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Vishwakarma Puja 2019: आज विश्वकर्मा पूजा, जानिए पूजा विधि, विश्वकर्मा कथा, मंत्र और महत्व

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 17, 2019 07:29 IST

Vishwakarma Puja 2019: भगवान विश्वकर्मा की विशेष पूजा कल-कारखानों और कार्यालयों में ही की जाती है लेकिन उत्तर भारत में कई घरों में भी उनका पूजा का विधान बहुत प्रचलित है।

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ठळक मुद्देVishwakarma Puja 2019: हर साल 17 सितंबर को मनाया जाता है विश्वकर्मा पूजाभगवान विश्वकर्मा को देवताओं के शिल्पकार माना जाता है, इनकी पूजा करने से आती है सुख-समृद्धि

Vishwakarma Puja: आज (17 सितंबर) विश्वकर्मा पूजा है। मान्यता है कि इसी दिन देवताओं के शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। भक्तों के बीच दुनिया के सबसे पहले इंजीनियर के तौर पर लोकप्रिय भगवान विश्वकर्मा के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने ही देवताओं के महल, स्वर्ग आदि का निर्माण किया। यही नहीं उन्हें देवताओं के शस्त्र-अस्त्र का भी निर्माता कहा गया है जिसमें भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र, शंकर जी का त्रिशूल, यमराज का कालदंड आदि शामिल हैं।

ऐसे तो भगवान विश्वकर्मा की विशेष पूजा कल-कारखानों और कार्यालयों में की जाती है लेकिन उत्तर भारत में कई घरों में भी उनका पूजा का विधान बहुत प्रचलित है। इस दिन लोग सवेरे अपने घर में रखे गाड़ी, मोटर या दुकान में रखें मशीनों की साफ-सफाई करते हैं और फिर पूरे-विधि विधान से विश्वकर्मा भगवान की पूजा की जाती है। कारोबारी और व्यवसायी भी विश्वकर्मा जी की पूजा पूरी श्रद्धा से करते हैं। वह अपने महलों, दुकानों व दफ्तरों में पूजा-अर्चना करवाते हैं ताकि सुख-समृद्धि मिल सके। 

Vishwakarma Puja: विश्वकर्मा पूजा विधि और मंत्र

विश्वकर्मा पूजा के दिन सुबह जल्दी उठे और घर या दफ्तर में लगे मशीनों की अच्छे से सफाई करें। इसके बाद पूजा स्थल पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्वीर लगाएं और उनकी पूजा करें। इस दिन अपने घर में रखें औजार, गाड़ी आदि की पूजा करें। दफ्तर या कल-कारखानों में भी लगे मशीनों की पूजा अवश्य करें। भगवान विश्वकर्मा को पीले या सफेद रंग के फूल चढ़ाए और उनके सामने सुगंधित धूप और दीपक जलाएं। पूजा के दौरान मंत्र ‘ऊॅ श्री श्रीष्टिनतया सर्वसिधहया विश्वकरमाया नमो नमः’ का जाप करें। इस पूजा के दौरान 'ओम आधार शक्तपे नम:' और ओम् कूमयि नम:, ओम अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम:' मंत्र का भी जाप करें।

Vishwakarma Puja: विश्वकर्मा पूजा की कथा

मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा के अनेक रूप हैं। इसके तहत दो बाहु वाले, चार बाहु एवं दस बाहु वाले तथा एक मुख, चार मुख एवं पंचमुख वाले विश्वकर्मा की बात कही गई है। विश्वकर्मा जी के मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी एवं दैवज्ञ नामक पांच पुत्र भी हैं। यह भी मान्यता है कि ये पांचों वास्तु शिल्प की अलग-अलग विधाओं में पारंगत थे।

विश्वकर्मा पूजा की कथा के अनुसार प्राचीन काल में वाराणसी में एक रथ बनाने वाला अपनी पत्नी के साथ रहता था। वह हमेशा धर्म की राह पर चलता था। हालांकि, तमाम अथक प्रयास के बावजूद वह दो जून के भोजन से अधिक धन हासिल नहीं कर पाता था। इस दंपत्ति के कोई संतान नहीं थे। इस वजह से पत्नी भी चिंतित रहती थी।

इस परेशानी के बीच एक पड़ोसी ब्राह्मण ने रथकार और उसकी पत्नी से भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने के लिए कहा। ब्राह्मण की बात मानकर रथकार और उसकी पत्नी ने भगवान विश्वकर्मा की पूजा की, जिससे उन्हें धन-धान्य और पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई और वे सुखी जीवन व्यतीत करने लगे।

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