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तुलसीदास जयंतीः जानें प्रभु श्री राम के भक्त तुलसीदास के जीवन से जुड़ी दिलचस्प बातें

By गुणातीत ओझा | Updated: July 27, 2020 09:18 IST

Tulsidas Jayanti 2020: महाकवि तुलसीदास का जन्म आज श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था। तुलसी दास जी प्रभु श्री राम के भक्त थे। तुलसी दास जी ने कवितावली, दोहावली, हनुमान बाहुक, पार्वती मंगल, रामलला नहछू आदि कई रचनाएं की लेकिन उनके द्वारा रचित श्रीरामचरित्र मानस सारे हिंदू धर्म के लोगों के लिए बहुत मायने रखता है।

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ठळक मुद्देमहाकवि तुलसीदास का जन्म आज श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था।उनके पिता का नाम आत्माराम और माता का नाम हुलसी देवी था।

Tulsidas Jayanti in Hindi: आज सावन की सप्तमी तिथि है, आज ही के दिन तुलसीदास जयंती मनाई जाती है।  गोस्वामी तुलसीदास का जन्म उत्तर प्रदेश के बांदा जनपद के राजापुर में विक्रम संवत 1554 की श्रावण शुक्ल सप्तमी के दिन हुआ था। उनके पिता का नाम आत्माराम और माता का नाम हुलसी देवी था। कहा जाता है कि जन्म के समय तुलसीदास रोये नहीं थे और उनके मुख में पूरे बत्तीस दांत थे। लोगों का मानना है कि तुलसीदास संपूर्ण रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के अवतार थे। उनके बचपन का नाम रामबोला था। गोस्वामी तुलसीदास ने कुल 12पुस्तकों की रचना की है, लेकिन सबसे अधिक ख्याति उनके द्वारा रचित रामचरितमानस को मिली। दरअसल, इस महान ग्रंथ की रचना तुलसी ने अवधीभाषा में की है और यह भाषा उत्तर भारत के जन-साधारण की भाषा है। इसीलिए तुलसीदास को जन-जन का कवि माना जाता है।

जन्म लेते ही मुख से निकला था ''राम'' का नाम

तुलसीदास का जन्म संवत 1956 की श्रावण शुक्ल सप्तमी के दिन अभुक्तमूल नक्षत्र में हुआ था। उनके पिता का नाम आतमा रामदुबे व माता का नाम हुलसी था। ऐसा कहा जाता है कि तुलसीदास जन्म के समय रोए नहीं थे, बल्कि उनके मुंह से राम शब्द निकला था। लेकिन उनके माता-पिता इस बात से परेशान थे कि उनके पुत्र के मुख में बचपन से ही 32 दांत थे। इसको लेकर माता हुलसी को अनिष्ट की शंका भी हुई, जिससे वे उन्हें दासी के साथ ससुराल भेज आईं। इसके कुछ समय बाद उनका देहांत हो गया। इसके बाद पांच वर्ष की अवस्था तक दासी ने ही पालन-पोषण किया।

पत्नी के क्रोध ने रामबोला को बना दिया तुलसीदास

ऐसी मान्यता है कि तुलसीदास को अपनी सुंदर पत्नी रत्नावली से अत्यंत लगाव था। एक बार तुलसीदास ने अपनी पत्नी से मिलने के लिए उफनती नदी को भी पार कर लिया था। तुलसीदास जी अपनी पत्नी के घर में प्रवेश के लिए दीवार फांदने का प्रयास कर रहे थे, उस समय उन्हें खिड़की से लटकी हुई रस्सी दिखाई दी और उसे ही पकड़कर वे लटक गए और दीवार फांद गए। लेकिन हैरानी की बात यह कि जिसे तुलसीदासजी ने रस्सी समझ लिया था वह एक सांप था जिसकी जानकारी उन्हें बाद में हुई। उनके ऐसा करने पर पत्नी काफी क्रोधित हुईं। तब उनकी पत्नी ने उन्हें उपदेश देते हुए कहा- जितना प्रेम मेरे इस हाड-मांस के बने शरीर से कर रहे हो, उतना स्नेह यदि प्रभु राम से करते, तो तुम्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाती। यह सुनते ही तुलसीदास की चेतना जागी और उसी समय से वह प्रभु राम की वंदना में जुट गए।

तुलसीदास की रचनाएं

अपने दीर्घ जीवन-काल में तुलसीदास ने कालक्रमानुसार निम्नलिखित काल जयी ग्रन्थों की रचनाएं कीं - रामललानहछू, वैराग्यसंदीपनी, रामाज्ञाप्रश्न, जानकी-मंगल, रामचरितमानस, सतसई, पार्वती-मंगल, गीतावली, विनय-पत्रिका, कृष्ण-गीतावली, बरवै रामायण, दोहावली और कवितावली (बाहुक सहित)।

टॅग्स :तुलसीदासभगवान रामरामायण
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