युग और समय कोई भी रहा हो, गुरु का महत्व हमेशा से रहा है। ऐसे ही एक महान संत और गुरु रामकृष्ण परंहंस भी हुए हैं। उन्हें संत नहीं कहकर परमहंस कहा गया। इसके मायने ये हुए कि ऐसा व्यक्ति जो समाधि की अंतिम अवस्था तक पहुंच गया। वे तमाम सिद्धियों के पार चले गये। रामकृष्ण परमहंस की ही तरह उनके शिष्य स्वामी विवेकानंद भी अपनी बातों और ज्ञान से पूरी दुनिया में अपना प्रभाव छोड़ने में सफल रहे।
इन दोनों से जुड़ी कई कहानियां मौजूद हैं। इन्हीं में से एक इन दोनों के बीच एक बार हुए अद्भुत संवाद की भी कहानी है। विवेकानंद ने अपने रामकृष्ण परमहंस से जितने रोचक प्रश्न किये उतने ही दिलचस्प जवाब भी गुरु ने भी दिये। यह संवाद जीवन को लेकर एक अद्भुत तस्वीर भी पेश करता है। पढ़िए, दोनों के बीच हुए उस अद्भुत संवाद के अंश-
-स्वामी विवेकानंद ने पूछा- अब मुझे समय नहीं मिलता। जीवन बहुत आपाधामी से भर गया है।
रामकृष्ण परमहंस: गतिविधियां आपको व्यस्त रखती हैं, लेकिन उत्पादकता (Productivity) आजाद करती हैं।
-स्वामी विवेकानंद- जीवन इतना उलझनों से भरा क्यों हो गया है?
रामकृष्ण परमहंस- जीवन का विश्लेषण करना बंद कर दो। इससे और उलझन बढ़ती है। इसे बस जिओ।
-स्वामी विवेकानंद- हम फिर लगातार नाखुश क्यों रहते हैं?
रामकृष्ण परमहंस- चिंता करना आदत बन गई है। इसलिए तुम खुश नहीं रहते हो।
-स्वामी विवेकानंद- अच्छे लोगों को हमेशा मुश्किलों का सामना क्यों करना पड़ता है?
रामकृष्ण परमहंस- हीरे को बिना घर्षण के साफ नहीं किया जा सकता है। सोना भी आग के बिना शुद्द नहीं किया जा सकता है। अच्छे लोग इसी तरह दरअसल तमाम कोशिशों से गुजरते हैं, वे मुश्किलों का सामना नहीं करते। इन अनुभवों से उनका जीवन खराब नहीं बल्कि बेहतर बनता है।
-स्वामी विवेकानंद- आप ये कह रहे हैं कि ऐसे अनुभव जरूरी हैं?
रामकृष्ण परमहंस- हां, हर हालत में अनुभव सबसे अच्छा शिक्षक है। अनुभव सबसे पहले स्वाद चखाता है और फिर पाठ पढ़ाता है।
-स्वामी विवेकानंद- इतने साले मुश्किलों के कारण हम नहीं जान पाते कि हम कहां जा रहे हैं?
रामकृष्ण परमहंस- अगर तुम बाहर की देखते रहे तो तुम कभी नहीं जान सकोगे कि तुम कहां जा रहे हो। अपने अंदर देखो। आंखे दृश्य दिखाती हैं। हृद्य रास्ते दिखाते हैं।
-स्वामी विवेकानंद- क्या सही दिशा में जाने की बजाय नाकाम होना ज्यादा दर्द देता है?
रामकृष्ण परमहंस- सफलता वह चीज है जिसका फैसला दूसरे लोग करते हैं। संतुष्टि का आकलन आप खुद कर सकते हैं।
-स्वामी विवेकानंद- मुश्किल समय में आप हमेशा प्रेरित कैसे रह सकते हैं?
रामकृष्ण परमहंस- हमेशा यह देखने की बजाय कि अभी कितनी दूर और जाना है, यह देखने की कोशिश करो कि तुम कितने दूर आ गये। जो मिला हमेशा उसकी गिनती देखो बजाय इसके कि तुमने क्या खो दिया है?
-स्वामी विवेकानंद- लोगों के बारे में कौन सी चीज आपको हैरान करती है?
रामकृष्ण परमहंस- यही बात कि जब वे मुश्किल में होते हैं तो हमेशा पूछते हैं कि 'मैं ही क्यूं', लेकिन अच्छे समय में वे कभी नहीं पूछते कि 'मैं क्यूं'?
-स्वामी विवेकानंद- मैं अपने जीवन से सर्वश्रेष्ठ कैसे हासिल कर सकता हूं?
रामकृष्ण परमहंस- अपने बीते हुए कल को बिना किसी पछतावे के देखो। अपने वर्तमान का पूरे आत्मविश्वास के साथ सामना करो। अपने भविष्य का निर्माण बिना किसी डर के करो।
-स्वामी विवेकानंद- एक आखिरी सवाल, कभी-कभी मुझे लगता है कि मेरी प्रार्थनाओं का जवाब नहीं मिलता?
रामकृष्ण परमहंस- कोई भी प्रार्थना ऐसी नहीं होती जिसका जवाब नहीं मिलता। विश्वास कायम रखो और डर को हटा दो। जीवन एक रहस्य है जिसे सुलझाना है न कि समस्य जिसे सुलझाना है। मेरे विश्वास करो, अगर तुम जीना सीख जाओ तो यह जिंदगी अद्भुत है।