लाइव न्यूज़ :

Vat Purnima Vrat 2022: वट पूर्णिमा व्रत कल, सौभाग्य प्राप्ति के लिए इन नियमों का जरूर करें पालन

By रुस्तम राणा | Published: June 13, 2022 2:09 PM

मान्यता है कि इस दिन उपवास और पूजा करने वाली महिलाओं के पति पर आने वाली समस्त प्रकार की विपदा एवं संकट टल जाती है और उनकी आयु लंबी होती है।

Open in App

Vat Purnima Vrat 2022: वट पूर्णिमा व्रत 14 जून, मंगलवार को रखा जाएगा। यह व्रत सुहागिन महिलाओं के द्वारा सौभाग्य प्राप्ति, दांपत्य जीवन में खुशहाली और पति की दीर्घायु के लिए रखा जाता है। इस व्रत में महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। मान्यता है कि इस दिन उपवास और पूजा करने वाली महिलाओं के पति पर आने वाली समस्त प्रकार की विपदा एवं संकट टल जाती है और उनकी आयु लंबी होती है। हिन्दू पंचाग के अनुसार यह व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर रखा जाता है।

वट पूर्णिमा व्रत और वट सावित्री व्रत में अंतर

वट पूर्णिमा व्रत और वट सावित्री व्रत में मात्र इतना अंतर है कि वट पूर्णिमा व्रत को महाराष्ट्र, गुजरात समेत दक्षिण भारत में ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि पर रखा जाता है। जबकि वट सावित्री व्रत को ज्येष्ठ अमावस्या के दिन उत्तर भारत में रखा जाता है। दोनों व्रत का महत्व एक ही है।   

वट पूर्णिमा व्रत शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - सोमवार, जून 13, 2022 को 09:02 PMपूर्णिमा तिथि समाप्त - मंगलवार, जून 14, 2022 को 05:21 PMपूजा का शुभ मुहूर्त - मंगलवार, जून 14, 2022 को 11:54 AM से 12: 49 PM

वट पूर्णिमा व्रत नियम

1. वट सावित्री व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।2. अब व्रत का संकल्प लें।3. 24 बरगद फल, और 24 पूरियां अपने आंचल में रखकर वट वृक्ष के लिए जाएं। 4. 12 पूरियां और 12 बरगद फल वट वृक्ष पर चढ़ा दें। 5. इसके बाद एक लोटा जल चढ़ाएं।6. वृक्ष पर हल्दी, रोली और अक्षत लगाएं।7. फल-मिठाई अर्पित करें। 7. धूप-दीप दान करें।7. कच्चे सूत को लपेटते हुए 12 बार परिक्रमा करें।8. हर परिक्रमा के बाद भीगा चना चढ़ाते जाएं।9. अब व्रत कथा पढ़ें।10. अब 12 कच्चे धागे वाली माला वृक्ष पर चढ़ाएं और दूसरी खुद पहन लें।11. 6 बार इस माला को वृक्ष से बदलें।12. बाद में 11 चने और वट वृक्ष की लाल रंग की कली को पानी से निगलकर अपना व्रत खोलें।

वट पूर्णिमा व्रत का धार्मिक महत्व

वट सावित्री व्रत में सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करती हैं। हिंदू धर्म में बरगद के पेड़ को वृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसमें देवी-देवताओं का वास होता है। यह वृक्ष पूजनीय है। पौराणिक कथा के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ही सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से भी वापस ले आई थीं। इसलिए वट सावित्री व्रत वाले दिन सावित्री और सत्यवान की कथा सुनने का विधान है।

टॅग्स :वट पूर्णिमावट सावित्री व्रतपूर्णिमाहिंदू त्योहार
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठShani Jayanti 2024: कब मनाई जाएगी शनि जयंती? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और कथा

पूजा पाठBuddha Purnima 2024: बुद्ध पूर्णिमा कब है, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

पूजा पाठPradosh Vrat: मई के महीने में कब है दूसरा प्रदोष व्रत? जानें तिथि, क्या है पूजा का सही समय

पूजा पाठMohini Ekadashi 2024: मोहिनी एकादशी व्रत कल, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मिटते हैं सारे पाप

पूजा पाठVat Savitri Vrat 2024: इस बार किस दिन रखा जाएगा वट सावित्री व्रत, जानिए तिथि और महत्व

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठNarasimha Jayanti 2024: नरसिम्हा जयंती आज, जानें तिथि, पूजा विधि, क्या है महत्व

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 21 May 2024: आज इन 3 राशिवालों के लिए है मंगल भारी, रहें सावधान! वरना होगा बड़ा नुकसान

पूजा पाठआज का पंचांग 21 मई 2024: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 20 May 2024: आज का दिन इन 5 राशियों के लिए होगा लकी,धन,नौकरी और व्यापार में होगा आर्थिक लाभ

पूजा पाठआज का पंचांग 20 मई 2024: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय