Tulsidas Jayanti 2019: तुलसीदास जयंती 7 अगस्त को , जानिए उनके बारे में 10 दिलचस्प बातें
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 6, 2019 11:00 AM2019-08-06T11:00:21+5:302019-08-06T11:13:11+5:30
तुलसीदास को महर्षि वाल्मिकी की संस्कृत में लिखी मूल रामायण को अवधी भाषा में लिखने का श्रेय जाता है, जिसे आज हम 'रामचरितमानस' के नाम से जानते हैं।
हर साल सावन मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाने वाली तुलसीदास जयंती इस बार 7 अगस्त (बुधवार) को है। एक हिंदू संत और कवि के रूप में अपनी पहचान कायम करने वाले तुलसीदास की भगवान राम के प्रति बहुत श्रद्धा थी। तुलसीदास को महर्षि वाल्मिकी की संस्कृत में लिखी मूल रामायण को अवधी भाषा में लिखने का श्रेय जाता है, जिसे आज हम 'रामचरितमानस' के नाम से जानते हैं। जानिए 'रामचरितमानस' के रचयिता तुलसीदास के बारे में कुछ महत्वपूर्ण और दिलचस्प बातें....
1. तुलसीदास ने अपने जीवन का ज्यादातर समय वाराणसी में बिताया। वाराणसी में गंगा नदी पर बना प्रसिद्ध 'तुलसी घाट' उन्हीं के नाम पर रखा गया है। यह वही जगह है जहां वे ज्यादातर समय निवास करते थे।
2. वाराणसी में मौजूद भगवान हनुमान का प्रसिद्ध संकटमोचन मंदिर भी तुलसीदास द्वारा स्थापित किया गया था। कहते हैं कि इसी जगह पर एक बार तुलसीदास को भगवान हनुमान के पहली बार दर्शन हुए थे। इसके बाद यहीं संकटमोचन मंदिर बनाया गया।
3. तुलसीदास आज बेहद लोकप्रिय 'हनुमान चालिसा' के भी रचयिता हैं। उन्होंने यह अवधी भाषा में लिखी और आज यह पूरी दुनिया में लोकप्रिय है।
4. कई लोग मानते हैं कि तुलसीदास ही पूर्वजन्म में संस्कृति में लिखे मूल रामायण के रचयिता महाकवि वाल्मिकी थे।
5. तुलसीदास भगवान राम के भक्त थे। ऐसी मान्यता है कि कलयुग में इन्हें हनुमान सहित भगवान राम और लक्ष्मण के दर्शन हुए थे।
6. तुलसीदास ने 'हनुमानाष्टक' की भी रचना की थी। मान्यता है कि हनुमान जयंती पर संकटमोचन हनुमानाष्टक का पाठ करने से व्यक्ति को हर पीड़ा से मुक्ति मिलती है और उसके सभी संकट दूर होते हैं।
7. तुलसीदास ने आखिरी सांस वाराणसी के ही अस्सी घाट पर ली। वाराणसी के मानस मंदिर में तुलसीदास का हस्तलिखित रामचरितमानस का अयोध्या कांड अब भी रखा हुआ है। इसकी देखरेख तुलसीदास के प्रथम शिष्य राजापुर निवासी गनपतराम के वंशज कर रहे हैं।
8. मान्यता है कि तुलसीदास ने रामचरित की संपूर्ण रचना 2 साल 7 महीने और 26 दिन में पूरी की।
9. तुलसीदास ने रामचरितमानस सहित सतसई, बैरव रामायण, पार्वती मंगल, गीतावली, विनय पत्रिका, वैराग्य संदीपनी, कृष्ण गीतावली आदि ग्रंथों को भी लिखा है।
10. तुलसीदास के जन्म और मृत्यु दोनों ही बातों को लेकर कुछ भी ठोस जानकारी नहीं है। कई जगहों पर उनके जीवन काल को साल 1497 से 1623 ईं. के बीच कहा गया है तो कई जगहों पर इसे 1543 से 1623 के बीच बताया गया है। ऐसे ही उनके माता-पिता को लेकर भी बहुत ठोस और तार्किक जानकारी नहीं है।