सीता नवमी 2020: आज भी यहां स्थित है माता सीता की रसोई, चिमटा और चूल्हे के साथ रखा है रसोईघर का अन्य सामान

By मेघना वर्मा | Published: April 30, 2020 10:12 AM2020-04-30T10:12:03+5:302020-04-30T10:12:03+5:30

माता सीता अपने त्याग और बलिदान के लिए जानी जाती थीं। त्रेता युग के सीता मां का विवाह अयोध्या के राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र भगवान श्रीराम से हुआ था।

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सीता नवमी 2020: आज भी यहां स्थित है माता सीता की रसोई, चिमटा और चूल्हे के साथ रखा है रसोईघर का अन्य सामान

Highlightsचित्रकूट में ही जमीन से लगभग सौ फुट की उंचाई पर भगवान हनुमान का भव्य मंदिर मौजूद है।पिता का मान रखने के लिए भगवान श्री राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 साल का वनवास किया।

इस साल एक मई को सीता नवमी पड़ रही है। मान्यता है कि इसी दिन माता सीता का जन्म हुआ था। माता सीता अपने त्याग और बलिदान के लिए जानी जाती हैं। त्रेता युग में सीता मां का विवाह अयोध्या के राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र भगवान श्री राम से हुआ था। शादी के बाद ही माता सीता को भगवान राम के साथ 14 वर्ष के वनवास के लिए जाना पड़ा था।

पिता का मान रखने के लिए भगवान श्री राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 साल का वनवास किया। अपने वनवास में भगवान राम और माता सीता जिन जंगलों में रुके थे उन्हीं में से एक है उत्तर प्रदेश के मंदाकिनी नदी के किनारे बसा चित्रकूट धाम। 

इस धाम पर लोग दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं। चित्रकूट के इसी धाम में आज भी सीता माता की वो रसोई है जहां वह खाना बनाकर महर्षि ऋषियों को खिलाया करती थीं। आइए आपको बताते हैं इस मंदिर में क्या है खास।

कब है सीता नवमी?

सीता नवमी 2020 का मुहूर्त

सीता नवमी मुहूर्त - सुबह 10:58 से दोपहर 01:38 बजे तक (2 मई 2020)

कुल अवधि - 02 घंटे 40 मिनट

नवमी तिथि प्रारंभ - दोपहर 01:26 बजे से (01 मई 2020)

नवमी तिथि समाप्त - सुबह 11:35 तक (02 मई 2020)

हनुमान धारा में सदियों से बह रहा है पानी

चित्रकूट में ही जमीन से लगभग सौ फुट की उंचाई पर भगवान हनुमान का भव्य मंदिर मौजूद है। जिसे हनुमान धारा भी कहते हैं। हनुमान प्रतिमा के ठीक पीछे से साफ पानी की एक धारा लगातार बहती है जिस कारण से इसका नाम हनुमान धारा पड़ा है। वैज्ञानिक भी आज तक इस बात का पता नहीं लगा पाए हैं की आखिर ये पानी कहां से आता है।    

हनुमान धारा के ठीक पीछे है माता सीता का मंदिर

इसी हनुमान धारा के ठीक पीछे माता सीता की रसोई मौजूद है। इस रसोई में मिट्टी के चूल्हे के साथ रसोई से जुड़ी कुछ पुरानी चीजें भी रखी हुई हैं। जिन्हें श्रद्धालु पूजते हैं। इस जगह पर वो स्थान भी है जहां मां सीता पंच ऋषियों को अपने हाथ से बना भोजन खिलाया करती थीं। 

यहीं हैं जानकी कुंड

माना जाता है कि प्रभु श्रीराम के भाई भरत ने इस स्थान पर पवित्र जल का कुंड बनवाया था। जहां विभिन्न तीर्थस्थलों से पवित्र जल एकत्रित कर रखा जाता है। यह स्थान बहुत ही छोटा स्थल है जो कि इस नगर से कुछ दूरी पर स्थित है। यहां के रामघाट पर स्थित जानकी कुंड भी एक भव्य स्थान है। कहा जाता है कि सीताजी इस नदी में नहाया करती थीं। यहां की हरियाली भी दर्शनीय है। 

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