इस साल का आखिरी और दूसरा चंद्र ग्रहण बुधवार (17 जुलाई) को देखा गया। यह ग्रहण गुरू पूर्णिमा के दिन और सावन शुरू होने से ठीक पहले लगा। लगभग 149 वर्षों बाद ऐसा संयोग बना जब गुरु पूर्णिमा के दिन ही चंद्र ग्रहण भी था। भारत में चंद्र ग्रहण का स्पर्श मध्य रात्रि के बाद रात एक बजकर 31 मिनट से शुरू होकर चार बजकर 30 मिनट तक रहा। ग्रहण रात को तीन बजकर एक मिनट पर पूरे चरम पर था, जब धरती की छाया चंद्रमा के आधे से ज्यादा हिस्से को ढंक लिया। ग्रहण का मोक्ष बुधवार तड़के 4.30 बजे हुआ।
चंद्र ग्रहण का सूतक काल शाम 4 बजकर 30 मिनट से शुरू हुआ। इस दौरान मंदिर के कपाट बंद रहे। साथ ही सभी शुभ कामों को करने की भी मनाही रही। दरअसल, चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घंटे पहले ही शुरू हो जाता है जबकि सूर्य ग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले शुरू होता है। सूतक काल वृद्ध, बच्चों, रोगी और गर्भवती महिलाओं को रात्रि 10.30 बजे से मानना चाहिए। ग्रहण के दौरान भोजन आदि नहीं करना चाहिए।
Lunar Eclipse 2019: चंद्र ग्रहण की Live Streaming
Chandra Grahan: चंद्र ग्रहण ग्रहण का किस राशि पर कैसा प्रभाव
चंद्र ग्रहण का प्रभाव मेष, वृष, मिथुन, सिंह, कन्या, वृश्चिक, धनु एवं मकर राशि वाले जातकों के लिए विशेष अनिष्टकारक रहता है। वहीं, कर्क, तुला, कुंभ एवं मीन राशि वालों के लिए ग्रहण शुभ फल कारक होता है। ग्रहण के दौरान मंत्र जाप के साथ भगवान का ध्यान करने का विशेष महत्व है। ग्रहण के बाद पवित्र स्नान करके दान, पुण्य करने से ग्रहण का सभी प्रकार का दुष्प्रभाव समाप्त हो जाता है।
ऐसे में जिन भी राशि वाले जातकों को ग्रहण अनिष्टकारक होता है, उनको विशेष रुप से जप, दान एवं पुण्य करना चाहिए। दूसरी ओर, जिन राशि वालों के लिए ग्रहण शुभ होता है, वह भी जप एवं दान कर लाभ अर्जित कर सकते हैं।