के उच्च आदर्शों का प्रतीक है।
पौराणिक कथा
कुछ पौराणिक कथाओं और शोधों के अनुसार, कोविदार को विश्व का पहला 'हाइब्रिड' वृक्ष माना जाता है।
मान्यता है कि महर्षि कश्यप ने इस वृक्ष को पारिजात और मंदार (ये दोनों भी दिव्य/पौराणिक वृक्ष हैं) के गुणों को मिलाकर तैयार किया था।
कोविदार वृक्ष सिर्फ एक पेड़ नहीं है, बल्कि यह अयोध्या की प्राचीन राज-परंपरा, रघुवंश के गौरव, और रामराज्य की गरिमा का एक शक्तिशाली और पवित्र प्रतीक है।
कोविदार वृक्ष (या कचनार) आयुर्वेद में भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।इसकी फूल, पत्तियाँ और छाल कई रोगों के उपचार में औषधि के रूप में उपयोग की जाती हैं।
कोविदार वृक्ष को वैज्ञानिक रूप से (बाउहिनिया परप्यूरिया) या इससे मिलती-जुलती प्रजातियों के रूप में पहचाना जाता है। इसे सामान्य भाषा में कचनार या उससे मिलता-जुलता वृक्ष माना जाता है। यह बैंगनी या हल्के गुलाबी रंग के सुंदर फूलों के लिए जाना जाता है।
ध्वज में मौजूद ऊँ और सूर्य का महत्व
डिजाइन के चारों ओर ॐ है, जिसे हिंदू परंपरा में हमेशा रहने वाली आदिम ध्वनि माना जाता है। मिश्रा ने बताया कि मंदिर कमिटी ने ग्रंथों में बताए गए पुराने डिजाइन को पूरा करने के लिए ॐ को शामिल करने की मंज़ूरी दी।
सूर्य
सूर्य का निशान भगवान राम के सूर्यवंश को दिखाता है। भगवान राम सूर्यवंश से थे, इसलिए हमने झंडे पर सूर्य का निशान लगाया।