Vibhuvana Sankashti Chaturthi 2023: कब है विभुवन संकष्टी चतुर्थी? जानें अधिकमास में पड़ने वाले इस दिन का महत्व और सही डेट

By अंजली चौहान | Published: August 3, 2023 09:17 PM2023-08-03T21:17:14+5:302023-08-03T21:19:44+5:30

विभुवन संकष्टी हिंदुओं के बीच बहुत महत्व रखती है क्योंकि यह केवल अधिक मास के दौरान आती है।

Vibhuvana Sankashti Chaturthi 2023 When is Vibhuvana Sankashti Chaturthi Know the importance and correct date of this day falling in Adhikamas | Vibhuvana Sankashti Chaturthi 2023: कब है विभुवन संकष्टी चतुर्थी? जानें अधिकमास में पड़ने वाले इस दिन का महत्व और सही डेट

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Highlights 4 अगस्त को रखा जाएगा विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत भगवान गणेश को समर्पित है ये व्रत यह पर्व अधिकमास में ही पड़ता है।

Vibhuvana Sankashti Chaturthi 2023: हिंदू धर्म में हर दिन, महीने और पर्व का विशेष महत्व होता है। हिंदू धर्म में कई देवी-देवता है जिनके लिए खास त्योहार, व्रत किया जाता है। ऐसे ही विभुवन संकष्टी चतुर्थी भी हिंदुओं के बीच बहुत महत्व रखती है क्योंकि यह केवल अधिक मास के दौरान आती है।

प्रत्येक संकष्टी चतुर्थी का अपना महत्व, अर्थ, नाम और पीठ होता है। अगस्त महीने में, विभुवन संकष्टी चतुर्थी सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि (चौथे दिन) यानी 4 अगस्त, 2023 को मनाई जाने वाली है।

विभुवन संकष्टी चतुर्थी तिथि और सही समय 

सावन के अधिकमास में विभुवन संकष्टी चतुर्थी 4 अगस्त, 2023 सुबह 12:45 से शुरू होगा और इसका समापन 5 अगस्त, 2023 सुबह 09:39 बजे होगा। संकष्टी चतुर्थी का व्रत 4 अगस्त को रखा जाएगा और चंद्रमा की पूजा की जाएगी।

जानें इसका महत्व

संकष्टी चतुर्थी का हिंदुओं में बहुत महत्व है। संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है और वे इस विशेष दिन पर उपवास रखते हैं और भगवान गणेश की पूजा करते हैं।

प्रत्येक हिंदू कैलेंडर माह में दो चतुर्थी तिथियां होती हैं। कृष्ण पक्ष के दौरान पूर्णिमा या पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी के रूप में जाना जाता है और शुक्ल पक्ष के दौरान अमावस्या या अमावस्या के बाद की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के रूप में जाना जाता है। संकष्टी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई है जिसका अर्थ है कठिन समय से मुक्ति। 

शास्त्रों के मुताबिक, हर चतुर्थी के अपने विशिष्ट नाम होते हैं और अलग-अलग पीठों के साथ गणेश के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाती है।

चूंकि विभुवन संकष्टी चतुर्थी अधिक मास के दौरान आती है इसलिए यह हर तीन साल में आती है। इस संकष्टी पर विभुवन पालक महा गणपति की पूजा की जाती है और पीठ का नाम दुर्वा बिल्व पत्र पीठ है।

इस विधि से करें भगवान गणेश का पूजन 

1- कल सुबह जल्दी उठें और साफ पानी से स्नान करें।

2- पूजा के कमरे और उसके आस-पास की जगह को साफ करें।

3- एक लकड़ी के तख्ते पर भगवान गणेश की मूर्ति रखें, ध्यान रहे की संकष्टी पूजा शाम को की जाती है।

4- भगवान गणेश को पीले वस्त्र, फूल और दूर्वा घास से सजाएं। 

5- लोगों को भगवान गणेश को दूर्वा घास चढ़ाना नहीं भूलना चाहिए क्योंकि यह भगवान गणेश की पसंदीदा जड़ी बूटी है। 

6- देसी घी का दीया, अगरबत्ती जलाएं, लड्डू, मोदक, केले और मीठा पान का भोग लगाएं। विनायक कथा का पाठ करें, मंत्रों का जाप करें और भगवान गणेश की आरती करें। 

7- व्रत खोलने से पहले चंद्रमा को अर्घ्य या जल दें।

8- सात्विक भोजन करें जैसे - मखाने की खीर, समा चावल की खिचड़ी और कोई भी दूध से बनी चीज।

(डिस्क्लेमर: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने डॉक्टर से परामर्श लें। लोकमत हिंदी इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।)

Web Title: Vibhuvana Sankashti Chaturthi 2023 When is Vibhuvana Sankashti Chaturthi Know the importance and correct date of this day falling in Adhikamas

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